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एक जंगल के एक पेड़ के बिल में एक साप रहता था | वह उस जंगल के प्राणी , पक्षी और उनके अन्डो को खा जाता था | वह दिन में सोता था और रात में शिकार करता था | एक दिन खा - खा  कर इतना बड़ा हो गया की उसके रहने क लिए उसका बिल भी छोटा पड़ने लगा |  
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घने जंगल में एक वृक्ष के बिल में एक सर्प रहता था | वह उस जंगल के छोटे प्राणियों  , पक्षियों और उनके अण्डों  को खा जाता था | वह दिन भर में सोता रहता था और रात्रि के समय शिकार करने के लिए घूमता रहता था | वह सर्प जंगलो में शिकार को खा - खा  कर इतना मोटा और विशाल हो गया की हो गया कि वक सर्प अपने ही बिल में जा नहीं पा रहा था उसका बिल ही उसके शारीर के अपेक्षा छोटा हो गया था |  
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इस लिए वह साप नए घर के तलास में इधर -  उधर भटकने लगा |एक दिन वह एक जंगल से गुजर रहा था तो उसे एक आम के पेड़ पर एक बड़ा बिल दिखाइ दिया | उसने उस जंगल के प्राणी और पक्षिओ को कहा की ,”तुम सब अब से मेरे घर के आस –पास नहीं दिखो गे |”
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अतः वह सर्प  नए घर में इधर -  उधर भटकने लगा |एक दिन वह एक जंगल से गुजर रहा था तो उसे एक आम के पेड़ पर एक बड़ा बिल दिखाइ दिया | उसने उस जंगल के प्राणी और पक्षिओ को कहा की ,”तुम सब अब से मेरे घर के आस –पास नहीं दिखो गे |”
    
उस जंगल के सारे प्राणी और पक्षी इधर – उधर भागने लगे परन्तु चीटियाँ वह से नहीं हटी | उन चीटियों ने साप से कहा की ,”हम सबने यह घर बहुत परिश्रम से बनया है |" साप ने चीटियों की बात न मानी |
 
उस जंगल के सारे प्राणी और पक्षी इधर – उधर भागने लगे परन्तु चीटियाँ वह से नहीं हटी | उन चीटियों ने साप से कहा की ,”हम सबने यह घर बहुत परिश्रम से बनया है |" साप ने चीटियों की बात न मानी |

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