Difference between revisions of "पुण्यभूमि भारत - पूर्वोत्तर एवं पूर्वी भारत"

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{{DISPLAYTITLE:पुण्यभूमि  - पुर्वोत्तेर एवं पूर्वी भारत}}
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== पूर्वोत्तर एवं पूर्वी भारत ==
 
== पूर्वोत्तर एवं पूर्वी भारत ==
  
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=== शान्तिनिकेतन ===
 
=== शान्तिनिकेतन ===
वीरभूमि (वीरों की भूमि) के अन्तर्गत आम्रनिकुंजों के मध्य विश्वकवि  
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वीरभूमि (वीरों की भूमि) के अन्तर्गत आम्रनिकुंजों के मध्य विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है शान्तिनिकेतन। यह भारतीय आदर्शों के अनुकूल शिक्षा देने वाला अद्वितीय विद्यामन्दिर है। विश्वभर से हजारों ज्ञान पिपासु छात्र-छात्राएँ यहाँ विद्याध्ययन हेतु आते हैं।
 
 
रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है शान्तिनिकेतन। यह  
 
 
 
भारतीय आदर्शों के अनुकूल शिक्षा देने वाला अद्वितीय विद्यामन्दिर है।  
 
 
 
विश्वभर से हजारों ज्ञान पिपासु छात्र-छात्राएँयहाँ विद्याध्ययन हेतु आतेहैं।
 
  
 
=== नवद्वीप ===
 
=== नवद्वीप ===
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वर्तमान बंगला देश की राजधानी व प्राचीन औद्योगिक नगर| ढाकेश्वरी देवी (भवानी) का प्राचीन मन्दिर यहाँ विद्यमान था। देश के विभाजन के बाद मन्दिर की स्थिति की सही जानकारी नहीं है। ढाका वस्त्र व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ की मलमल विश्वप्रसिद्ध थी। गुप्त वृंदावन व गोपेश्वर मन्दिर भी ढाका में स्थापित हैं।
 
वर्तमान बंगला देश की राजधानी व प्राचीन औद्योगिक नगर| ढाकेश्वरी देवी (भवानी) का प्राचीन मन्दिर यहाँ विद्यमान था। देश के विभाजन के बाद मन्दिर की स्थिति की सही जानकारी नहीं है। ढाका वस्त्र व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ की मलमल विश्वप्रसिद्ध थी। गुप्त वृंदावन व गोपेश्वर मन्दिर भी ढाका में स्थापित हैं।
  
यशोहट (वैश्वीट)  
+
=== यशोहर ( जैसोर ) ===
 
+
बंगला देश स्थित यह प्रधान शक्तिपीठ हैं। यहाँ पर भगवती सती की बायीं हथेली गिरी थी, अतः यहाँ शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यशोदेश्वरी देवी का मन्दिर ही शक्तिपीठ हैं।
बंगला देश स्थित यह प्रधान शक्तिपीठ हैं। यहाँ पर भगवती सती की  
 
 
 
बायीं हथेली गिरी थी, अतः यहाँ शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यशोदेश्वरी  
 
 
 
देवी का मन्दिर ही शक्तिपीठ हैं।  
 
 
 
चटग्राम देश की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझने वाले
 
 
 
क्रान्तिकारियों का प्रमुख केन्द्र रहा।मास्टर सूर्यसेन के नेतृत्व में क्रांतिकारियों
 
 
 
ने यहाँ के शस्त्रागार को लूट लिया था। यह शाक्त मतानुयायियों का
 
 
 
पवित्र तीर्थ स्थान है।शक्तिपीठ के रूप में चन्द्रशेखर पर्वत परचट्टल देवी
 
 
 
का मन्दिर पूजित है। सती का दक्षिण बाहु यहाँ गिरा था। चन्द्रशेखर शिव
 
 
 
हैं। यहाँ पर शिवरात्रि के पर्व पर मेला लगता था।
 
 
 
चुका
 
 
 
वर्तमान बंगला देश में स्थितप्राचीन नगर। मुस्लिम लीग की पाकिस्तान
 
 
 
के निर्माण के लिए की गयी "सीधी कार्यवाही' केअन्तर्गत यहाँभयंकर दंगे
 
 
 
हुए। हिन्दू मोहल्ले पूरे के पूरे समाप्त कर दिये गए। माता-बहनों को
 
 
 
सरेआम अपमानित किया गया।धार्मिक स्थानों की पवित्रता भंग की गयी।
 
 
 
खुलना के पास शिकारपुर नामक ग्राम में सुनन्दा नदी के तटपर उग्रतारा
 
 
 
देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है। सती की नासिका यहाँ पर
 
 
 
गिरी थी।
 
 
 
भवानीपुर, ईश्वरीपुर, कोमिल्ला, ब्रह्मपुत्रपुर, महार, कालीबाड़ी तथा
 
 
 
जयन्तियापुर आदि बंगलादेश स्थित प्रमुख स्थान हैं। इन स्थानों पर
 
 
 
संक्रान्ति जैसे पवों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। ब्रह्मपुत्र तीर्थ
 
 
 
तथा कुमारी कुण्ड में श्राद्ध करने का विशेष महात्म्य है। कालीबाड़ी
 
 
 
प्रतिष्ठित व जाग्रत देवी स्थान है।
 
 
 
त्रिव्ोता(ति्ता)
 
 
 
जलपाईगुड़ी जिले के शालवाड़ी ग्राम में त्रिस्रोता नदी के तट पर
 
 
 
भ्रामरी देवी का मन्दिर विराजित है। यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ है। सती
 
 
 
का बायाँ पैर यहाँ पर गिरा था। यह स्थान भ्रामरी पीठ के रूप में भी
 
 
 
प्रसिद्ध है।
 
 
 
ढहाविॉलेगा
 
 
 
एक सुरम्य पहाड़ी पर दार्जिलिंग स्थित है। यह प्राकृतिक सौंदर्य के
 
 
 
