तेनाली रामा जी - विजय नगर में तेनालीरामा का प्रवेश

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आप सभी राजा कृष्णदेवराय और उनके प्रिय तेनालीरामा जी से परिचित है | तेनालीरामा और कृष्णदेवराय की जोड़ी की निर्मिती किस प्रकार होती है इस घटना को कहानी रूप में आपके समक्ष रखने का प्रयास कर रहा हूँ |विजयनगर राज्य के नजदीकी गावं तेनाली में रामाकृष्णा नाम का पंडित रहता था | वह पंडित बहुत चतुर था इसलिए नाम के आगे उसके गाव का नाम लगा दिया इस कारन उनका नाम तेनालीरामा रख दिया गया | तेनालीरामा ने महाराज कृष्णदेव राय के बारे में चर्चा सुना था | तभी तेनालीरामा ने तय किया की ओ महाराज कृष्णदेव राय से मिलने जायेंगे | तेनालीरामा ने महाराज कृष्णदेव राय से मिलने के लिए यात्रा पर निकल गये |

तभी रास्ते में तेनालीरामा को राजगुरु मिले | तेनालीरामा ने राजगुरु को प्रणाम किया और अपना परिचय दिया की मै पंडित रामाकृष्णा हूँ और तेनाली गावं से आया हूँ | में महाराज से मिलने आया हु क्या आप मुझे महाराज से मिला शकते है ? राजगुरु ने तेनालीरामा को उत्तर दिया की कल तुम राज महल में आना मै तुम्हे महाराज से मिलूँगा | तेनालीरामा ने राजगुरु का धन्यवाद किया |

अगले दिन तेनालीरामा महल के ओर आ रहे थे तभी राजगुरु ने देखा तो घबरा गये | राजगुरु ने सैनिको को बुलाया और तेनालीरामा इशारा करते हुए कहा की यह जो व्यक्ति आ रहा है वह चोर हैं | तभी सैनिक द्वार पर खड़ा था जैसे ही तेनालीरामा पहुचे और उन्हों ने बताया की मै तेनालीरामा हु | राजगुरु के आदेश का पालन करते हुए सैनिक ने तेनालीरामा को भगा दिया |

तभी तेनालीरामा निराश नही हुए और कुछ दिन तक विजयनगर में भटकते रहे | एक दिन तेनालीरामा ने राजगुरु को नदी में स्नान करते हुए दिखाई दिए |