Difference between revisions of "जो जैसा करता है वैसा भरता है"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
m
(सम्पादित किया)
Line 1: Line 1:
एक समय की बात है एक गांव में पारसमल नाम के एक व्यापारी रहते थे। उनका काम धंधा एकदम मंदा चल रहा था, इसलिए उसने धन कमाने के लिए उन्होंने शहर में जाने का फैसला किया। उनके पास न धन थे नहीं पुरखो की कोई मूल्यवान वस्तु थी। केवल उनके पास एक लोहे का वजन करने का तराजू था। उस तराजू को उन्होंने अपने मित्र के पास गिरवी रखकर बदले में कुछ रुपये ले लिए। पारसमल ने मित्र से कहा कि वह शहर से लौटकर अपना उधार चुका कर तराजू वापस ले लेगा, और वह धन कमाने शहर चला गया |
+
एक समय की बात है एक बच्चा था जो बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था | वह छोटा ही था की उसके माँ और पिताजी दोनों की बीमारी कारण मौत हो गई | बच्चा अकेला रह गया और उसे खाने पिने की बहुत तकलीफ होने लगी थी | वह अपना पेट भरने के लिए घूम घूमकर सामान बेचता  था और उसी से अपनी स्कूल की फ़ीस भरता था |
  
दो साल बाद वह शहर से लौटकर अपने गांव आया और अपना तराजू वापस लेने मित्र के घर गया। पारसमल ने अपने मित्र से कहा कि पैसे लेकर उसका गिरवी रखाहुआ  तराजू उसे दे दे,मित्र ने जवाब दिया की तराजू को चूहों ने खा लिया। पारसमल समझ गया कि उसकी नियत में खोट आ गई है और वह मेरा तराजू वापस करना नहीं चाहता। तभी पारसमल के दिमाग में एक युक्ति सूझी। उसने साहूकार से कहा कि कोई बात नहीं अगर तराजू चूहों ने खा लिया है, तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। सारी गलती उन चूहों की है।
+
वो भीषण गर्मी के दिन थे बच्चा घूम घूमकर सामान बेच रहता परन्तु कोई खरीदार नहीं था सारा सामान उसका ऐसे ही पड़ा था दोपहर हो गई थी | उसे बहुत जोरो की भूख और प्यास दोनों लगी थी परन्तु वह सोच रहा था की कुछ सामान बिक जाये तो उन पैसे से कुछ लेकर खालूँगा परन्तु कुछ भी बिका नहीं | उसकी हालत बहुत ही ख़राब हो चली थी | उसने अब विचार किया की अब जो भी घर आएगा उस घर से पिने के लिए पानी और कुछ खाने के लिए भी मांग लूँगा |
  
थोड़ी समय बाद पारसमल ने अपने मित्र से कहा कि दोस्त मैं मंदिर जा रहा हूं दर्शन के लिए सोच रहा था की आपके बेटे को भी मेरे साथ भेज दो। वो भी मेरे साथ दर्शन कर आएगा।  पारसमल के व्यवहार से बहुत खुश था, इसलिए उसने पारसमल के साथ अपने बेटे को दर्शन के लिए भेज दिया। पारसमल ने अपने मित्र के बेटे को मंदिर से कुछ दूर ले जाकर एक पुराने से घर में में बंद कर दिया। उसने घर के दरवाजे पर ताला लगा दिया, जिससे मित्र का बेटा बचकर भाग न पाए। मित्र के बेटे को बंद करके पारसमल मित्र के घर आ गया। उसे अकेला देखकर मित्र ने पारसमल से  पूछा कि मेरा बेटा कहां हैं। पारसमल बोला कि माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को बिल्ली उठा ले गई है।
+
अब एक घर के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई , घर के अन्दर से एक लडकी बहार आई , उसने पूछा कहिये क्यों आवाज दे रहे हो? लड़के ने कहा "जी प्यास लगी है पानी मिल सकता है क्या पिने के लिए बहुत प्यास लगी है, " परन्तु खाने के लिए कुछ ना मांग सका | उस लडकी ने बच्चे की तरफ देखकर समझ लिया था की यह बहुत भूखा है, इसलिए उसने पानी के साथ एक गिलास में दूध भी ले आई और उस लडके दे दी पिने के लिए | बच्चे ले हिचकते हुए दूध को पी लिया और "उस दूध का कितना मूल्य होगा ?" ऐसा उस लड़की से पुछा| लड़की ने कहा कोई बात नहीं, पैसे नहीं चाहिए |
  