लिए विश्वभरमें विख्यात है। इसका प्राचीन नाम दुर्जयगिरि है। दार्जिलिंग
 
 
 
समुद्रतल से 2700 मीटर (लगभग) ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर दुर्जय
 
 
 
लिंग नामक शिवमन्दिर है। भेटिया समुदाय के ये प्रधान देवता हैं।
 
 
 
पशिचमोत्तर दिशा में अति शान्त और मनोरम पहाड़ी पर देवी का मन्दिर
 
 
 
व दिव्यकुण्ड नामक तीर्थ स्थान है।
 
 
 
शुवाहाटी (लोहटी)
 
 
 
असम प्रान्त की राजधानी (दिसपुर) व प्रमुख नगर है। इसका पुराना
 
 
 
मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर, स्वयम्भूनाथ मन्दिर आदि अन्य पूजनीय स्थान नाम प्रागज्योतिषपुर है। कामाख्या शक्तिपीठ, कामाक्षी देवी, उमानन्द(भैरव)
 
 
 
74 पुण्य भूमिभारत पूर्वोत्तरएवंपूर्वी भारत 75
 
 
 
अश्वक्रान्त, शिव की तप-स्थलीआदिपुण्य तीर्थ होने के कारण विख्यात
 
 
 
है। सत्ती का उरु भाग यहाँ पर गिरा था। सब प्रकार की कामनाओं को
 
 
 
पूर्ण करने वाली शक्तिपीठ के रूप में कामाख्या की प्रसिद्धिहै। महाभारत'
 
 
 
व देवी भगवत' में इस स्थान का श्रद्धा के साथ वर्णन किया गया है।
 
 
 
कामाख्या कामगिरि पहाड़ी पर स्थित है। कामाक्षी देवी नील पर्वत पर
 
 
 
विराजमान है। प्राचीन देवी मन्दिर को सन् 1564 ई.में काला पहाड़ नामक
 
 
 
मुस्लिम आक्रमणकारी ने तोड़ डाला था। वर्तमान मन्दिर कूच बिहार के
 
 
 
राजा का वनवाया हुआ है। यहाँ पर आश्विन, माघ व भाद्रपद मास में
 
 
 
विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोहित व मानस कुण्ड,श्रीपीठ,
 
 
 
रुद्रपीठ आदि अन्य पवित्र स्थान यहाँ हैं। लांचित व बड़फूकन का
 
 
 
कार्य-क्षेत्र यहीं है।
 
 
 
खाटयक्तिटया
 
 
 
मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से
 
 
 
लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती
 
 
 
देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी
 
 
 
थी |
 
 
 
बष्ट्रपदा
 
 
 
यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सन्त शांकरदेव का यह कर्मक्षेत्र
 
 
 
है। यहाँ पर अति विशाल एवं भव्य वैष्णव मन्दिर है जो सम्पूर्ण देश के
 
 
 
वैष्णवों का श्रद्धा-केन्द्र है।भागवत धर्म व कृष्ण-भक्ति का प्रचार करने के
 
 
 
लिए आचार्य शांकरदेव ने यहाँ एक प्रचार केन्द्र स्थापित किया।
 
 
 
वटद्धवा (वरदोबा) शांकरदेव जी का जन्म स्थान है।
 
 
 
तेहपुर
 
 
 
तेजपुरअसम प्रदेश का प्रमुख नगर है। सुरक्षा की दृष्टि से यह अति
 
 
 
महत्वपूर्ण नगर है। यह उत्तर-पूर्वी भारत का सैन्य मुख्यालय है।इसका
 
 
 
1. पीठानि चैकपंचशदभवन्मुनिपुंगव।
 
 
 
तेषु श्रेष्ठतम पीठ: कामरूपो महामते। (महाभारत) 2. कामेश्वरी च कामाख्यां कामरूपनिवासिनीम्।
 
 
 
प्राचीन नाम शोणितपुर है। महाभारतकालीन बाणासुर की राजधानी होने
 
 
 
का श्रेय भी इस नगर कीहै। बाणासुर द्वारा निर्मित भैरव मन्दिर आज भी
 
 
 
विद्यमान हैं।
 
 
 
शिवसागर
 
 
 
मुसलमानों(मुगलों समेत) से समस्त उत्तर-पूर्वी भारत की रक्षा करने
 
 
 
में समर्थ अहोम राजाओं की राजधानी शिवसागर रहा है। अहोम राजा
 
 
 
शिवसिंह ने यहाँ मुक्तिनाथ महादेव मन्दिर का निर्माण कराया। कहते हैं
 
 
 
कि मन्दिर-स्थित विग्रह स्वयंभू हैं। भगवान विष्णु व भगवती का मन्दिर भी
 
 
 
यहाँ है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है
 
 
 
जिसमें सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत के हिन्दू भाग लेते हैं।
 
 
 
डिब्रूगढ़
 
 
 
उत्तरी असम का प्राचीन प्रमुख नगर,भारत का सुदूर पूर्वी हवाईअड्डा
 
 
 
डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र के तट पर स्थित है। यहाँ से आगे ब्रह्मपुत्र नौकाचालन
 
 
 
योग्य नदी है।
 
 
 
प्गुटकुष्ठ
 
 
 
असम प्रदेश के अन्तर्गत यह पवित्र स्थान पर्वत की तलहटी में स्थित
 
 
 
है। यह वह स्थान हैजहाँ मातृहत्या के पाप के शमन हेतुपरशुरामजी ने
 
 
 
तपस्या कीथी। यहीं पर ब्रह्मपुत्र का पर्वतीयक्षेत्र को पार करमैदानी भाग
 
 
 
में प्रवेश होता है। पहले ब्रह्मपुत्र पर्वतों से घिरे एक विशाल सागर के रूप
 
 
 
