चाणक्य जी के प्रेरक प्रसंग - रूप या गुण

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भारत की एक महान विभूति जिनसे सभी लोग बहुत ही अच्छी तरह परिचित है, उनके विचारो से कितने लोग प्रेरणा लेकर उनकी नीतियों का उपयोग आज भी अपने जीवन में करते है | उन महान विभूति का परिचय है आचार्य कौटिल्य चाणक्य जिनकी ज्ञान गंगा और जिनके विचारो में डूबकी लगाकर अपना जीवन धन्य किया | जिस समय भारत वर्ष में विभाजन का खतरा मंडरा रहा था उस परिस्थिति में पुरे भारत वर्ष को अपनी निति एवं बुद्धिकौसल्य द्वारा पुरे भारत को एक सूत्र में बांधने का प्रयास सफलता पूर्वक किया | आचार्य चाणक्य जी ने अपने राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत होकर उन्होंने एक साधारण बालक चन्द्रगुप्त और अशोक जैसे साधारण बालको को मगध का सम्राट बनया जो आगे सम्राट अशोक के नाम से प्रसिद्ध हुए | जिन्होंने भारत वर्ष को महान बनाया |

ऐसे महान विभूति श्री आचार्य चाणक्य जी के जीवन की प्रेरणा दायक कथाओं में से कुछ अंश |

एकबार सम्राट चन्द्रगुप्त जी और आचार्य चाणक्य के कुछ चर्चा चल रही थी, तभी अचानक सम्राट चन्द्रगुप्त ने चाणक्य जी से कहा," काश आप खुबसूरत होते" ? आचार्य चाणक्य यह बात सुनकर सम्राट से कहा "राजन मनुष्य की पहचान उसके बाह्य रंग रूप से होती है या उसके आतंरिक गुणों से होती है |