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{{One source|date=Nov 2019}}
 
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== पर्व १ : अन्तर्जाल पर विश्वस्थिति ==
 
== पर्व १ : अन्तर्जाल पर विश्वस्थिति ==
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यह जानकारी यहाँ देनी ही क्यों चाहिये ? इसलिये कि इस जानकारी का उपयोग विश्वभर में होता है । विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों में इनके सन्दर्भ दिये जाते हैं । इन मानकों के आधार पर देशों का मूल्यांकन होता है । जो अन्तर्जाल की दुनिया में सहज संचार करते हैं वे इस बात से परिचित है ।
 
यह जानकारी यहाँ देनी ही क्यों चाहिये ? इसलिये कि इस जानकारी का उपयोग विश्वभर में होता है । विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों में इनके सन्दर्भ दिये जाते हैं । इन मानकों के आधार पर देशों का मूल्यांकन होता है । जो अन्तर्जाल की दुनिया में सहज संचार करते हैं वे इस बात से परिचित है ।
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यदि इस प्रकार से और इस स्वरूप में विश्व स्थिति का आकलन करना शुरू करेंगे तो वह कितना यान्त्रिक और अमानवीय होगा यह हम समझलें तो यह भी ध्यान में आयेगा । जानकारी से पूर्व इस पद्धति को ही नकारने की आवश्यकता है । इस आवश्यकता की अनुभूति हो उसी हेतु से उस जानकारी को यहाँ प्रस्तुत किया गया है ।  
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यदि इस प्रकार से और इस स्वरूप में विश्व स्थिति का आकलन करना आरम्भ करेंगे तो वह कितना यान्त्रिक और अमानवीय होगा यह हम समझलें तो यह भी ध्यान में आयेगा । जानकारी से पूर्व इस पद्धति को ही नकारने की आवश्यकता है । इस आवश्यकता की अनुभूति हो उसी हेतु से उस जानकारी को यहाँ प्रस्तुत किया गया है ।  
 
=== [[महाद्वीपश: देशों की सूची]] ===
 
=== [[महाद्वीपश: देशों की सूची]] ===
 
अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ओशिनिया
 
अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ओशिनिया
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भारत के सात दशक: एक केस-स्टडी,  
 
भारत के सात दशक: एक केस-स्टडी,  
# काल-खंड १, १९४७-६७ (लगभग २० वर्ष) : मेहनतकश ईमानदार नागरिक, मगर रोजी-रोटी की जद्दोजहद,  
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# काल-खंड १, १९४७-६७ (लगभग २० वर्ष) : मेहनतकश निष्कपट नागरिक, मगर रोजी-रोटी की जद्दोजहद,  
 
# कालखण्ड -२ (१९६७ से लगभग १९८० तक),  
 
# कालखण्ड -२ (१९६७ से लगभग १९८० तक),  
 
# कालखण्ड - 3 (१९८० से लगभग १९९० तक),  
 
# कालखण्ड - 3 (१९८० से लगभग १९९० तक),  
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=== [[संकटों का मूल]] ===
 
=== [[संकटों का मूल]] ===
जीवनदृष्टि, भारतीय शिक्षा - वैश्विक संकटों का स्वरूप, भौतिकवाद
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जीवनदृष्टि, धार्मिक शिक्षा - वैश्विक संकटों का स्वरूप, भौतिकवाद
    
=== [[संकेन्द्री दृष्टि]] ===
 
=== [[संकेन्द्री दृष्टि]] ===
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=== [[वैश्विक समस्याओं का स्त्रोत]] ===
 