में थी,परशुराम जी नेअपने फरसे से ब्रह्मपुत्र के लिए भारतीयक्षेत्र में मार्ग
 
 
 
बनाया था। पहले परशुराम कुण्ड ब्रह्मपुत्र के तट परअलग से एक सरोवर
 
 
 
के रूप में था, कालान्तर में अपरदन व भू-स्खलन के कारण यह ब्रह्मपुत्र
 
 
 
की धारा में समाहित हो गया ।
 
 
 
लोकावाली
 
 
 
अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत पड़ने वाला यह ऐतिहासिक स्थान
 
 
 
महाभारतकालीन नगर हैं। यहाँ पर मालिनी देवी का प्राचीन मन्दिर है।
 
 
 
भगवान् श्रीकृष्ण की पट्टमहिषी रुक्मिणी ने इसी मन्दिर में पूजा की थी।
 
 
 
यहीं से श्री कृष्ण ने रुक्मिणी काअपहरण कर अपनी पत्नी रूप में स्वीकार तप्त कांचन संकशां तां नमामि सुरेश्वरीम्।(देवी भागवत) किया ।
 
 
 
पूर्वोत्तरएवंपूर्वीभारत 77
 
 
 
दीमापुर
 
 
 
यह ऐतिहासिक स्थल वर्तमान नागालैण के अन्तर्गत आता है।
 
 
 
महाभारत में इसका वर्णन हिडिम्बपुर नाम से किया गया है। यह वह स्थान
 
 
 
है जहाँ वनवास-काल मेंभीम ने हिडिम्बा से विवाह किया था । घटोत्कच.
 
 
 
जिसने महाभारत युद्ध के दौरान कौरव सेना का संहार कर कर्ण को
 
 
 
दिव्यास्त्र का प्रयोग करने के लिए विवश कर दिया था, हिडिम्बा का ही
 
 
 
पुत्र था। पास की एक पहाड़ी पर महादेव शिव का मन्दिर यहाँ का पूज्य
 
 
 
स्थान है।
 
 
 
उदयपुर .
 
 
 
उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति
 
 
 
का त्रिपुर सुन्दरी नामक मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ पर सती का
 
 
 
दांया पैर गिरा था। यह स्थान वर्तमान राधाकिशोरपुर गाँव के पास एक
 
 
 
पहाड़ी पर विद्यमान है।
 
 
 
इग्नल
 
 
 
इम्फाल मणिपुर राज्य का ऐतिहासिक स्थान है। महाभारतकाल में
 
 
 
युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को वधुवाहन ने यहीं पर रोक लिया था
 
 
 
औरअर्जुन को युद्ध करने के लिए विवश कर दिया था। सशस्त्र संघर्ष
 
 
 
द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र के अभियान का
 
 
 
इम्फाल मुख्य केन्द्र था। आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी सेना को परास्त
 
 
 
कर यहाँ पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया था। यहीं पर नेताजी ने
 
 
 
स्वतंत्रता-सेनानियों की 'दिल्ली चलो" का आदेश दिया था ।
 
 
 
अगरतला, कोहिमा,ईटानगर औरआइजोल क्रमश: त्रिपुरा, नागालैण्ड,
 
 
 
अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम राज्यों की राजधानियाँ हैं। आज यह सारा
 
 
 
क्षेत्र अलगाववादियों की गतिविधियों से प्रभावित हैं। मिजोरम में तो
 
 
 
सत्ता-प्राप्ति के लिएचुनाव के समय बाइबिल के अनुसार शासन चलाने
 
 
 
का वायदा किया गया था|
 
 
 
माण्डले
 
 
 
माण्डले ब्रह्मदेश का ऐतिहासिक नगर है। हिन्दू संस्कृति के अनेक
 
 
 
को माण्डले जल में सजा काटने भेजती थी| लोकमान्य बालगंगाधर
 
 
 
तिलक तथा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस इसी नगर में बन्दी बनाकर रखे गये
 
 
 
थे। तिलक ने माण्डले के जेल में ही 'गीता रहस्य' नामक ग्रन्थ लिखा।
 
 
 
संयुक्तब्रह्मदेश की राजधानीऔरप्रमुख बन्दरगाहहै। यहइरावदी (ऐरावती)
 
 
 
के मुहाने पर स्थित है।
 
 
 
प्रमाण यहाँ मिलते हैं।अंग्रेज सरकार स्वतंत्रता संग्राम केअग्रगण्य नेताओं
 
 
 
ठ्ठउत्कल का प्राचीन प्रशासनिक केन्द्र | यह महानदी के तट पर
 
 
 
विद्यमान है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म कटक में ही हुआ था।
 
 
 
नगर में कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थान हैं। महानदी केतट पर धवलेश्वर
 
 
 
Dite EGl्व
 
 
 
महादेव नाम का प्राचीन मन्दिर हैं।
 
 
 
यात्रापुट (खाखतिपुर)
 
 
 
यह प्राचीन नगरहै। ब्रह्माजी ने यहाँ यज्ञ किया था,अत: इसका नाम
 
 
 
भारतभूमि के उत्तर-पश्चिमी,उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वीक्षेत्रों के महत्वपूर्ण
 
 
 
यज्ञपुर या योजपुर हुआ। यज्ञ से विरजादेवी का प्राकट्य हुआ जो आज
 
 
 
स्थलों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करने के उपरांत अब हम मध्यभारत
 
 
 
विरजा देवी के मन्दिर में प्रतिष्ठित हैं। याजपुर को नाभिगया के नाम से
 
 
 
(उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात) में स्थित प्रमुख स्थलों के
 
 
 
भी जाना जाता है। वैतरणी नदी याजपुर के समीप बहती है। नदी के तट
 
 
 
ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक परिदृश्य को हृदयंगम करने का प्रयत्न
 
 
 
पर सुन्दर घाट व मन्दिर बने हैं। भगवान् विष्णु, सप्त मातृका, त्रिलोचन
 
 
 
