Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - लालची और छली को शिक्षा"

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महाराज ने  साहूकार को जुर्माना लगाया |साहूकार बेचारा सोचता रह गया की मेरे लालच की वजह से मुझे बहुत बड़ा नुकसान हो गया आगे से मै कभी लालच नहीं करूंगा और किसी को कभी धोखा नही करूंगा |तेनालीरामा की  बुद्धिकौशल और राष्ट्रभक्ति  से महाराज बहुत प्रसन्न होते है |
 
महाराज ने  साहूकार को जुर्माना लगाया |साहूकार बेचारा सोचता रह गया की मेरे लालच की वजह से मुझे बहुत बड़ा नुकसान हो गया आगे से मै कभी लालच नहीं करूंगा और किसी को कभी धोखा नही करूंगा |तेनालीरामा की  बुद्धिकौशल और राष्ट्रभक्ति  से महाराज बहुत प्रसन्न होते है |
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[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]

Revision as of 15:16, 12 September 2020

एक बार तेनालीरामा नगर में भ्रमण कर रहे थे| एक बुजुर्ग व्यक्ति बहुत ही उदास बैठा हुआ था | तेनालीरामा ने उस बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा आप उदास क्यों बैठे है | बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा विजय नगर में लालच और धोखे बाजी बहुत बढ़ गई है |तेनालीरामा को विश्वास नहीं हुआ विजयनगर राज्य में ऐसा नहीं हो सकता | उन्होंने गुप्तचरों से इस विषय में खोजबीन करने को कहा | गुप्तचरों ने इस विषय की पूर्ण जानकारी निकालकर तेनालीरामा को बताया की एक शाहूकार है जो सभी से बहुत ही अधिक मूल्य में जरुरत की वस्तुओ को दे रहा है | उन वस्तुओ में कुछ ना कुछ गलतियाँ निकलकर जुर्माना भी जमा करवा रहा है |

तेनालीरामा ने जब यह बात सुनी उन्हें बहुत बुरा लगा कि विजयनगर में यह बात सही नहीं है, उस शाहकार को उसकी गलती का अनुभव करना आवश्यक है | तेनालीरामा ने उसे ठीक करने के लिए एक युक्ति सोची | तेनालीरामा उस शाहकार के पास गए उन्होंने शाहकार से कहा " हमारे भवन में भोज करवाना कुछ बर्तनों की आवश्यकता है मिल जायेगा क्या ? शाहकार ने उत्तर दिया क्यों नहीं अवश्य मिलेगा बताइए कितने बर्तन चाहिए | तेनालीरामा ने कहा जी मुझे तीन बड़े पतिलो की आवश्यकता है | शाहकार ने कहा प्रतिदिन की २ सोने की मुहरे लगेगी | तेनालीरामा समझ गए थे की मूल्य बहुत अधिक है परन्तु उसे ठीक करने के लिए आवश्यक था | तेनालीरामा बर्तन ले ये और बाजार में गए वहा उन्होंने एकदम वैसे ही दिखने वाले छोटे बर्तन ख़रीदे | दुसरे दिन तेनालीरामा शाहकार का बर्तन देने गए तेनालीरामा ने शाहकार से कहा "बंधू आपके बर्तन गर्भावस्था में थे!उन्होंने बर्तनों जो जन्म दिया है|

तेनालीरामा की बाते सुन शाहूकार मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ और तेनालीरामा को मुर्ख समझने लगा | " मुझे बर्तन भी मिल गया पैसे भी मिल गया इसके अलावा तीन बर्तन और उपहार में मिल गए | कुछ दिन बितने के बाद तेनालीरामा दुबारा शाहुकर के पास आये | साहूकार से तेनालीरामा ने कहा की हमारे घर पर कुछ अतिथि आने वाले है और हमें उनके लिए भोजन की व्यवस्था करनी और बर्तन कम पड़ रहे है |हमें कुछ बर्तनों की आवश्कता है |

साहूकार मन ही मन प्रसन्न हो गया की फिर उसे लाभ होने वाला है |साहूकार ने तेनालीरामा को बर्तन देते समय बताया की बर्तन गर्भा वस्था में है कृपया इनका धयान रखिये गा और समय पर लौटा दीजिये गा |कई दिन बीत गये साहूकार को चिन्ता होने लगी और वह उनके घर पहुच गया | साहूकार ने तेनालीरामा से कहा मेरे बर्तन कहाँ है अभी तक आपने मुझे दिया नही | तेनालीरामा ने कहा आप के बर्तन गर्भावस्था मे थे जन्म देते समय उनकी मृत्यु हो गई |

साहूकार ने तेनालीरामा पर नाराज होने लगा की आप को मेरा वर्तन देना ही होगा आप मुझे मुर्ख नही बना सकते |मै महाराज से आप की शिकायत करूंगा |दोनों महाराज के समक्ष न्याय के लिए पहुचतें है |तेनालीरामा महाराज को उस विषय के बारे मे पूर्ण अवगत कराया |महाराज तुरंत साहूकार के उपर नाराज हो जाते और बोलते है की पहली बार तेनालीरामा बर्तन देते है तब आप मान्य करके रख लेते है की उसमे जिव है |आज जब आप का नुकसान होने लगा तब आप कहते है की बर्तन में जिव नही होता है |

महाराज ने साहूकार को जुर्माना लगाया |साहूकार बेचारा सोचता रह गया की मेरे लालच की वजह से मुझे बहुत बड़ा नुकसान हो गया आगे से मै कभी लालच नहीं करूंगा और किसी को कभी धोखा नही करूंगा |तेनालीरामा की बुद्धिकौशल और राष्ट्रभक्ति से महाराज बहुत प्रसन्न होते है |