=== [[वैश्विक समस्याओं का स्त्रोत]] ===
आधुनिकता की. समीक्षा आवश्यक, राजनीति में विश्वसनीयता का संकट, आधुनिक सभ्यता का संकट, बुद्धि की विकृति का संकट, संविधान में पाश्चात्य उदारवादी जीवनदृष्टि, नैतिकता का अभाव, समग्र दृष्टि का अभाव, धर्मनिरपेक्ष शब्द हमारा नहीं, व्यवसायीकरण से धर्मबुद्धि का क्षय, सामंजस्य समान धर्मियों में, विधर्मियों में नहीं, भारतीय परम्परा का आधुनिकीकरण, नैतिक प्रश्नों का समाधान तकनीकसे नहीं, भारत को विशेषज्ञ नहीं तत्त्वदर्शी चाहिए
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आधुनिकता की. समीक्षा आवश्यक, राजनीति में विश्वसनीयता का संकट, आधुनिक सभ्यता का संकट, बुद्धि की विकृति का संकट, संविधान में पाश्चात्य उदारवादी जीवनदृष्टि, नैतिकता का अभाव, समग्र दृष्टि का अभाव, धर्मनिरपेक्ष शब्द हमारा नहीं, व्यवसायीकरण से धर्मबुद्धि का क्षय, सामंजस्य समान धर्मियों में, विधर्मियों में नहीं, धार्मिक परम्परा का आधुनिकीकरण, नैतिक प्रश्नों का समाधान तकनीकसे नहीं, भारत को विशेषज्ञ नहीं तत्त्वदर्शी चाहिए
    
=== [[यूरोपीय आधिपत्य के पाँच सौ वर्ष]] ===
 
=== [[यूरोपीय आधिपत्य के पाँच सौ वर्ष]] ===
सन्‌ १४९२ से यूरोप तथा विश्व के अन्य देशों की स्थिति, यूरोप के द्वारा विश्व के अन्य देशों की खोज, यूरोप खण्ड का साम्राज्य विस्तार, एशिया में यूरोप का बढ़ता हुआ वर्चस्व, भारतीय समाज एवं राज्य व्यवस्था में प्रवेश, १८८० बस्तियों में वितरित भूमि, (*कणी' में), मवेशियों की संख्या (१५४४ बस्तियों में), व्यवसाय (१५४४ बस्तियों में), कलाम, भारतीय समाज का जबरदस्ती से होनेवाला क्षरण
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सन्‌ १४९२ से यूरोप तथा विश्व के अन्य देशों की स्थिति, यूरोप के द्वारा विश्व के अन्य देशों की खोज, यूरोप खण्ड का साम्राज्य विस्तार, एशिया में यूरोप का बढ़ता हुआ वर्चस्व, धार्मिक समाज एवं राज्य व्यवस्था में प्रवेश, १८८० बस्तियों में वितरित भूमि, (*कणी' में), मवेशियों की संख्या (१५४४ बस्तियों में), व्यवसाय (१५४४ बस्तियों में), कलाम, धार्मिक समाज का जबरदस्ती से होनेवाला क्षरण
    
=== [['जिहादी आतंकवाद - वैश्विक संकट]] ===
 
=== [['जिहादी आतंकवाद - वैश्विक संकट]] ===
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# परम्परा गौरव
 
# परम्परा गौरव
 
# कानून नहीं धर्म
 
# कानून नहीं धर्म
# पर्यावरण संकल्पना को भारतीय बनाना
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# पर्यावरण संकल्पना को धार्मिक बनाना
 
# अहिंसा का अर्थ
 
# अहिंसा का अर्थ
 
# एकरूपता नहीं एकात्मता
 
# एकरूपता नहीं एकात्मता
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# सामाजिक करार सिद्धान्त को नकार
 
# सामाजिक करार सिद्धान्त को नकार
 
# लोकतन्त्र पर पुनर्विचार
 
# लोकतन्त्र पर पुनर्विचार
# कुट्म्ब व्यवस्था का सुदूढ़ीकरण
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# कुटुम्ब व्यवस्था का सुदूढ़ीकरण
 
# स्वायत्त समाज की रचना
 
# स्वायत्त समाज की रचना
# स्थिर समाज बनाना, आश्रम व्यवस्था
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# स्थिर समाज बनाना, [[Ashram System (आश्रम व्यवस्था)|आश्रम व्यवस्था]]
 