करेंगे। उपर्युक्त विवेचन में यद्यपि वर्तमान राजनीतिक इकाइयों को ध्यान
 
 
 
शिव नामक प्रमुख मन्दिरहैं। घाट से थोड़ी दूरी पर प्राचीन गरुड़ स्तम्भ
 
 
 
में रखते हुए विषय का प्रस्तुतीकरण किया है,परन्तु कहीं-कहीं सामीप्यता
 
 
 
व विरजा देवी का मन्दिर है। यह प्रमुख शक्तिपीठ है। भगवती सती का
 
 
 
के कारण दो राजनीतिक इकाइयों के स्थानों का वर्णन एक साथ कर दिया
 
 
 
नाथि प्रदेश यहाँ गिरा था, अत: इसे नाभिपीठ भी कहा जाता है।
 
 
 
है। उद्देश्य एक ही रहा है कि तारतम्यता बनी रहे और कोई महत्वपूर्ण
 
 
 
उछालपुर स्थल छूट न जाये।
 
 
 
सम्भलपुर महानदी के किनारे स्थित अति प्राचीन नगर है। ग्रीक
 
 
 
एकऔरमहत्व की बात यहहै कि पुनरुक्ति से बचने का प्रयत्न किया
 
 
 
विद्वान टालेमी ने (दूसरी शताब्दी) इसका वर्णन मानद' के तट पर स्थित
 
 
 
गया है।अत: कहीं-कहीं ऐसा लग सकता हैकि कुछ स्थान छूट गये हैं।
 
 
 
'सम्बलक' के रूप में किया है। यहीं पर परिमल गिरेि नामक बौद्ध पवित्र नदियों अथवा पर्वतों आदि की महिमा का प्रतिपादन करते समय
 
 
 
विश्वविद्यालय था। वज़यान नामक बौद्ध सम्प्रदाय के प्रवर्तक इन्द्रभूति का
 
  
कुछ स्थलों का विवरण भी आ गया है,अत: व्यर्थ ही पुस्तक के आकार
+
=== चट्टग्राम ===
 +
चटग्राम देश की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझने वाले क्रान्तिकारियों का प्रमुख केन्द्र रहा। मास्टर सूर्यसेन के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने यहाँ के शस्त्रागार को लूट लिया था। यह शाक्त मतानुयायियों का पवित्र तीर्थ स्थान है।शक्तिपीठ के रूप में चन्द्रशेखर पर्वत परचट्टल देवी का मन्दिर पूजित है। सती का दक्षिण बाहु यहाँ गिरा था। चन्द्रशेखर शिव हैं। यहाँ पर शिवरात्रि के पर्व पर मेला लगता था।
  
जन्म-स्थान भी यही है। सम्बलेश्वरी या सामालयी यहाँ प्रधान पूज्य देवी
+
=== खुलना ===
 +
वर्तमान बंगला देश में स्थितप्राचीन नगर। मुस्लिम लीग की पाकिस्तान के निर्माण के लिए की गयी "सीधी कार्यवाही' के अन्तर्गत यहाँ भयंकर दंगेहुए। हिन्दू मोहल्ले पूरे के पूरे समाप्त कर दिये गए। माता-बहनों को सरेआम अपमानित किया गया।धार्मिक स्थानों की पवित्रता भंग की गयी। खुलना के पास शिकारपुर नामक ग्राम में सुनन्दा नदी के तटपर उग्रतारा देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है। सती की नासिका यहाँ पर गिरी थी।
  
में वृद्धि सेबचने के लिए स्थानों के वर्णन में उन्हेंछोड़ दिया गयाहै। आगे
+
भवानीपुर, ईश्वरीपुर, कोमिल्ला, ब्रह्मपुत्रपुर, महार, कालीबाड़ी तथा जयन्तियापुर आदि बंगलादेश स्थित प्रमुख स्थान हैं। इन स्थानों पर संक्रान्ति जैसे पवों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। ब्रह्मपुत्र तीर्थ तथा कुमारी कुण्ड में श्राद्ध करने का विशेष महात्म्य है। कालीबाड़ी प्रतिष्ठित व जाग्रत देवी स्थान है।
  
हैं जो महानदी के तट पर स्थित सामलयी गुडी नामक मन्दिर में प्रतिष्ठित भी इसी बात को ध्यान में रखकर विषय का प्रतिपादन करेंगे।
+
=== त्रिस्रोता (तीस्ता ) ===
 +
जलपाईगुड़ी जिले के शालवाड़ी ग्राम में त्रिस्रोता नदी के तट पर भ्रामरी देवी का मन्दिर विराजित है। यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ है। सती का बायाँ पैर यहाँ पर गिरा था। यह स्थान भ्रामरी पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है।
  
हैं। होमा, मानेश्वर पास ही स्थित पवित्र तीर्थ हैं।
+
=== दार्जिलिंग ===
 +
एक सुरम्य पहाड़ी पर दार्जिलिंग स्थित है। यह प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वभरमें विख्यात है। इसका प्राचीन नाम दुर्जयगिरि है। दार्जिलिंग समुद्रतल से 2700 मीटर (लगभग) ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर दुर्जय लिंग नामक शिवमन्दिर है। भेटिया समुदाय के ये प्रधान देवता हैं। पश्चिमोत्तार दिशा में अति शान्त और मनोरम पहाड़ी पर देवी का मन्दिर व दिव्यकुण्ड नामक तीर्थ स्थान है।
  
मुटावेटर
+
गुवाहाटी (गोहाटी)
  
