Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "जुडे" to "जुड़े"
Line 1: Line 1: −
{{One source}}इस ग्रन्थमाला के निर्माण में अनेक विद्वज्जनों और सामान्यजनों को सहभागी बनाने का प्रयास किया गया है यह “सम्पादकीय' में कहा गया है <ref>धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ३, अध्याय १७): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। इस दृष्टि से शिक्षा के अनेक आयामों को लेकर यह प्रश्नावली तैयार की गई । देश के अनेक नगरों, महानगरों में स्थित शिक्षा के साथ विभिन्न भूमिकाओं में जुडे महानुभावों को ये प्रश्नावलियाँ भेजी गईं । अनेक कार्यकर्ताओ ने अनेक लोगोंं का सम्पर्क कर इन प्रश्नावलियों को लेकर चर्चा की और उनके उत्तर प्राप्त किये । उन उत्तरों के आधार पर उनका सारसंक्षेप तैयार किया गया । उसे इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया गया है ।
+
{{One source}}इस ग्रन्थमाला के निर्माण में अनेक विद्वज्जनों और सामान्यजनों को सहभागी बनाने का प्रयास किया गया है यह “सम्पादकीय' में कहा गया है <ref>धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ३, अध्याय १७): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। इस दृष्टि से शिक्षा के अनेक आयामों को लेकर यह प्रश्नावली तैयार की गई । देश के अनेक नगरों, महानगरों में स्थित शिक्षा के साथ विभिन्न भूमिकाओं में जुड़े महानुभावों को ये प्रश्नावलियाँ भेजी गईं । अनेक कार्यकर्ताओ ने अनेक लोगोंं का सम्पर्क कर इन प्रश्नावलियों को लेकर चर्चा की और उनके उत्तर प्राप्त किये । उन उत्तरों के आधार पर उनका सारसंक्षेप तैयार किया गया । उसे इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया गया है ।
    
इस ग्रन्थ में हर प्रश्नावली का प्राप्त उत्तर का सारसंक्षेप, अभिमत, विमर्श और उस विषय से सम्बन्धित अधिक विचार इस क्रम में की गई है ।
 
इस ग्रन्थ में हर प्रश्नावली का प्राप्त उत्तर का सारसंक्षेप, अभिमत, विमर्श और उस विषय से सम्बन्धित अधिक विचार इस क्रम में की गई है ।
Line 392: Line 392:  
# समसम्बन्ध न होने पर कितने समझौते करने चाहिये ?
 