# व्यक्तिगत जीवन को व्यवस्थित करना
 
# व्यक्तिगत जीवन को व्यवस्थित करना
 
# राष्ट्रीय विवेकशक्ति का विकास
 
# राष्ट्रीय विवेकशक्ति का विकास
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=== [[युगानुकूल पुनर्ररचना]] ===
 
=== [[युगानुकूल पुनर्ररचना]] ===
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=== आशा कहाँ है ===
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=== [[अध्याय ३९ -आशा कहाँ है|अध्याय ३९ - आशा कहाँ है...]] ===
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== पर्व ५ : भारतीय शिक्षा की भूमिका ==
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== [[पर्व ५ : धार्मिक शिक्षा की भूमिका|पर्व ५ : धार्मिक शिक्षा की भूमिका]] ==
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=== भारतीय शिक्षा का स्वरुप ===
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=== [[धार्मिक शिक्षा का स्वरुप]] ===
भारत में भारतीय शिक्षा की प्रतिष्ठा, शिक्षा का व्यवस्थात्मक पक्ष, अर्थनिरपेक्ष शिक्षा
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भारत में धार्मिक शिक्षा की प्रतिष्ठा, शिक्षा का व्यवस्थात्मक पक्ष, अर्थनिरपेक्ष शिक्षा
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=== भारत विश्व को शिक्षा के विषय में क्या कहे ===
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=== [[भारत विश्व को शिक्षा के विषय में क्या कहे]] ===
 
शिक्षा विषयक संकल्पना बदलना, शिक्षाप्रक्रियाओं को समझना, शिक्षा का विषयवस्तु के बारे में विचार, मानसिकता बदलना, विश्वस्तर पर चलाने लायक चर्चा, सेमेटिक रिलीजन, विश्वविद्यालयों में अध्ययन और चर्चा, विज्ञान, राजनीति, बाजार और धर्म का समन्वय, आर्थिक आधिपत्य के बारे में विचार
 