कोणावल यह ऐतिहासिक नगर वर्तमान उड़ीसा की राजधानी है। प्राचीन  
+
असम प्रान्त की राजधानी (दिसपुर) व प्रमुख नगर है। इसका पुराना मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर, स्वयम्भूनाथ मन्दिर आदि अन्य पूजनीय स्थान नाम प्रागज्योतिषपुर है। कामाख्या शक्तिपीठ, कामाक्षी देवी, उमानन्द(भैरव) अश्वक्रान्त, शिव की तप-स्थलीआदिपुण्य तीर्थ होने के कारण विख्यात है। सत्ती का उरु भाग यहाँ पर गिरा था। सब प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाली शक्तिपीठ के रूप में कामाख्या की प्रसिद्धिहै। महाभारत' व देवी भगवत' में इस स्थान का श्रद्धा के साथ वर्णन किया गया है। कामाख्या कामगिरि पहाड़ी पर स्थित है। कामाक्षी देवी नील पर्वत पर विराजमान है। प्राचीन देवी मन्दिर को सन् १५६४  ई.में काला पहाड़ नामक मुस्लिम आक्रमणकारी ने तोड़ डाला था। वर्तमान मन्दिर कूच बिहार के राजा का वनवाया हुआ है। यहाँ पर आश्विन, माघ व भाद्रपद मास में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोहित व मानस कुण्ड,श्रीपीठ, रुद्रपीठ आदि अन्य पवित्र स्थान यहाँ हैं। लांचित व बड़फूकन का कार्य-क्षेत्र यहीं है।
  
कोणार्क को प्राचीन पद्मक्षेत्र कहा जाता है।भगवान् श्रीकृष्ण केपुत्र उत्कल राज्य की राजधानी भी यह नगर रहा है। यह मन्दिरों का नगर
+
=== जयन्तिया ===
 +
मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी थी |
  
साम्ब ने यहाँ सूर्योपासना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी। साम्ब ने यहाँ पर है।श्री लिंगराज मन्दिर, राजारानीमन्दिर तथा भुवनेश्वर मन्दिर यहाँ के
+
=== बारपेटा ===
 +
यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सन्त शांकरदेव का यह कर्मक्षेत्र है। यहाँ पर अति विशाल एवं भव्य वैष्णव मन्दिर है जो सम्पूर्ण देश के वैष्णवों का श्रद्धा-केन्द्र है।भागवत धर्म व कृष्ण-भक्ति का प्रचार करने के लिए आचार्य शांकरदेव ने यहाँ एक प्रचार केन्द्र स्थापित किया। वटद्धवा (वरदोबा) शांकरदेव जी का जन्म स्थान है।
  
सूर्य-मूर्ति की स्थापना की थी (यह मूर्ति अब पुरी संग्रहालय में सुरक्षित विशाल व भव्य मन्दिर हैं। महाप्रतापी खारवेल की राजधानी भी यह नगर  
+
=== तेजपुर ===
 +
तेजपुर असम प्रदेश का प्रमुख नगर है। सुरक्षा की दृष्टि से यह अति महत्वपूर्ण नगर है। यह उत्तर-पूर्वी भारत का सैन्य मुख्यालय है।इसका प्राचीन नाम शोणितपुर है। महाभारतकालीन बाणासुर की राजधानी होने का श्रेय भी इस नगर की है। बाणासुर द्वारा निर्मित भैरव मन्दिर आज भी विद्यमान हैं।
  
है)। वर्तमान में बना रथाकार सूर्य मन्दिर 13वीं शताब्दी का है। इसकी रहा है। खारवेल ने ग्रीक आक्रमणकारी डेमेट्रियस को भारत से बाहर
+
=== शिवसागर ===
 +
मुसलमानों(मुगलों समेत) से समस्त उत्तर-पूर्वी भारत की रक्षा करने में समर्थ अहोम राजाओं की राजधानी शिवसागर रहा है। अहोम राजा शिवसिंह ने यहाँ मुक्तिनाथ महादेव मन्दिर का निर्माण कराया। कहते हैं कि मन्दिर-स्थित विग्रह स्वयंभू हैं। भगवान विष्णु व भगवती का मन्दिर भी यहाँ है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है जिसमें सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत के हिन्दू भाग लेते हैं।
  
कला उत्कृष्ट कोटि की है। विधर्मी आक्रमणकारियों नेइसे कई बारतोड़ा खदेड़ दिया। और लूटा,परन्तुपूरीतरह सफल नहींहो पाये। मन्दिरका शिखर व पहिए
+
=== डिब्रूगढ़ ===
 +
उत्तरी असम का प्राचीन प्रमुख नगर,भारत का सुदूर पूर्वी हवाईअड्डा डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र के तट पर स्थित है। यहाँ से आगे ब्रह्मपुत्र नौकाचालन योग्य नदी है।  
  
अमरकण्टक टूटे हुए हैं। सूर्य-मन्दिर के पृष्ठभाग में सूर्य पत्नी संज्ञा का मन्दिर है।  
+
=== परशुरामकुण्ड ===
 +
असम प्रदेश के अन्तर्गत यह पवित्र स्थान पर्वत की तलहटी में स्थित है। यह वह स्थान हैजहाँ मातृहत्या के पाप के शमन हेतु परशुरामजी ने तपस्या की थी। यहीं पर ब्रह्मपुत्र का पर्वतीयक्षेत्र को पार कर मैदानी भाग में प्रवेश होता है। पहले ब्रह्मपुत्र पर्वतों से घिरे एक विशाल सागर के रूप में थी,परशुराम जी नेअपने फरसे से ब्रह्मपुत्र के लिए भारतीय क्षेत्र में मार्ग बनाया था। पहले परशुराम कुण्ड ब्रह्मपुत्र के तट परअलग से एक सरोवर के रूप में था, कालान्तर में अपरदन व भू-स्खलन के कारण यह ब्रह्मपुत्र की धारा में समाहित हो गया ।
  