साहूकार हैरान रह गया और बोला कि ये कैसे हो सकता है? चील इतने बड़े बच्चे को कैसे उठा ले जा सकती है? जीर्णधन बोला जैसे चूहे लोहे के तराजू को खा सकते हैं, वैसे ही चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। अगर बच्चा चाहिए, तो तराजू लौटा दो।
+
कई वर्षो के बाद उसलड़की की तबियत बहुत अधिक ख़राब हो गई थी |उसे हस्पताल ले जाना पड़ा डॉक्टर ने बहुत मेहनत करके उसकी जान बचाई | जब वह ठीक हो गई तो उसे खर्च का बिल दिया गया , वह घबरा गई बिल देखकर क्योकि उसके पास बील भरने के लिए पैसे नहीं थे | फिर उसने बिल के निचे देखा जहाँ लिखा था आपका बिल भर दिया गया है आपको भरने की जरुरत नहीं है |
  
जब अपने ऊपर मुसीबत आई तब साहूकार को अक्ल आई। उसने जीर्णधन का तराजू वापस कर दिया और जीर्णधन ने साहूकार के बेटे को आजाद कर दिया।
+
वह पढ़कर लडकी आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ नहीं आया क्या है ? बिल के साथ एक पत्र भी था उस पत्र को लडकी ने पढ़ा जिसमे लिखा था की आपके दूध का कर्ज है| धन्यवाद् अगर आपने उस दिन मेरी मदत नाकि होती तो मै आज यह नहीं बन पाता | 
  
==== '''कहानी की सीख''' ====
+
==== '''कहानी की सीख : -''' जो जैसा कर्म और व्यवहार करता है उसके साथ वैसा व्यवहार करो, ताकि उसे अपने गलती का अहसास हो जाए। ====
जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ वैसा व्यवहार करो, ताकि उसे अपने गलती का अहसास हो जाए।
 

Revision as of 16:23, 29 July 2020

एक समय की बात है एक बच्चा था जो बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था | वह छोटा ही था की उसके माँ और पिताजी दोनों की बीमारी कारण मौत हो गई | बच्चा अकेला रह गया और उसे खाने पिने की बहुत तकलीफ होने लगी थी | वह अपना पेट भरने के लिए घूम घूमकर सामान बेचता था और उसी से अपनी स्कूल की फ़ीस भरता था |

वो भीषण गर्मी के दिन थे बच्चा घूम घूमकर सामान बेच रहता परन्तु कोई खरीदार नहीं था सारा सामान उसका ऐसे ही पड़ा था दोपहर हो गई थी | उसे बहुत जोरो की भूख और प्यास दोनों लगी थी परन्तु वह सोच रहा था की कुछ सामान बिक जाये तो उन पैसे से कुछ लेकर खालूँगा परन्तु कुछ भी बिका नहीं | उसकी हालत बहुत ही ख़राब हो चली थी | उसने अब विचार किया की अब जो भी घर आएगा उस घर से पिने के लिए पानी और कुछ खाने के लिए भी मांग लूँगा |

अब एक घर के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई , घर के अन्दर से एक लडकी बहार आई , उसने पूछा कहिये क्यों आवाज दे रहे हो? लड़के ने कहा "जी प्यास लगी है पानी मिल सकता है क्या पिने के लिए बहुत प्यास लगी है, " परन्तु खाने के लिए कुछ ना मांग सका | उस लडकी ने बच्चे की तरफ देखकर समझ लिया था की यह बहुत भूखा है, इसलिए उसने पानी के साथ एक गिलास में दूध भी ले आई और उस लडके दे दी पिने के लिए | बच्चे ले हिचकते हुए दूध को पी लिया और "उस दूध का कितना मूल्य होगा ?" ऐसा उस लड़की से पुछा| लड़की ने कहा कोई बात नहीं, पैसे नहीं चाहिए |

कई वर्षो के बाद उसलड़की की तबियत बहुत अधिक ख़राब हो गई थी |उसे हस्पताल ले जाना पड़ा डॉक्टर ने बहुत मेहनत करके उसकी जान बचाई | जब वह ठीक हो गई तो उसे खर्च का बिल दिया गया , वह घबरा गई बिल देखकर क्योकि उसके पास बील भरने के लिए पैसे नहीं थे | फिर उसने बिल के निचे देखा जहाँ लिखा था आपका बिल भर दिया गया है आपको भरने की जरुरत नहीं है |

वह पढ़कर लडकी आश्चर्य चकित हो गई उसे समझ नहीं आया क्या है ? बिल के साथ एक पत्र भी था उस पत्र को लडकी ने पढ़ा जिसमे लिखा था की आपके दूध का कर्ज है| धन्यवाद् अगर आपने उस दिन मेरी मदत नाकि होती तो मै आज यह नहीं बन पाता |

कहानी की सीख : - जो जैसा कर्म और व्यवहार करता है उसके साथ वैसा व्यवहार करो, ताकि उसे अपने गलती का अहसास हो जाए।