शिक्षा विषयक संकल्पना बदलना, शिक्षाप्रक्रियाओं को समझना, शिक्षा का विषयवस्तु के बारे में विचार, मानसिकता बदलना, विश्वस्तर पर चलाने लायक चर्चा, सेमेटिक रिलीजन, विश्वविद्यालयों में अध्ययन और चर्चा, विज्ञान, राजनीति, बाजार और धर्म का समन्वय, आर्थिक आधिपत्य के बारे में विचार
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=== आर्न्तर्रा्ट्रीय विश्वविद्यालय ===
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=== [[आर्न्तर्रा्ट्रीय विश्वविद्यालय]] ===
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# विश्व के देशों के सांस्कृतिक इतिहास के अध्ययन की योजना बनानी चाहिये ।,
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# विश्व के विभिन्न सम्प्रदायों का अध्ययन,
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# ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति का अध्ययन,
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# देशों की आर्थिक, राजनीतिक, भौगोलिक स्थिति का अध्ययन,
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# विश्व के देश भारत को जानें
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# सरकार की भूमिका
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==== विश्व के देशों के सांस्कृतिक इतिहास के अध्ययन की योजना बनानी चाहिये ।, ====
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=== [['प्रशासक और शिक्षक का संवाद]] ===
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==== विश्व के विभिन्न सम्प्रदायों का अध्ययन, ====
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=== [[शक्षक, प्रशासक, मन्त्री का वार्तालाप-१]] ===
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==== ज्ञानविज्ञान और शिक्षा की स्थिति का अध्ययन, ====
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=== [[शिक्षक, प्रशासक, मन्त्री का वार्तालाप-2]] ===
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==== देशों की आर्थिक, राजनीतिक, भौगोलिक स्थिति का अध्ययन, ====
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=== [[हिन्द धर्म में समाजसेवा का स्थान]] ===
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# समाजसेवा की हिन्दवी मीमांसा
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==== विश्व के देश भारत को जानें ====
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== [[पर्व ६]] '''सारांश''' ==  
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==== सरकार की भूमिका ====
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=== [[एक सर्वमान्य प्रश्नोत्तरी]] ===
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=== 'प्रशासक और शिक्षक का संवाद ===
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=== [[विविध आलेख]] ===
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१. असुरो का संहार,
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=== शक्षक, प्रशासक, मन्त्री का वार्तालाप-१ ===
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२. जीवन के आधार है,  
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=== शिक्षक, प्रशासक, मन्त्री का वार्तालाप-2 ===
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३. भारत की वैश्विकता,  
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=== हिन्द धर्म में समाजसेवा का स्थान ===
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४. पश्चिम से जन्मे ऐसे अनिष्ट जो आकर्षक लगते हैं,
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==== समाजसेवा की हिन्दवी मीमांसा ====
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५. इसाईयत को जानें, इसाईयत और हिंसा तथा असहिष्णुता,
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६. इसाईयत और स्त्री,
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७. विश्वकल्याण,
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८. विश्व के लिये भारत के व्यावहारिक आदर्श,
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९. यन्त्रविवेक,
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१०. मनुस्मृति और स्त्री, अन्य सुभाषित,
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११. धार्मिक और यूरोअमेरिकी जीवनदृष्टि के अन्तर के दस सूत्र, धार्मिक, यूरो अमेरिकी,
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१२. दो दृष्टियों का अन्तर, युरोपीय दृष्टि, धार्मिक दृष्टि
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=== [[समग्र शिक्षा योजना]] ===
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१. वर्तमान ढाँचे के गृहीत, शासन की मान्यता अनिवार्य है, शिक्षा की व्यवस्था संस्थागत है, शिक्षा का लक्ष्य अर्थार्जन है, युरोपीय विचार वैश्विक और आधुनिक है, छात्र और अध्यापक का सम्बन्ध परोक्ष है, २. राष्ट्रीय शिक्षा के प्रयास, राष्ट्रीय शिक्षा के प्रयासों की विफलता के कारण, ३. नये सिरे से विचार, १. शिक्षा व्यक्तिगत नहीं, राष्ट्रीय होती है, २. साक्षरता और शिक्षितता में अन्तर है, ३. शिक्षा केवल संस्थागत नहीं होती, ४. शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिये नहीं होती, ५. शिक्षा केवल बुद्धिनिष्ठ नहीं होती । वह अन्ततोगत्वा आत्मनिष्ठ होती है ।, ४. शिक्षा के मंत्र, तंत्र और यंत्र, ५. सर्वसमावेशक और व्यापक योजना की आवश्यकता, ६. दीर्घकालीन योजना की आवश्यकता, ७. विभिन्न शैक्षिक पहलुओं का एक साथ विचार, १. अध्ययन एवं अनुसन्धान, २. पाठ्यक्रमनिर्माण, ३. साहित्यनिर्माण, ४. शिक्षा को पुनर्व्याख्यायित करना, ८. क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास, १. संगठित और व्यापक प्रयास, २. वैचारिक समानसूत्रता, ३. मुक्त संगठन, ४. सामान्य जन का सामान्य ज्ञान, ९. चरणबद्ध योजना, १. प्रथम चरण नैमिषारण्य, २. द्वितीय चरण लोकमतपरिष्कार, ३. तीसरा चरण परिवारशिक्षा, ४. चौथा चरण शिक्षकनिर्माण, ५. पाँचवाँ चरण विद्यालयों की स्थापना, १०. धर्मतंत्र, समाजतंत्र और राज्यतंत्र का शिक्षा के साथ समायोजन
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'''परिशिष्ट'''
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'''[[१. सन्दर्भ ग्रन्थ सूची]]'''
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'''[[२. लेखकों, सम्पादकों व संकलन कर्ताओं की सूची]]'''
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'''[[३. पाठ्यक्रमों की रूपरेखा निर्माणकर्ताओं की सूची]]'''
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'''[[४. ग्रन्थ अनुक्रमणिका]]'''
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'''[[५. पुनरुत्थान विद्यापीठ]]'''
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'''[[६. प्रकाशनसूची]]'''
    
==References==
 
==References==
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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<references />धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
[[Category:भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा]]
 
[[Category:Education Series]]
 
[[Category:Education Series]]
[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
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[[Category:Dharmik Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा]]

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