# समसम्बन्ध न होने पर कितने समझौते करने चाहिये ?
 
# प्रतिष्ठा के मापदण्ड किस आधार पर बनते हैं ?
 
# प्रतिष्ठा के मापदण्ड किस आधार पर बनते हैं ?
 +
 +
== विद्यालय में ट्यूशन ==
 +
# ट्यूशन की मात्रा आज बहुत बढ़ गई है इसका कारण क्या है ?
 +
# ट्यूशन के सम्बन्ध में आचार्य, छात्र एवं अभिभावकों की मानसिकता कैसी होती है ?
 +
# ट्यूशन के सम्बन्ध में आदर्श स्थिति क्या है ?
 +
# ट्यूशन के आर्थिक पक्ष का विचार कैसे करना चाहिये ?
 +
# ट्यूशन सम्बन्ध में आदर्श स्थिति क्या है ?
 +
# ट्यूशन किसने पढ़ाना उपयुक्त है ?
 +
# ट्यूशन के हौवे से बचने के उपाय क्या हैं ?
 +
 +
== विद्यालय में प्रतियोगितायें ==
 +
# प्रतियोगिताओं का शैक्षिक मूल्य कया है ?
 +
# प्रतियोगिताओं का व्यावहारिक मूल्य कया है ?
 +
# प्रतियोगिताओं के प्रति सही दृष्टिकोण कैसे विकसित करें ?
 +
# प्रतियोगिता की भावना कम करने के क्या उपाय करें ?
 +
# प्रतियोगितायें लाभ के स्थान पर हानि कैसे करती हैं ?
 +
# प्रतियोगितायें लाभकारी बनें इसलिये क्या क्या करना चाहिये ?
 +
 +
== विद्यालय किसका ? ==
 +
# प्रबन्धसमिति
 +
# शासन
 +
# प्रधानाचार्य
 +
# आचार्य
 +
# अन्य कर्मचारी
 +
# छात्र
 +
# अभिभावक
 +
# इन सभी के विद्यालय के साथ के स्वस्थ सम्बन्धों का व्यवहारिक स्वरूप कैसा होना चाहिये ?
 +
# इन सभी की आपसी सम्बन्ध की व्यावहारिक भूमिका कैसी होनी चाहिये ?
 +
# ऐसी कौन सी बातें हैं जो इन सभी को समान रूप से लागू होनी चाहिये ?
 +
# इन सभी में विद्यालय किस दृष्टि से किसका होता है ?
 +
 +
== विद्यालय का भवन ==
 +
# विद्यालय का भवन बनाते समय सुविधा की दृष्टि से किन किन बातों का ध्यान रकना चाहिये ?
 +
# विद्यालय के भवन में विद्यालय की शैक्षिक दृष्टि किस प्रकार से प्रतिबिम्बित होती है ?
 +
# विद्यालय का भवन एवं पर्यावरण
 +
# विद्यालय का भवन एवं शरीरस्वास्थ्य इन सब बातों का क्या सम्बन्ध हैं?
 +
# विद्यालय का भवन एवं मनोस्वास्थ्य
 +
# विद्यालय का भवन एवं संस्कृति
 +
# विद्यालय का भवन कम खर्च में एवं अधिक टिकाऊ बने इस दृष्टि से कौन कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिये ?
 +
# विद्यालय के भवन में वास्तुविज्ञान, भूमिचयन, स्थानचयन आदि का क्या महत्त्व है ?
 +
# विद्यालय के भवन की आन्तरिक रचना कैसी होनी चाहिये ?
 +
# भवन निर्माण में प्रयुक्त सामग्री के विषय में किन बातों का ध्यान रखना चाहिये ?
 +
 +
== विद्यार्थियों हेतु स्वावलम्बन ==
 +
# क्या आप तय कर सकते हैं कि विषयों को सुनकर, समझकर, चिन्तन कर, प्रयोग कर ही सीखेंगे । किसी भी प्रकार की सामग्री का उपयोग नहीं करेंगे, अपनी बुद्धि पर विश्वास करेंगे, विश्वास कर सकें ऐसी तेजस्वी बुद्धि बनायेंगे ।
 +
# विद्यार्थियों को चाहिये कि वे अपनी बुद्धि से निर्णय करें, दूसरों की बुद्धि से नहीं । जब ऐसा करते हैं तभी हम स्वतन्त्र कहे जाते हैं ।
 +
# विद्यार्थियों को चाहिये कि वे अपनी बुद्धि का इतना विकास करें कि अपनी बात दूसरों को समझा सकें, उनसे स्वीकृति और समर्थन प्राप्त कर सर्के तथा प्रशंसा भी प्राप्त कर सर्के । यह सब केवल बुद्धि से ही हो, अन्य उपायों से नहीं ।
 +
# विद्यार्थियों को चाहिये कि वे अपनी बुद्धि का ऐसा विकास करें कि कोई भी विषय उन्हें कठिन न लगे, असाध्य न लगे ।
 +
# विद्यार्थीयों को चाहिये कि वे ऐसी बौद्धिक क्षमता प्राप्त करें कि कहने वाले का आशय तुरन्त समझ लें और उसके मनोभावों को भाँप लें ।
 +
# विद्यार्थियों को चाहिये कि वे ऐसी बौद्धिक क्षमता प्राप्त करें कि किसी भी बात का एसा त्वरित निर्णय कर सकें कि विषय में बाद पछताना न पडे ।
 +
# विद्यार्थियों को चाहिये कि वे ऐसी बौद्धिक क्षमता का विकास करें |
    
== References ==
 
== References ==

Navigation menu