Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 3: Line 3:  
दो साल बाद वह शहर से लौटकर अपने गांव आया और अपना तराजू वापस लेने मित्र के घर गया। पारसमल ने अपने मित्र से कहा कि पैसे लेकर उसका गिरवी रखाहुआ  तराजू उसे दे दे,मित्र ने जवाब दिया की तराजू को चूहों ने खा लिया। पारसमल समझ गया कि उसकी नियत में खोट आ गई है और वह मेरा तराजू वापस करना नहीं चाहता। तभी पारसमल के दिमाग में एक युक्ति सूझी। उसने साहूकार से कहा कि कोई बात नहीं अगर तराजू चूहों ने खा लिया है, तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। सारी गलती उन चूहों की है।
 
दो साल बाद वह शहर से लौटकर अपने गांव आया और अपना तराजू वापस लेने मित्र के घर गया। पारसमल ने अपने मित्र से कहा कि पैसे लेकर उसका गिरवी रखाहुआ  तराजू उसे दे दे,मित्र ने जवाब दिया की तराजू को चूहों ने खा लिया। पारसमल समझ गया कि उसकी नियत में खोट आ गई है और वह मेरा तराजू वापस करना नहीं चाहता। तभी पारसमल के दिमाग में एक युक्ति सूझी। उसने साहूकार से कहा कि कोई बात नहीं अगर तराजू चूहों ने खा लिया है, तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। सारी गलती उन चूहों की है।
   −
थोड़ी देर बाद उसने साहूकार से कहा कि दोस्त मैं नदी में नहाने जा रहा हूं। तुम अपने बेटे को भी मेरे साथ भेज दो। वो भी मेरे साथ नहा आएगा। साहूकार पारसमल के व्यवहार से बहुत खुश था, इसलिए उसने पारसमल के साथ अपने बेटे को नहाने के लिए नदी पर भेज दिया। पारसमल ने साहूकार के बेटे को नदी से से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बंद कर दिया। उसने गुफा के दरवाजे पर बड़ा-सा पत्थर रख दिया, जिससे साहूकार का बेटा बचकर भाग न पाए। साहूकार के बेटे को गुफा में बंद करके जीर्णधन वापस साहूकार के घर आ गया। उसे अकेला देखकर साहूकार ने पूछा कि मेरा बेटा कहां हैं। जीर्णधन बोला कि माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को चील उठाकर ले गई है।
+
थोड़ी समय बाद पारसमल ने अपने मित्र से कहा कि दोस्त मैं मंदिर जा रहा हूं दर्शन के लिए सोच रहा था की आपके बेटे को भी मेरे साथ भेज दो। वो भी मेरे साथ दर्शन कर आएगा। पारसमल के व्यवहार से बहुत खुश था, इसलिए उसने पारसमल के साथ अपने बेटे को दर्शन के लिए भेज दिया। पारसमल ने अपने मित्र के बेटे को मंदिर से कुछ दूर ले जाकर एक पुराने से घर में में बंद कर दिया। उसने घर के दरवाजे पर ताला लगा दिया, जिससे मित्र का बेटा बचकर भाग न पाए। मित्र के बेटे को बंद करके पारसमल मित्र के घर आ गया। उसे अकेला देखकर मित्र ने पारसमल से  पूछा कि मेरा बेटा कहां हैं। पारसमल बोला कि माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को बिल्ली उठा ले गई है।
    
साहूकार हैरान रह गया और बोला कि ये कैसे हो सकता है? चील इतने बड़े बच्चे को कैसे उठा ले जा सकती है? जीर्णधन बोला जैसे चूहे लोहे के तराजू को खा सकते हैं, वैसे ही चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। अगर बच्चा चाहिए, तो तराजू लौटा दो।
 
साहूकार हैरान रह गया और बोला कि ये कैसे हो सकता है? चील इतने बड़े बच्चे को कैसे उठा ले जा सकती है? जीर्णधन बोला जैसे चूहे लोहे के तराजू को खा सकते हैं, वैसे ही चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। अगर बच्चा चाहिए, तो तराजू लौटा दो।
1,192

edits

Navigation menu