शिखर पर अमरनाथ महादेव, नर्मदा देवी, नर्मदेश्वर व
+
=== लीकावाली ===
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अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत पड़ने वाला यह ऐतिहासिक स्थान महाभारतकालीन नगर हैं। यहाँ पर मालिनी देवी का प्राचीन मन्दिर है। भगवान् श्रीकृष्ण की पट्टमहिषी रुक्मिणी ने इसी मन्दिर में पूजा की थी। यहीं से श्री कृष्ण ने रुक्मिणी काअपहरण कर अपनी पत्नी रूप में स्वीकार तप्त कांचन संकशां तां नमामि सुरेश्वरीम्।(देवी भागवत) किया ।
  
यह भी भग्नावस्था में हैं।
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=== दीमापुर ===
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यह ऐतिहासिक स्थल वर्तमान नागालैण के अन्तर्गत आता है। महाभारत में इसका वर्णन हिडिम्बपुर नाम से किया गया है। यह वह स्थान है जहाँ वनवास-काल में भीम ने हिडिम्बा से विवाह किया था । घटोत्कच. जिसने महाभारत युद्ध के दौरान कौरव सेना का संहार कर कर्ण को दिव्यास्त्र का प्रयोग करने के लिए विवश कर दिया था, हिडिम्बा का ही पुत्र था। पास की एक पहाड़ी पर महादेव शिव का मन्दिर यहाँ का पूज्य स्थान है।
  
अमरकण्टकेश्वर के मन्दिर बने हैं। यहाँ पर कईशैव व वैष्णव मन्दिर तथा
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=== उदयपुर . ===
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उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति का त्रिपुर सुन्दरी नामक मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ पर सती का दांया पैर गिरा था। यह स्थान वर्तमान राधाकिशोरपुर गाँव के पास एक पहाड़ी पर विद्यमान है।
  
चिल्काझील
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=== इम्फाल ===
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इम्फाल मणिपुर राज्य का ऐतिहासिक स्थान है। महाभारतकाल में युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को वधुवाहन ने यहीं पर रोक लिया था औरअर्जुन को युद्ध करने के लिए विवश कर दिया था। सशस्त्र संघर्ष द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र के अभियान का इम्फाल मुख्य केन्द्र था। आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी सेना को परास्त कर यहाँ पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया था। यहीं पर नेताजी ने स्वतंत्रता-सेनानियों की 'दिल्ली चलो" का आदेश दिया था । अगरतला, कोहिमा,ईटानगर औरआइजोल क्रमश: त्रिपुरा, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम राज्यों की राजधानियाँ हैं। आज यह सारा क्षेत्र अलगाववादियों की गतिविधियों से प्रभावित हैं। मिजोरम में तो सत्ता-प्राप्ति के लिएचुनाव के समय बाइबिल के अनुसार शासन चलाने का वायदा किया गया था|
  
पवित्र सरोवर व कुण्ड हैं। केशव नारायण तथा मत्स्येन्द्रनाथ के मन्दिर
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=== माण्डले ===
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माण्डले ब्रह्मदेश का ऐतिहासिक नगर है। हिन्दू संस्कृति के अनेक को माण्डले जल में सजा काटने भेजती थी| लोकमान्य बालगंगाधर तिलक तथा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस इसी नगर में बन्दी बनाकर रखे गये थे। तिलक ने माण्डले के जेल में ही 'गीता रहस्य' नामक ग्रन्थ लिखा। 
  
उड़ीसा (उत्कल) जहाँ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है,
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=== रंगून ===
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ब्रह्मदेश की राजधानी और प्रमुख बन्दरगाह है। यह इरावदी (ऐरावती) के मुहाने पर स्थित है।
  
प्रमुख हैं। मार्कण्डेय आश्रम, भूगुकमण्डल, कपिलधारा आदि ऋषियों के
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==References==
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<references />
  
प्रसिद्ध स्थान अमरकण्टक के आसपास ही हैं। कालिदास द्वारा रचित वहीं प्राकृतिक सुषमा में भी बेजोड़ है। चिल्का झील इसका उदाहरण है।
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[[Category: पुण्यभूमि भारत ]]
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Latest revision as of 15:55, 16 April 2021


पूर्वोत्तर एवं पूर्वी भारत

कोलकाता (कलकत्ता)

वर्तमान पं. बंगाल राज्य की राजधानी कलकत्ता स्वामी विवेकानन्द, केशवचन्द्र सेन, रवीन्द्र नाथ ठाकुर, चितरंजन दास की जन्मभूमि है तथा रामकृष्ण परमहंस, राजा राममोहन राय, सुभाष चन्द्र बोस, तथा डा. हेडगेवार की कर्मस्थली हैं। यहाँ पर प्रसिद्ध काली मन्दिर, दक्षिणेश्वर, बेल्लूर मठ,श्री पाश्र्वनाथजीआदि काली के पावन मन्दिर व तीर्थ स्थान हैं। आदिकाली जाग्रत शक्तिपीठ माना जाता है। जगन्माता काली के नाम पर इस नगर का नामकरण कालीकांता हुआ जो धीरे-धीरे कोलकाता हो गया |

शान्तिनिकेतन

वीरभूमि (वीरों की भूमि) के अन्तर्गत आम्रनिकुंजों के मध्य विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है शान्तिनिकेतन। यह भारतीय आदर्शों के अनुकूल शिक्षा देने वाला अद्वितीय विद्यामन्दिर है। विश्वभर से हजारों ज्ञान पिपासु छात्र-छात्राएँ यहाँ विद्याध्ययन हेतु आते हैं।

नवद्वीप

नवद्वीप चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थान है। यह पतितपावनी गंगा के तट पर स्थित है।चैतन्य महाप्रभु का जन्म-स्थान होने के कारण नवद्वीप (नदियां) गौड़ीय वैष्णवों का महातीर्थ है। यहाँअनेक मन्दिर व धर्मशालाएँ हैं। श्री गौराांग महाप्रभु मन्दिर, श्री अद्वैताचार्य मन्दिर, श्री हरगोविन्द मन्दिर, शचीमाता, विष्णुप्रिया आदि दर्शनीय मन्दिर हैं।

