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अब आप ही न्याय कीजिये महाराज । महाराज ने तत्काल सैनिको को भेजकर मालिक को उपस्थित करने का आदेश दिया । सैनिको ने तुरंत मालिक को बुलाकर महाराज के सामने उपस्थित किया । महाराज ने मालिक से पुछा की तुम्हे मंदिर से हिरा मिला था तुमने इसका हिस्सा इसे क्यों नही दिया ? मालिक ने जवाब दिया की महाराज यह झूठ बोल रहा है मैंने इसे इसका हिस्सा दे दिया आप चाहे तो मेरे घर के तीन नौकरों से पूछ सकते है, मैंने उनके सामने इसे हीरे दिए थे । अब यह मुझे फ़साने का प्रयास कर रहा है आप ही न्याय कीजिये । महाराज ने तुरंत उन तीनो नौकरों को बुलवाया और उनसे महाराज ने पुछा की क्या मालिक के इसे हीरे दिए थे ? तीनो नौकरों ने कहा जी महाराज मालिक ने इसे हीरे दिए थे ।  
 
अब आप ही न्याय कीजिये महाराज । महाराज ने तत्काल सैनिको को भेजकर मालिक को उपस्थित करने का आदेश दिया । सैनिको ने तुरंत मालिक को बुलाकर महाराज के सामने उपस्थित किया । महाराज ने मालिक से पुछा की तुम्हे मंदिर से हिरा मिला था तुमने इसका हिस्सा इसे क्यों नही दिया ? मालिक ने जवाब दिया की महाराज यह झूठ बोल रहा है मैंने इसे इसका हिस्सा दे दिया आप चाहे तो मेरे घर के तीन नौकरों से पूछ सकते है, मैंने उनके सामने इसे हीरे दिए थे । अब यह मुझे फ़साने का प्रयास कर रहा है आप ही न्याय कीजिये । महाराज ने तुरंत उन तीनो नौकरों को बुलवाया और उनसे महाराज ने पुछा की क्या मालिक के इसे हीरे दिए थे ? तीनो नौकरों ने कहा जी महाराज मालिक ने इसे हीरे दिए थे ।  
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नौकरों का जवाब सुनने के बाद महाराज फरियादी पर गुस्सा होने लगे, तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो मै तुम्हे मृत्युदंड नहीं दे रहा हूँ इतना ही शुक्र मनाओ । फरियादी गिडगिडाने लगा की महाराज यह सभी लो मालिक की दर से झूठ बोल रहे है, महाराज मुझे न्याय दीजिये । महाराज को भी लगा की फरियादी कुछ तो सही कह रहा है । महाराज ने तुरंत पंडित रामाकृष्णा जी को बुलवाया और सभी लोगो को एक कमरे में बिठा दिया । पंडित रामाकृष्णा जी महाराज के समक्ष उपस्थित हुए महाराज ने पूरी बात रामाकृष्णा को बताई । पंडित रामाकृष्ण ने कहा बस इतनी सी बात मै इसको अभी हल कर देता हूँ आप परदे  के पीछे छुप जाएँ और सभी नौकरों को एक एक कर के अन्दर बुलाता हूँ ।
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नौकरों का जवाब सुनने के बाद महाराज फरियादी पर गुस्सा होने लगे, तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो मै तुम्हे मृत्युदंड नहीं दे रहा हूँ इतना ही शुक्र मनाओ । फरियादी गिडगिडाने लगा की महाराज यह सभी लो मालिक की दर से झूठ बोल रहे है, महाराज मुझे न्याय दीजिये । महाराज को भी लगा की फरियादी कुछ तो सही कह रहा है । महाराज ने तुरंत पंडित रामाकृष्णा जी को बुलवाया और सभी लोगो को एक कमरे में बिठा दिया । पंडित रामाकृष्णा जी महाराज के समक्ष उपस्थित हुए महाराज ने पूरी बात रामाकृष्णा को बताई । पंडित रामाकृष्ण ने कहा बस इतनी सी बात मै इसको अभी हल कर देता हूँ आप परदे  के पीछे छुप जाएँ और सभी नौकरों को एक एक कर के अन्दर बुलाता हूँ
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महाराज ना चाहते हुए भी परदे के पीछे छुप गए, पहला नौकर आया । पंडित रामा ने पुछा की तुमने हीरे को देखा था तो बताओ हिरा कैसा दीखता था सैनिक से कागज और कलम मंगवाया परन्तु पहला नौकर उत्तर ना दे सका । दुसरे को बुलाया गया परन्तु दूसरा गोल गोल करता रह गया  तीसरा नौकर भी आया परन्तु वह भी निरुत्तर था । महाराज को गुस्सा आ गया वह तुरंत परदे के पीछे से निकल आये उनको देखते ही नौकर डर गया और सब सच बता दिया ।
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महाराज ने मालिक पर जुर्माना लगाया और फरियादी को मालिक से ३० सोने की मुहरे दिलवाए और हीरों को राज्य्कोश में जमा करा दिया गया । फरियादी खुश हो गया ।
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महाराज पंडित रामा कृष्णा से बहुत प्रसन्न हुए और शाबाशी दी
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