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बात सन १८८३ से १८८५ की है। तलवार के सामर्थ्य पर चलने का समय था । देश में छोटे बड़े अनेक राज्य थे और छोटे बड़े अनेक राजा थे । गुजरातमें जूनागढ़ राज्य का नवाब रसूलखान था । उसके राज्य में मकरान से आये हुए कई मुसलमानों का निवास था | पूर्व में आये हुए और बाद में आये हुए मकरानियों के दो गुटों में झगडा हुआ | उस झगडेमें नवाबने जो न्याय दिया वह कादरबक्ष नाम के मकरानी मुसलमानको जंचा नहीं और वह नवाब के अन्याय का विरोध करने के लिये, अपने अपमान का बदला लेने के लिये बहारवटिया बन गया | (बहारवटिया उसे कहते हैं, जो घर परिवार छोडकर राज्य की सीमा से बाहर हो जाता है और अपना गुट बनाकर तलवार के जोर पर प्रजा और राजा को परेशान करता है और राजा को न्याय करने के लिये बाध्य करता है ।) और प्रजा को परेशान करने लगा | कादरबक्ष प्रजा में कादु मकरानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ | कादु था तो बहुत पाक मुसलमान परंतु वैर की आगने उसे डाकू बना दिया था ।
 
बात सन १८८३ से १८८५ की है। तलवार के सामर्थ्य पर चलने का समय था । देश में छोटे बड़े अनेक राज्य थे और छोटे बड़े अनेक राजा थे । गुजरातमें जूनागढ़ राज्य का नवाब रसूलखान था । उसके राज्य में मकरान से आये हुए कई मुसलमानों का निवास था | पूर्व में आये हुए और बाद में आये हुए मकरानियों के दो गुटों में झगडा हुआ | उस झगडेमें नवाबने जो न्याय दिया वह कादरबक्ष नाम के मकरानी मुसलमानको जंचा नहीं और वह नवाब के अन्याय का विरोध करने के लिये, अपने अपमान का बदला लेने के लिये बहारवटिया बन गया | (बहारवटिया उसे कहते हैं, जो घर परिवार छोडकर राज्य की सीमा से बाहर हो जाता है और अपना गुट बनाकर तलवार के जोर पर प्रजा और राजा को परेशान करता है और राजा को न्याय करने के लिये बाध्य करता है ।) और प्रजा को परेशान करने लगा | कादरबक्ष प्रजा में कादु मकरानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ | कादु था तो बहुत पाक मुसलमान परंतु वैर की आगने उसे डाकू बना दिया था ।
  

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