Difference between revisions of "जो जैसा करता है वैसा भरता है"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
(सम्पादित किया)
Line 1: Line 1:
एक समय की बात है एक बच्चा था जो बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था | वह छोटा ही था की उसके माँ और पिताजी दोनों की बीमारी कारण मौत हो गई | बच्चा अकेला रह गया और उसे खाने पिने की बहुत तकलीफ होने लगी थी | वह अपना पेट भरने के लिए घूम घूमकर सामान बेचता  था और उसी से अपनी स्कूल की फ़ीस भरता था |
+
एक समय की बात है एक बच्चा था जो बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था वह छोटा ही था की उसके माँ और पिताजी दोनों की बीमारी कारण मौत हो गई बच्चा अकेला रह गया और उसे खाने पिने की बहुत तकलीफ होने लगी थी वह अपना पेट भरने के लिए घूम घूमकर सामान बेचता  था और उसी से अपनी स्कूल की फ़ीस भरता था
  
वो भीषण गर्मी के दिन थे बच्चा घूम घूमकर सामान बेच रहता परन्तु कोई खरीदार नहीं था सारा सामान उसका ऐसे ही पड़ा था दोपहर हो गई थी | उसे बहुत जोरो की भूख और प्यास दोनों लगी थी परन्तु वह सोच रहा था की कुछ सामान बिक जाये तो उन पैसे से कुछ लेकर खालूँगा परन्तु कुछ भी बिका नहीं | उसकी हालत बहुत ही ख़राब हो चली थी | उसने अब विचार किया की अब जो भी घर आएगा उस घर से पिने के लिए पानी और कुछ खाने के लिए भी मांग लूँगा |
+
वो भीषण गर्मी के दिन थे बच्चा घूम घूमकर सामान बेच रहता परन्तु कोई खरीदार नहीं था सारा सामान उसका ऐसे ही पड़ा था दोपहर हो गई थी उसे बहुत जोरो की भूख और प्यास दोनों लगी थी परन्तु वह सोच रहा था की कुछ सामान बिक जाये तो उन पैसे से कुछ लेकर खालूँगा परन्तु कुछ भी बिका नहीं उसकी हालत बहुत ही ख़राब हो चली थी उसने अब विचार किया की अब जो भी घर आएगा उस घर से पिने के लिए पानी और कुछ खाने के लिए भी मांग लूँगा
  
अब एक घर के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई , घर के अन्दर से एक लडकी बहार आई , उसने पूछा कहिये क्यों आवाज दे रहे हो? लड़के ने कहा "जी प्यास लगी है पानी मिल सकता है क्या पिने के लिए बहुत प्यास लगी है, " परन्तु खाने के लिए कुछ ना मांग सका | उस लडकी ने बच्चे की तरफ देखकर समझ लिया था की यह बहुत भूखा है, इसलिए उसने पानी के साथ एक गिलास में दूध भी ले आई और उस लडके दे दी पिने के लिए | बच्चे ले हिचकते हुए दूध को पी लिया और "उस दूध का कितना मूल्य होगा ?" ऐसा उस लड़की से पुछा| लड़की ने कहा कोई बात नहीं, पैसे नहीं चाहिए |
+
अब एक घर के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई , घर के अन्दर से एक लडकी बहार आई , उसने पूछा कहिये क्यों आवाज दे रहे हो? लड़के ने कहा "जी प्यास लगी है पानी मिल सकता है क्या पिने के लिए बहुत प्यास लगी है, " परन्तु खाने के लिए कुछ ना मांग सका उस लडकी ने बच्चे को देखकर ही समझ गई थी की यह बहुत भूखा है, इसलिए उसने पानी के साथ एक गिलास में दूध भी ले आई और उस लडके दे दी पिने के लिए बच्चे ने  हिचकते हुए दूध को पी लिया और "उस दूध का कितना मूल्य होगा ?" ऐसा उस लड़की से पुछा। लड़की ने कहा कोई बात नहीं, पैसे नहीं चाहिए
  
कई वर्षो के बाद उसलड़की की तबियत बहुत अधिक ख़राब हो गई थी |उसे हस्पताल ले जाना पड़ा डॉक्टर ने बहुत मेहनत करके उसकी जान बचाई | जब वह ठीक हो गई तो उसे खर्च का बिल दिया गया , वह घबरा गई बिल देखकर क्योकि उसके पास बील भरने के लिए पैसे नहीं थे | फिर उसने बिल के निचे देखा जहाँ लिखा था आपका बिल भर दिया गया है आपको भरने की जरुरत नहीं है |
+
कई वर्षो के बाद उस लड़की की तबियत बहुत अधिक ख़राब हो गई थी ।उसे हस्पताल ले जाना पड़ा डॉक्टर ने बहुत मेहनत करके उसकी जान बचाई जब वह ठीक हो गई तो उसे खर्च का बिल दिया गया , वह घबरा गई बिल देखकर क्योकि उसके पास बील भरने के लिए पैसे नहीं थे फिर उसने बिल के निचे देखा जहाँ लिखा था आपका बिल भर दिया गया है आपको भरने की आवश्नयकता नहीं है
  