गंगासागर

कोलकाता से लगभग १४५ कि.मी. दक्षिण में एक द्वीप है जहाँ पतितपावनी गांगा सागर में विलीन होती है, अत: यह स्थान गांगासागर संगम कहलाता है और द्वीप को सागर द्वीप कहते हैं। मकर संक्रांति पर यहाँ विशाल मेला लगता है जिसमें सम्पूर्ण भारत से तीर्थ यात्री आते हैं। यहाँ पर प्राचीन काल में कपिल मुनि का आश्रम था जो कालान्तर में समुद्र में समा गया। अबभी कपिल मुनि की मूर्ति मेले के समय लाकर समुद्रतट पर स्थापित कर दी जाती है और मेले के बाद कोलकाता ले आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भी कुछ तीर्थयात्री यहाँ पहुँचते हैं।

ढाका

वर्तमान बंगला देश की राजधानी व प्राचीन औद्योगिक नगर| ढाकेश्वरी देवी (भवानी) का प्राचीन मन्दिर यहाँ विद्यमान था। देश के विभाजन के बाद मन्दिर की स्थिति की सही जानकारी नहीं है। ढाका वस्त्र व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ की मलमल विश्वप्रसिद्ध थी। गुप्त वृंदावन व गोपेश्वर मन्दिर भी ढाका में स्थापित हैं।

यशोहर ( जैसोर )

बंगला देश स्थित यह प्रधान शक्तिपीठ हैं। यहाँ पर भगवती सती की बायीं हथेली गिरी थी, अतः यहाँ शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यशोदेश्वरी देवी का मन्दिर ही शक्तिपीठ हैं।

चट्टग्राम

चटग्राम देश की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझने वाले क्रान्तिकारियों का प्रमुख केन्द्र रहा। मास्टर सूर्यसेन के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने यहाँ के शस्त्रागार को लूट लिया था। यह शाक्त मतानुयायियों का पवित्र तीर्थ स्थान है।शक्तिपीठ के रूप में चन्द्रशेखर पर्वत परचट्टल देवी का मन्दिर पूजित है। सती का दक्षिण बाहु यहाँ गिरा था। चन्द्रशेखर शिव हैं। यहाँ पर शिवरात्रि के पर्व पर मेला लगता था।

खुलना

वर्तमान बंगला देश में स्थितप्राचीन नगर। मुस्लिम लीग की पाकिस्तान के निर्माण के लिए की गयी "सीधी कार्यवाही' के अन्तर्गत यहाँ भयंकर दंगेहुए। हिन्दू मोहल्ले पूरे के पूरे समाप्त कर दिये गए। माता-बहनों को सरेआम अपमानित किया गया।धार्मिक स्थानों की पवित्रता भंग की गयी। खुलना के पास शिकारपुर नामक ग्राम में सुनन्दा नदी के तटपर उग्रतारा देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है। सती की नासिका यहाँ पर गिरी थी।

भवानीपुर, ईश्वरीपुर, कोमिल्ला, ब्रह्मपुत्रपुर, महार, कालीबाड़ी तथा जयन्तियापुर आदि बंगलादेश स्थित प्रमुख स्थान हैं। इन स्थानों पर संक्रान्ति जैसे पवों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। ब्रह्मपुत्र तीर्थ तथा कुमारी कुण्ड में श्राद्ध करने का विशेष महात्म्य है। कालीबाड़ी प्रतिष्ठित व जाग्रत देवी स्थान है।

त्रिस्रोता (तीस्ता )

जलपाईगुड़ी जिले के शालवाड़ी ग्राम में त्रिस्रोता नदी के तट पर भ्रामरी देवी का मन्दिर विराजित है। यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ है। सती का बायाँ पैर यहाँ पर गिरा था। यह स्थान भ्रामरी पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है।

दार्जिलिंग

एक सुरम्य पहाड़ी पर दार्जिलिंग स्थित है। यह प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वभरमें विख्यात है। इसका प्राचीन नाम दुर्जयगिरि है। दार्जिलिंग समुद्रतल से 2700 मीटर (लगभग) ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर दुर्जय लिंग नामक शिवमन्दिर है। भेटिया समुदाय के ये प्रधान देवता हैं। पश्चिमोत्तार दिशा में अति शान्त और मनोरम पहाड़ी पर देवी का मन्दिर व दिव्यकुण्ड नामक तीर्थ स्थान है।

गुवाहाटी (गोहाटी)

असम प्रान्त की राजधानी (दिसपुर) व प्रमुख नगर है। इसका पुराना मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर, स्वयम्भूनाथ मन्दिर आदि अन्य पूजनीय स्थान नाम प्रागज्योतिषपुर है। कामाख्या शक्तिपीठ, कामाक्षी देवी, उमानन्द(भैरव) अश्वक्रान्त, शिव की तप-स्थलीआदिपुण्य तीर्थ होने के कारण विख्यात है। सत्ती का उरु भाग यहाँ पर गिरा था। सब प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाली शक्तिपीठ के रूप में कामाख्या की प्रसिद्धिहै। महाभारत' व देवी भगवत' में इस स्थान का श्रद्धा के साथ वर्णन किया गया है। कामाख्या कामगिरि पहाड़ी पर स्थित है। कामाक्षी देवी नील पर्वत पर विराजमान है। प्राचीन देवी मन्दिर को सन् १५६४ ई.में काला पहाड़ नामक मुस्लिम आक्रमणकारी ने तोड़ डाला था। वर्तमान मन्दिर कूच बिहार के राजा का वनवाया हुआ है। यहाँ पर आश्विन, माघ व भाद्रपद मास में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोहित व मानस कुण्ड,श्रीपीठ, रुद्रपीठ आदि अन्य पवित्र स्थान यहाँ हैं। लांचित व बड़फूकन का कार्य-क्षेत्र यहीं है।

