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एक समय की बात है एक गांव में पारसमल नाम के एक व्यापारी रहते थे। उनका काम धंधा एकदम मंदा चल रहा था, इसलिए उसने धन कमाने के लिए उन्होंने शहर में जाने का फैसला किया। उनके पास न धन थे नहीं पुरखो की कोई मूल्यवान वस्तु थी। केवल उनके पास एक लोहे का वजन करने का तराजू था। उस तराजू को उन्होंने गिरवी रखकर बदले में कुछ रुपये ले लिए। पारसमल ने साहूकार से कहा कि वह शहर से लौटकर अपना उधार चुका कर तराजू वापस ले लेगा, और वह धन कमाने शहर चला गया |
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एक समय की बात है, एक बच्चा था जो बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था। वह छोटा ही था कि उसके माँ और पिताजी दोनों की बीमारी कारण मौत हो गई । बच्चा अकेला रह गया और उसे खाने पीने की बहुत तकलीफ होने लगी थी । वह अपना पेट भरने के लिए घूम घूमकर सामान बेचता था और उसी से अपनी स्कूल की फ़ीस भरता था।
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दो साल बाद वह शहर से लौटकर अपने गांव आया और अपना तराजू वापस लेने सहकर के घर गया। साहूकार बोला कि उस तराजू को चूहों ने खा लिया। पारसमल समझ गया कि साहूकार की नियतमें खोट आ हो गई है और वह मेरा तराजू वापस करना नहीं चाहता। तभी पारसमल के दिमाग में एक युक्ति सूझी। उसने साहूकार से कहा कि कोई बात नहीं अगर तराजू चूहों ने खा लिया है, तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। सारी गलती उन चूहों की है।
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वो भीषण गर्मी के दिन थे। बच्चा घूम घूमकर सामान बेच रहता परन्तु कोई खरीदार नहीं था। सारा सामान उसका ऐसे ही पड़ा था दोपहर हो गई थी। उसे बहुत जोरो की भूख और प्यास दोनों लगी थी, परन्तु वह सोच रहा था कि कुछ सामान बिक जाये तो उन पैसे से कुछ लेकर खा लूँगा, परन्तु कुछ भी बिका नहीं । उसकी हालत बहुत ही ख़राब हो चली थी। उसने अब विचार किया कि अब जो भी घर आएगा, उस घर से पीने के लिए पानी और कुछ खाने के लिए भी मांग लूँगा ।
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थोड़ी देर बाद उसने साहूकार से कहा कि दोस्त मैं नदी में नहाने जा रहा हूं। तुम अपने बेटे को भी मेरे साथ भेज दो। वो भी मेरे साथ नहा आएगा। साहूकार पारसमल के व्यवहार से बहुत खुश था, इसलिए उसने पारसमल के साथ अपने बेटे को नहाने के लिए नदी पर भेज दिया। पारसमल ने साहूकार के बेटे को नदी से से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बंद कर दिया। उसने गुफा के दरवाजे पर बड़ा-सा पत्थर रख दिया, जिससे साहूकार का बेटा बचकर भाग न पाए। साहूकार के बेटे को गुफा में बंद करके जीर्णधन वापस साहूकार के घर आ गया। उसे अकेला देखकर साहूकार ने पूछा कि मेरा बेटा कहां हैं। जीर्णधन बोला कि माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को चील उठाकर ले गई है।
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अब एक घर के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई, घर के अन्दर से एक लडकी बाहर आई, उसने पूछा कहिये क्यों आवाज दे रहे हो? लड़के ने कहा "जी प्यास लगी है, पानी मिल सकता है क्या?" परन्तु खाने के लिए कुछ ना मांग सका। वह लडकी बच्चे को देखकर ही समझ गई थी कि यह बहुत भूखा है, अतः वह पानी के साथ एक गिलास में दूध भी ले आई और उस लड़के को को पीने के लिए दे दिया। बच्चे ने हिचकते हुए दूध को पी लिया और "इस दूध का कितना मूल्य होगा ?" ऐसा उस लड़की से पूछा। लड़की ने कहा कोई बात नहीं, पैसे नहीं चाहिए।
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साहूकार हैरान रह गया और बोला कि ये कैसे हो सकता है? चील इतने बड़े बच्चे को कैसे उठा ले जा सकती है? जीर्णधन बोला जैसे चूहे लोहे के तराजू को खा सकते हैं, वैसे ही चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। अगर बच्चा चाहिए, तो तराजू लौटा दो।
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कई वर्षों के बाद उस लड़की की तबियत बहुत अधिक ख़राब हो गई थी। उसे हस्पताल ले जाना पड़ा। डॉक्टर ने बहुत मेहनत करके उसकी जान बचाई । जब वह ठीक हो गई तो उसे खर्च का बिल दिया गया, वह बिल देखकर घबरा गई क्योकि उसके पास बिल भरने के लिए पैसे नहीं थे। फिर उसने बिल के नीचे  देखा, जहाँ लिखा था - 'आपका बिल भर दिया गया है आपको भरने की आवश्नयकता नहीं है'।
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जब अपने ऊपर मुसीबत आई तब साहूकार को अक्ल आई। उसने जीर्णधन का तराजू वापस कर दिया और जीर्णधन ने साहूकार के बेटे को आजाद कर दिया।
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वह पढ़कर लडकी आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ नहीं आया क्या है? बिल के साथ एक पत्र भी था। उस पत्र को लडकी ने पढ़ा जिसमे लिखा था की आपके दूध का कर्ज है। धन्यवाद!! अगर आपने उस दिन मेरी सहायता ना की होती तो मैं आज यह नहीं बन पाता । 
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==== '''कहानी की सीख''' ====
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== कहानी की सीख ==
जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ वैसा व्यवहार करो, ताकि उसे अपने गलती का अहसास हो जाए।
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जो जैसा कर्म और व्यवहार करता है उसके उसे उसका फल अवश्य मिलाता है, गलत करेंगे तो गलत, सही करेंगे तो सही परिणाम मिलेगा, अतः हमें सदा  जरुरत मंद लोगों की बिना बोले सहायता करनी चाहिए। कभी अधीर नहीं होना चाहिए, धैर्य के साथ अपना कर्म कारण चाहिए फल अवश्य मिलता है।
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इसी विषय के लिए कबीर जी ने लिखा है: <blockquote>धीरे धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ऋतू आये फल होय ।।</blockquote>
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[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]

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