Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - अवलोकन द्वारा निर्णय"

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नन्हे बालक को देखकर सभी उसकी प्रशंसा करने लगे, महाराज ने भी बालक की सुन्दरता की प्रशंसा की। तेनालीरामा ने भी बालक की प्रशंसा की। तेनालीरामा ने कहा सेनापति जी यह बालक एकदम आपका स्वरुप है। इसके मुख को देखकर लगता है कि यह आपकी तरह शूरवीर होगा। महाराज ने कहा "तेनालीरामा आपको कैसे पता है? केवल मुख को देखकर आप यह कैसे कह सकते हैं?" तेनाली रामा ने कहा महाराज किसी को देखकर हम यह निर्णय कर सकते हैं । वहां पर इस विषय पर खूब चर्चा हुई ।  
 
नन्हे बालक को देखकर सभी उसकी प्रशंसा करने लगे, महाराज ने भी बालक की सुन्दरता की प्रशंसा की। तेनालीरामा ने भी बालक की प्रशंसा की। तेनालीरामा ने कहा सेनापति जी यह बालक एकदम आपका स्वरुप है। इसके मुख को देखकर लगता है कि यह आपकी तरह शूरवीर होगा। महाराज ने कहा "तेनालीरामा आपको कैसे पता है? केवल मुख को देखकर आप यह कैसे कह सकते हैं?" तेनाली रामा ने कहा महाराज किसी को देखकर हम यह निर्णय कर सकते हैं । वहां पर इस विषय पर खूब चर्चा हुई ।  
  
सभी बालक को बहुत आशीर्वाद देकर और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेकर चले गये। अगले दिन प्रातःकाल में जब महाराज प्रांगण में टहल रहे थे तभी महाराज के वे चाटूकार आये, जो तेनालीरामा को हमेशा नीचा दिखाने का प्रयास करते थे। उन्होंने महाराज से कहा महाराज तेनालीरामा की हमें परीक्षा लेनी चाहिए ऐसे कैसे कोई किसी के बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। महाराज उनकी बातो से प्रभावित हो गये और तेनालीरामा की परीक्षा का निर्णय किया ।
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सभी बालक को बहुत आशीर्वाद देकर और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेकर चले गये। अगले दिन प्रातःकाल में जब महाराज प्रांगण में टहल रहे थे तभी महाराज के वे चाटूकार आये, जो तेनालीरामा को सदा नीचा दिखाने का प्रयास करते थे। उन्होंने महाराज से कहा महाराज तेनालीरामा की हमें परीक्षा लेनी चाहिए ऐसे कैसे कोई किसी के बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। महाराज उनकी बातो से प्रभावित हो गये और तेनालीरामा की परीक्षा का निर्णय किया ।
  
 
तेनालीरामा को बुलाया गया और महाराज ने तेनालीरामा से रात्रि की घटना के बारे में पूछा "क्या आप बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में बता सकते हैं।" तेनालीरामा ने कहा "जी महाराज, मैं बता सकता हूँ"। महाराज ने कहा "आप के लिए कुछ प्रश्न हैं। आप उनका उत्तर दीजिये। अगर आप उसका उत्तर नहीं दे पाए तो आपको दण्ड मिलेगा। तेनालीरामा ने कहा ठीक है महाराज मैं तैयार हूँ ।  
 
तेनालीरामा को बुलाया गया और महाराज ने तेनालीरामा से रात्रि की घटना के बारे में पूछा "क्या आप बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में बता सकते हैं।" तेनालीरामा ने कहा "जी महाराज, मैं बता सकता हूँ"। महाराज ने कहा "आप के लिए कुछ प्रश्न हैं। आप उनका उत्तर दीजिये। अगर आप उसका उत्तर नहीं दे पाए तो आपको दण्ड मिलेगा। तेनालीरामा ने कहा ठीक है महाराज मैं तैयार हूँ ।  
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तेनाली रामा ने मटके को ध्यान से देखा और कहा "महाराज डाली से बाहर निकला हुआ दूसरा मटका मिटटी का है।" महाराज ने पूछा "आपको कैसे पता?"  
 
तेनाली रामा ने मटके को ध्यान से देखा और कहा "महाराज डाली से बाहर निकला हुआ दूसरा मटका मिटटी का है।" महाराज ने पूछा "आपको कैसे पता?"  
  