जयन्तिया

मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी थी |

बारपेटा

यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सन्त शांकरदेव का यह कर्मक्षेत्र है। यहाँ पर अति विशाल एवं भव्य वैष्णव मन्दिर है जो सम्पूर्ण देश के वैष्णवों का श्रद्धा-केन्द्र है।भागवत धर्म व कृष्ण-भक्ति का प्रचार करने के लिए आचार्य शांकरदेव ने यहाँ एक प्रचार केन्द्र स्थापित किया। वटद्धवा (वरदोबा) शांकरदेव जी का जन्म स्थान है।

तेजपुर

तेजपुर असम प्रदेश का प्रमुख नगर है। सुरक्षा की दृष्टि से यह अति महत्वपूर्ण नगर है। यह उत्तर-पूर्वी भारत का सैन्य मुख्यालय है।इसका प्राचीन नाम शोणितपुर है। महाभारतकालीन बाणासुर की राजधानी होने का श्रेय भी इस नगर की है। बाणासुर द्वारा निर्मित भैरव मन्दिर आज भी विद्यमान हैं।

शिवसागर

मुसलमानों(मुगलों समेत) से समस्त उत्तर-पूर्वी भारत की रक्षा करने में समर्थ अहोम राजाओं की राजधानी शिवसागर रहा है। अहोम राजा शिवसिंह ने यहाँ मुक्तिनाथ महादेव मन्दिर का निर्माण कराया। कहते हैं कि मन्दिर-स्थित विग्रह स्वयंभू हैं। भगवान विष्णु व भगवती का मन्दिर भी यहाँ है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है जिसमें सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत के हिन्दू भाग लेते हैं।

डिब्रूगढ़

उत्तरी असम का प्राचीन प्रमुख नगर,भारत का सुदूर पूर्वी हवाईअड्डा डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र के तट पर स्थित है। यहाँ से आगे ब्रह्मपुत्र नौकाचालन योग्य नदी है।

परशुरामकुण्ड

असम प्रदेश के अन्तर्गत यह पवित्र स्थान पर्वत की तलहटी में स्थित है। यह वह स्थान हैजहाँ मातृहत्या के पाप के शमन हेतु परशुरामजी ने तपस्या की थी। यहीं पर ब्रह्मपुत्र का पर्वतीयक्षेत्र को पार कर मैदानी भाग में प्रवेश होता है। पहले ब्रह्मपुत्र पर्वतों से घिरे एक विशाल सागर के रूप में थी,परशुराम जी नेअपने फरसे से ब्रह्मपुत्र के लिए भारतीय क्षेत्र में मार्ग बनाया था। पहले परशुराम कुण्ड ब्रह्मपुत्र के तट परअलग से एक सरोवर के रूप में था, कालान्तर में अपरदन व भू-स्खलन के कारण यह ब्रह्मपुत्र की धारा में समाहित हो गया ।

लीकावाली

अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत पड़ने वाला यह ऐतिहासिक स्थान महाभारतकालीन नगर हैं। यहाँ पर मालिनी देवी का प्राचीन मन्दिर है। भगवान् श्रीकृष्ण की पट्टमहिषी रुक्मिणी ने इसी मन्दिर में पूजा की थी। यहीं से श्री कृष्ण ने रुक्मिणी काअपहरण कर अपनी पत्नी रूप में स्वीकार तप्त कांचन संकशां तां नमामि सुरेश्वरीम्।(देवी भागवत) किया ।

दीमापुर

यह ऐतिहासिक स्थल वर्तमान नागालैण के अन्तर्गत आता है। महाभारत में इसका वर्णन हिडिम्बपुर नाम से किया गया है। यह वह स्थान है जहाँ वनवास-काल में भीम ने हिडिम्बा से विवाह किया था । घटोत्कच. जिसने महाभारत युद्ध के दौरान कौरव सेना का संहार कर कर्ण को दिव्यास्त्र का प्रयोग करने के लिए विवश कर दिया था, हिडिम्बा का ही पुत्र था। पास की एक पहाड़ी पर महादेव शिव का मन्दिर यहाँ का पूज्य स्थान है।

उदयपुर .

उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति का त्रिपुर सुन्दरी नामक मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ पर सती का दांया पैर गिरा था। यह स्थान वर्तमान राधाकिशोरपुर गाँव के पास एक पहाड़ी पर विद्यमान है।

इम्फाल

इम्फाल मणिपुर राज्य का ऐतिहासिक स्थान है। महाभारतकाल में युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को वधुवाहन ने यहीं पर रोक लिया था औरअर्जुन को युद्ध करने के लिए विवश कर दिया था। सशस्त्र संघर्ष द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र के अभियान का इम्फाल मुख्य केन्द्र था। आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी सेना को परास्त कर यहाँ पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया था। यहीं पर नेताजी ने स्वतंत्रता-सेनानियों की 'दिल्ली चलो" का आदेश दिया था । अगरतला, कोहिमा,ईटानगर औरआइजोल क्रमश: त्रिपुरा, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम राज्यों की राजधानियाँ हैं। आज यह सारा क्षेत्र अलगाववादियों की गतिविधियों से प्रभावित हैं। मिजोरम में तो सत्ता-प्राप्ति के लिएचुनाव के समय बाइबिल के अनुसार शासन चलाने का वायदा किया गया था|

माण्डले

माण्डले ब्रह्मदेश का ऐतिहासिक नगर है। हिन्दू संस्कृति के अनेक को माण्डले जल में सजा काटने भेजती थी| लोकमान्य बालगंगाधर तिलक तथा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस इसी नगर में बन्दी बनाकर रखे गये थे। तिलक ने माण्डले के जेल में ही 'गीता रहस्य' नामक ग्रन्थ लिखा।

रंगून

ब्रह्मदेश की राजधानी और प्रमुख बन्दरगाह है। यह इरावदी (ऐरावती) के मुहाने पर स्थित है।

References