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→‎उदयपुर .: लेख सम्पादित किया
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=== उदयपुर . ===
 
=== उदयपुर . ===
उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति  
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उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति का त्रिपुर सुन्दरी नामक मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ पर सती का दांया पैर गिरा था। यह स्थान वर्तमान राधाकिशोरपुर गाँव के पास एक पहाड़ी पर विद्यमान है।
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का त्रिपुर सुन्दरी नामक मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ पर सती का  
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=== इम्फाल ===
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इम्फाल मणिपुर राज्य का ऐतिहासिक स्थान है। महाभारतकाल में युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को वधुवाहन ने यहीं पर रोक लिया था औरअर्जुन को युद्ध करने के लिए विवश कर दिया था। सशस्त्र संघर्ष द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र के अभियान का इम्फाल मुख्य केन्द्र था। आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी सेना को परास्त कर यहाँ पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया था। यहीं पर नेताजी ने स्वतंत्रता-सेनानियों की 'दिल्ली चलो" का आदेश दिया था । अगरतला, कोहिमा,ईटानगर औरआइजोल क्रमश: त्रिपुरा, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम राज्यों की राजधानियाँ हैं। आज यह सारा क्षेत्र अलगाववादियों की गतिविधियों से प्रभावित हैं। मिजोरम में तो सत्ता-प्राप्ति के लिएचुनाव के समय बाइबिल के अनुसार शासन चलाने का वायदा किया गया था|
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दांया पैर गिरा था। यह स्थान वर्तमान राधाकिशोरपुर गाँव के पास एक
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=== माण्डले ===
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माण्डले ब्रह्मदेश का ऐतिहासिक नगर है। हिन्दू संस्कृति के अनेक को माण्डले जल में सजा काटने भेजती थी| लोकमान्य बालगंगाधर तिलक तथा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस इसी नगर में बन्दी बनाकर रखे गये थे। तिलक ने माण्डले के जेल में ही 'गीता रहस्य' नामक ग्रन्थ लिखा। 
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पहाड़ी पर विद्यमान है।
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=== रंगून ===
 