वह पढ़कर लडकी आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ नहीं आया क्या है ? बिल के साथ एक पत्र भी था उस पत्र को लडकी ने पढ़ा जिसमे लिखा था की आपके दूध का कर्ज है| धन्यवाद् अगर आपने उस दिन मेरी मदत ना की होती तो मै आज यह नहीं बन पाता |    
+
वह पढ़कर लडकी आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ नहीं आया क्या है ? बिल के साथ एक पत्र भी था उस पत्र को लडकी ने पढ़ा जिसमे लिखा था की आपके दूध का कर्ज है। धन्यवाद् अगर आपने उस दिन मेरी मदत ना की होती तो मै आज यह नहीं बन पाता    
  
==== '''कहानी की सीख : -''' जो जैसा कर्म और व्यवहार करता है उसके उसे उसका फल अवश्य मिलाता है, गलत करेंगे तो गलत सही करेंगे तो सही परिणाम मिलेगा, इसलिए हमें हमेश जरुरत मंद लोगो की बिना बोले मदद करनी चाहिए  ====
+
==== '''कहानी की सीख : -''' जो जैसा कर्म और व्यवहार करता है उसके उसे उसका फल अवश्य मिलाता है, गलत करेंगे तो गलत सही करेंगे तो सही परिणाम मिलेगा, इसलिए हमें हमेश जरुरत मंद लोगो की बिना बोले मदद करनी चाहिए। कभी अधीर नहीं होना चाहिए , धैर्य के साथ अपना कर्म कारण चाहिए फल अवश्य मिलाता है । ====
 +
इसी विषय के लिए कबीर जी ने लिखा है
 +
 
 +
धीरे धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होय । माली सोंचे सौ घड़ा ,ऋतू आये फल होय ।।

Revision as of 16:36, 29 July 2020

एक समय की बात है एक बच्चा था जो बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था । वह छोटा ही था की उसके माँ और पिताजी दोनों की बीमारी कारण मौत हो गई । बच्चा अकेला रह गया और उसे खाने पिने की बहुत तकलीफ होने लगी थी । वह अपना पेट भरने के लिए घूम घूमकर सामान बेचता था और उसी से अपनी स्कूल की फ़ीस भरता था ।

वो भीषण गर्मी के दिन थे बच्चा घूम घूमकर सामान बेच रहता परन्तु कोई खरीदार नहीं था सारा सामान उसका ऐसे ही पड़ा था दोपहर हो गई थी । उसे बहुत जोरो की भूख और प्यास दोनों लगी थी परन्तु वह सोच रहा था की कुछ सामान बिक जाये तो उन पैसे से कुछ लेकर खालूँगा परन्तु कुछ भी बिका नहीं । उसकी हालत बहुत ही ख़राब हो चली थी । उसने अब विचार किया की अब जो भी घर आएगा उस घर से पिने के लिए पानी और कुछ खाने के लिए भी मांग लूँगा ।

अब एक घर के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई , घर के अन्दर से एक लडकी बहार आई , उसने पूछा कहिये क्यों आवाज दे रहे हो? लड़के ने कहा "जी प्यास लगी है पानी मिल सकता है क्या पिने के लिए बहुत प्यास लगी है, " परन्तु खाने के लिए कुछ ना मांग सका । उस लडकी ने बच्चे को देखकर ही समझ गई थी की यह बहुत भूखा है, इसलिए उसने पानी के साथ एक गिलास में दूध भी ले आई और उस लडके दे दी पिने के लिए । बच्चे ने हिचकते हुए दूध को पी लिया और "उस दूध का कितना मूल्य होगा ?" ऐसा उस लड़की से पुछा। लड़की ने कहा कोई बात नहीं, पैसे नहीं चाहिए ।

कई वर्षो के बाद उस लड़की की तबियत बहुत अधिक ख़राब हो गई थी ।उसे हस्पताल ले जाना पड़ा डॉक्टर ने बहुत मेहनत करके उसकी जान बचाई । जब वह ठीक हो गई तो उसे खर्च का बिल दिया गया , वह घबरा गई बिल देखकर क्योकि उसके पास बील भरने के लिए पैसे नहीं थे । फिर उसने बिल के निचे देखा जहाँ लिखा था आपका बिल भर दिया गया है आपको भरने की आवश्नयकता नहीं है ।

वह पढ़कर लडकी आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ नहीं आया क्या है ? बिल के साथ एक पत्र भी था उस पत्र को लडकी ने पढ़ा जिसमे लिखा था की आपके दूध का कर्ज है। धन्यवाद् अगर आपने उस दिन मेरी मदत ना की होती तो मै आज यह नहीं बन पाता ।

कहानी की सीख : - जो जैसा कर्म और व्यवहार करता है उसके उसे उसका फल अवश्य मिलाता है, गलत करेंगे तो गलत सही करेंगे तो सही परिणाम मिलेगा, इसलिए हमें हमेश जरुरत मंद लोगो की बिना बोले मदद करनी चाहिए। कभी अधीर नहीं होना चाहिए , धैर्य के साथ अपना कर्म कारण चाहिए फल अवश्य मिलाता है ।

इसी विषय के लिए कबीर जी ने लिखा है

धीरे धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होय । माली सोंचे सौ घड़ा ,ऋतू आये फल होय ।।