तेनाली रामा ने कहा "महाराज जो सोने से बनाना हुआ ठोस मटका है वह भारी होने के कारण स्थिर है और जो मिटटी से बना हुआ मटका है वह हल्का है इसलिए वह हिल डुल रहा हैं।"
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तेनाली रामा ने कहा "महाराज जो सोने से बनाना हुआ ठोस मटका है वह भारी होने के कारण स्थिर है और जो मिटटी से बना हुआ मटका है वह हल्का है अतः वह हिल डुल रहा हैं।"
  
 
तेनालीरामा का बुद्धिकौशल देखकर सभी चाटूकारों की लज्जा से आँखें झुक गई और महाराज ने तेनालीरामा की बहुत प्रशंसा की और पारितोषिक भी दिया ।
 
तेनालीरामा का बुद्धिकौशल देखकर सभी चाटूकारों की लज्जा से आँखें झुक गई और महाराज ने तेनालीरामा की बहुत प्रशंसा की और पारितोषिक भी दिया ।
  
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
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[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]

Latest revision as of 22:31, 12 December 2020

एक बार महाराज कृष्णदेवराय जी के सेनापति राजेंद्र को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। सेनापति राजेंद्र ने महाराज, सभी मंत्री गणों एवं आचार्य गुरुजनों को इस प्रसन्नता के अवसर पर भोज के लिए आमंत्रित किया। सभी लोग महाराज के साथ सेनापति के निवास पर भोज के लिए पहुचें। नन्हे बालक के दर्शन के लिए सभी बालक के समीप गये जो कि पालने में लेटा हुआ था।

नन्हे बालक को देखकर सभी उसकी प्रशंसा करने लगे, महाराज ने भी बालक की सुन्दरता की प्रशंसा की। तेनालीरामा ने भी बालक की प्रशंसा की। तेनालीरामा ने कहा सेनापति जी यह बालक एकदम आपका स्वरुप है। इसके मुख को देखकर लगता है कि यह आपकी तरह शूरवीर होगा। महाराज ने कहा "तेनालीरामा आपको कैसे पता है? केवल मुख को देखकर आप यह कैसे कह सकते हैं?" तेनाली रामा ने कहा महाराज किसी को देखकर हम यह निर्णय कर सकते हैं । वहां पर इस विषय पर खूब चर्चा हुई ।

सभी बालक को बहुत आशीर्वाद देकर और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेकर चले गये। अगले दिन प्रातःकाल में जब महाराज प्रांगण में टहल रहे थे तभी महाराज के वे चाटूकार आये, जो तेनालीरामा को सदा नीचा दिखाने का प्रयास करते थे। उन्होंने महाराज से कहा महाराज तेनालीरामा की हमें परीक्षा लेनी चाहिए ऐसे कैसे कोई किसी के बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। महाराज उनकी बातो से प्रभावित हो गये और तेनालीरामा की परीक्षा का निर्णय किया ।

तेनालीरामा को बुलाया गया और महाराज ने तेनालीरामा से रात्रि की घटना के बारे में पूछा "क्या आप बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में बता सकते हैं।" तेनालीरामा ने कहा "जी महाराज, मैं बता सकता हूँ"। महाराज ने कहा "आप के लिए कुछ प्रश्न हैं। आप उनका उत्तर दीजिये। अगर आप उसका उत्तर नहीं दे पाए तो आपको दण्ड मिलेगा। तेनालीरामा ने कहा ठीक है महाराज मैं तैयार हूँ ।

महाराज तेनालीरामा को बगीचे में एक पेड़ के समीप ले कर जाते हैं जिसकी डाली पर दो मटके बंधे हुए थे। महाराज ने कहा "देखिये तेनालीरामा ऊपर दो मटके बंधे हुए हैं। इसमे एक सोने से बना हुआ ठोस मटका है दूसरा मिटटी का है जिस पर सोने का रंग चढ़ा हुआ है। अब आप बताइए इसमें कौन सा मटका मिटटी का है?

तेनाली रामा ने मटके को ध्यान से देखा और कहा "महाराज डाली से बाहर निकला हुआ दूसरा मटका मिटटी का है।" महाराज ने पूछा "आपको कैसे पता?"

तेनाली रामा ने कहा "महाराज जो सोने से बनाना हुआ ठोस मटका है वह भारी होने के कारण स्थिर है और जो मिटटी से बना हुआ मटका है वह हल्का है अतः वह हिल डुल रहा हैं।"

तेनालीरामा का बुद्धिकौशल देखकर सभी चाटूकारों की लज्जा से आँखें झुक गई और महाराज ने तेनालीरामा की बहुत प्रशंसा की और पारितोषिक भी दिया ।