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ब्रह्मदेश की राजधानी और प्रमुख बन्दरगाह है। यह इरावदी (ऐरावती) के मुहाने पर स्थित है।
इग्नल
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इम्फाल मणिपुर राज्य का ऐतिहासिक स्थान है। महाभारतकाल में
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युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को वधुवाहन ने यहीं पर रोक लिया था
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औरअर्जुन को युद्ध करने के लिए विवश कर दिया था। सशस्त्र संघर्ष
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द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र के अभियान का
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इम्फाल मुख्य केन्द्र था। आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी सेना को परास्त
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कर यहाँ पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया था। यहीं पर नेताजी ने
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स्वतंत्रता-सेनानियों की 'दिल्ली चलो" का आदेश दिया था ।
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अगरतला, कोहिमा,ईटानगर औरआइजोल क्रमश: त्रिपुरा, नागालैण्ड,
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अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम राज्यों की राजधानियाँ हैं। आज यह सारा
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क्षेत्र अलगाववादियों की गतिविधियों से प्रभावित हैं। मिजोरम में तो
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सत्ता-प्राप्ति के लिएचुनाव के समय बाइबिल के अनुसार शासन चलाने
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का वायदा किया गया था|
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माण्डले
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माण्डले ब्रह्मदेश का ऐतिहासिक नगर है। हिन्दू संस्कृति के अनेक
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को माण्डले जल में सजा काटने भेजती थी| लोकमान्य बालगंगाधर
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तिलक तथा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस इसी नगर में बन्दी बनाकर रखे गये
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थे। तिलक ने माण्डले के जेल में ही 'गीता रहस्य' नामक ग्रन्थ लिखा।
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संयुक्तब्रह्मदेश की राजधानीऔरप्रमुख बन्दरगाहहै। यहइरावदी (ऐरावती)
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के मुहाने पर स्थित है।
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प्रमाण यहाँ मिलते हैं।अंग्रेज सरकार स्वतंत्रता संग्राम केअग्रगण्य नेताओं
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ठ्ठउत्कल का प्राचीन प्रशासनिक केन्द्र | यह महानदी के तट पर
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विद्यमान है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म कटक में ही हुआ था।
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नगर में कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थान हैं। महानदी केतट पर धवलेश्वर
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महादेव नाम का प्राचीन मन्दिर हैं।
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यात्रापुट (खाखतिपुर)
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यह प्राचीन नगरहै। ब्रह्माजी ने यहाँ यज्ञ किया था,अत: इसका नाम
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भारतभूमि के उत्तर-पश्चिमी,उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वीक्षेत्रों के महत्वपूर्ण
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यज्ञपुर या योजपुर हुआ। यज्ञ से विरजादेवी का प्राकट्य हुआ जो आज
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स्थलों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करने के उपरांत अब हम मध्यभारत
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विरजा देवी के मन्दिर में प्रतिष्ठित हैं। याजपुर को नाभिगया के नाम से
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(उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात) में स्थित प्रमुख स्थलों के
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भी जाना जाता है। वैतरणी नदी याजपुर के समीप बहती है। नदी के तट
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ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक परिदृश्य को हृदयंगम करने का प्रयत्न
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पर सुन्दर घाट व मन्दिर बने हैं। भगवान् विष्णु, सप्त मातृका, त्रिलोचन
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करेंगे। उपर्युक्त विवेचन में यद्यपि वर्तमान राजनीतिक इकाइयों को ध्यान
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शिव नामक प्रमुख मन्दिरहैं। घाट से थोड़ी दूरी पर प्राचीन गरुड़ स्तम्भ
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में रखते हुए विषय का प्रस्तुतीकरण किया है,परन्तु कहीं-कहीं सामीप्यता
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व विरजा देवी का मन्दिर है। यह प्रमुख शक्तिपीठ है। भगवती सती का
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के कारण दो राजनीतिक इकाइयों के स्थानों का वर्णन एक साथ कर दिया
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नाथि प्रदेश यहाँ गिरा था, अत: इसे नाभिपीठ भी कहा जाता है।
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है। उद्देश्य एक ही रहा है कि तारतम्यता बनी रहे और कोई महत्वपूर्ण
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उछालपुर स्थल छूट न जाये।
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सम्भलपुर महानदी के किनारे स्थित अति प्राचीन नगर है। ग्रीक
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एकऔरमहत्व की बात यहहै कि पुनरुक्ति से बचने का प्रयत्न किया
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विद्वान टालेमी ने (दूसरी शताब्दी) इसका वर्णन मानद' के तट पर स्थित  
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गया है।अत: कहीं-कहीं ऐसा लग सकता हैकि कुछ स्थान छूट गये हैं।
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'सम्बलक' के रूप में किया है। यहीं पर परिमल गिरेि नामक बौद्ध पवित्र नदियों अथवा पर्वतों आदि की महिमा का प्रतिपादन करते समय
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विश्वविद्यालय था। वज़यान नामक बौद्ध सम्प्रदाय के प्रवर्तक इन्द्रभूति का
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कुछ स्थलों का विवरण भी आ गया है,अत: व्यर्थ ही पुस्तक के आकार
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जन्म-स्थान भी यही है। सम्बलेश्वरी या सामालयी यहाँ प्रधान पूज्य देवी
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में वृद्धि सेबचने के लिए स्थानों के वर्णन में उन्हेंछोड़ दिया गयाहै। आगे
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हैं जो महानदी के तट पर स्थित सामलयी गुडी नामक मन्दिर में प्रतिष्ठित भी इसी बात को ध्यान में रखकर विषय का प्रतिपादन करेंगे।
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हैं। होमा, मानेश्वर पास ही स्थित पवित्र तीर्थ हैं।
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मुटावेटर
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कोणावल यह ऐतिहासिक नगर वर्तमान उड़ीसा की राजधानी है। प्राचीन
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कोणार्क को प्राचीन पद्मक्षेत्र कहा जाता है।भगवान् श्रीकृष्ण केपुत्र उत्कल राज्य की राजधानी भी यह नगर रहा है। यह मन्दिरों का नगर
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साम्ब ने यहाँ सूर्योपासना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी। साम्ब ने यहाँ पर है।श्री लिंगराज मन्दिर, राजारानीमन्दिर तथा भुवनेश्वर मन्दिर यहाँ के
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सूर्य-मूर्ति की स्थापना की थी (यह मूर्ति अब पुरी संग्रहालय में सुरक्षित विशाल व भव्य मन्दिर हैं। महाप्रतापी खारवेल की राजधानी भी यह नगर
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है)। वर्तमान में बना रथाकार सूर्य मन्दिर 13वीं शताब्दी का है। इसकी रहा है। खारवेल ने ग्रीक आक्रमणकारी डेमेट्रियस को भारत से बाहर
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कला उत्कृष्ट कोटि की है। विधर्मी आक्रमणकारियों नेइसे कई बारतोड़ा खदेड़ दिया। और लूटा,परन्तुपूरीतरह सफल नहींहो पाये। मन्दिरका शिखर व पहिए
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अमरकण्टक टूटे हुए हैं। सूर्य-मन्दिर के पृष्ठभाग में सूर्य पत्नी संज्ञा का मन्दिर है।
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शिखर पर अमरनाथ महादेव, नर्मदा देवी, नर्मदेश्वर व
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यह भी भग्नावस्था में हैं।
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अमरकण्टकेश्वर के मन्दिर बने हैं। यहाँ पर कईशैव व वैष्णव मन्दिर तथा
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चिल्काझील
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पवित्र सरोवर व कुण्ड हैं। केशव नारायण तथा मत्स्येन्द्रनाथ के मन्दिर
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उड़ीसा (उत्कल) जहाँ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है,
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प्रमुख हैं। मार्कण्डेय आश्रम, भूगुकमण्डल, कपिलधारा आदि ऋषियों के
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प्रसिद्ध स्थान अमरकण्टक के आसपास ही हैं। कालिदास द्वारा रचित वहीं प्राकृतिक सुषमा में भी बेजोड़ है। चिल्का झील इसका उदाहरण है।
 
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