Changes

Jump to navigation Jump to search
लेख सम्पादित किया
Line 7: Line 7:  
महाराज की सभा लगी और कार्य आरंभ हुआ। सभी अपनी समस्याएं महाराज के समक्ष रख रहे थे। तेनालीरामा भी खड़े हुए और उन्होंने महाराज से कहाँ "महाराज मंत्री जी द्वारा बनवाए गये कुँए अदृश्य हो रहे है।" महाराज और सारी सभा तेनालीरामा को एकटक देखने लगी महाराज ने कहा "तेनालीरामा जी आपका स्वास्थ ठीक है ना कहीं आपके दिमाग में कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई है? आप राजवैध जी से इलाज करवा लीजिये । ऐसे कैसे कुँए अदृश्य होने लगे।"
 
महाराज की सभा लगी और कार्य आरंभ हुआ। सभी अपनी समस्याएं महाराज के समक्ष रख रहे थे। तेनालीरामा भी खड़े हुए और उन्होंने महाराज से कहाँ "महाराज मंत्री जी द्वारा बनवाए गये कुँए अदृश्य हो रहे है।" महाराज और सारी सभा तेनालीरामा को एकटक देखने लगी महाराज ने कहा "तेनालीरामा जी आपका स्वास्थ ठीक है ना कहीं आपके दिमाग में कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई है? आप राजवैध जी से इलाज करवा लीजिये । ऐसे कैसे कुँए अदृश्य होने लगे।"
   −
तेनालीरामा ने कहा "मैं ठीक हूँ, मेरा स्वास्थ्य एकदम सही है, मुझे उपचार की आवश्यकता नहीं है | महाराज आपसे मिलने कुछ ग्रामवासी आऐ हैं आप उनके द्वारा स्वयं सुन लीजिऐ। ग्रामवासियों ने महाराज को हालात के बारें में अवगत कराया। महाराज ने कहा मैं स्वयं निरिक्षण करूँगा और घटना को देखने के बाद उचित निर्णय लूँगा। निरिक्षण की तैयारी करने का आदेश दिया गया महाराज स्वयं गाँव में गए और वहाँ  उन्होंने देखा की कुँए कहीं नही थे । महाराज बहुत ही क्रोधित हुएं। मंत्री को सभा में बुलाया गया ।
+
तेनालीरामा ने कहा "मैं ठीक हूँ, मेरा स्वास्थ्य एकदम सही है, मुझे उपचार की आवश्यकता नहीं है | महाराज, आपसे मिलने कुछ ग्रामवासी आऐ हैं; आप उनके द्वारा स्वयं सुन लीजिऐ।"
   −
महाराज के समक्ष तेनालीरामा जी ने अदृश्य कुँए की सत्यता का पूरा वृतांत सुनाया । महाराज समझ गए की तेनालीरामा जी कहना चाहते है कि केवल नगर में कुँए बनाए गए गाँव में कुँए का निर्माण नहीं हुआ मंत्री ने कार्य और धन में गड़बड़ी की है । महाराज ने मंत्री को सभी के सामने बहुत डांटा और अपने खर्च पर तत्काल कुँए बनवाने की सजा दी और निरिक्षण के लिए तेनालीरामा को दाइत्व दिया गया ।
+
ग्रामवासियों ने महाराज को हालात के बारें में अवगत कराया। महाराज ने कहा "मै स्वयं निरीक्षण करूँगा और घटना को देखने के बाद उचित निर्णय लूँगा।" 
   −
महाराज ने तेनाली रामा के बुद्धिकौशल और राष्ट्र परायण  पर बहुत प्रसन्न हुए और उनका सम्मान किया गया ।
+
निरिक्षण की तैयारी करने का आदेश दिया गया। महाराज स्वयं गाँव में गए और वहाँ उन्होंने देखा कि कुँए कहीं नही थे। महाराज बहुत ही क्रोधित हुएं। मंत्री को सभा में बुलाया गया। महाराज के समक्ष तेनालीरामा जी ने अदृश्य कुँए की सत्यता का पूरा वृतांत सुनाया । महाराज समझ गए कि तेनालीरामा जी कहना चाहते है कि केवल नगर में कुँए बनाए गए । गाँव में कुँए का निर्माण नहीं हुआ। मंत्री ने कार्य और धन में गड़बड़ी की है। महाराज ने मंत्री को सभी के सामने बहुत डांटा और अपने खर्च पर तत्काल कुँए बनवाने की सजा दी और निरीक्षण के लिए तेनालीरामा को दायित्व दिया गया।
 +
 
 +
महाराज तेनाली रामा के बुद्धिकौशल और राष्ट्र परायणता पर बहुत प्रसन्न हुए और उनका सम्मान किया गया।
    
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
 
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]

Navigation menu