ईमानदारी का फल

From Dharmawiki
Revision as of 15:23, 1 August 2020 by Sunilv (talk | contribs) (लेख सम्पादित किया)
Jump to navigation Jump to search

एक समय की बात है, एक गांव में एक लकडहारा रहता था | उसका नाम रामु था और वह बहुत ही गरीब था | वह अपने घर का खर्च चलने के लिए प्रतिदिन जंगल मे जाकर लकड़ियाँ काटकर उन्हें बाजार में बेचकर कुछ पैसे कमाता है उनसे अपना भरण पोषण करता था | उसकी हालत रोज कमाने और रोज खाने की थी |

एक दिन लकडहारा सूखे पेड़ खोज कर रहा था उसे कटकर बाज़ार में बेचने के लिए | एक नदी के किनारे उसे एक सुखा पेड़ मिला | लकडहारा पेड़ पर चढ़कर लकडीयां कटाने लगा | काटते काटते अचानक उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर नदी में गिर गई और लकडहारा एकदम उदास हो गया उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े, उदास लकडहारा नदी किनारे बैठ कर सोचने लगा की अब उसके घर का खर्च कैसे चलेगा अब भूखो मरना पड़ेगा |

उदास होकर लकडहारा बैठा था तभी अचानक नदी से एक देवी प्रकट हुई, देवी ने लकड़हारे से पूछा " क्या हुआ तुम उदास क्यों बैठे हों ? लकडहारे ने कहा " हे देवी मेरे पास एक ही कुल्हाडी जो नदी में गिर गई है उसी कुल्हाड़ी से मेरे परिवार और घर का खर्च चलता था | अब मै क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है और मेरे पास धन भी नहीं है जिससे मै नई कुल्हाड़ी खरीद लू |

देवी बोली बस इतनी सी बात मै अभी नदी में से कुल्हाड़ी लती हूँ | देवी नदी में चली गई और थोड़ी समय बाद बाहर आई उनके हाथ में एक सोने की कुल्हाड़ी थी | देवी ने कहाँ हे बालक यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी, कुल्हाड़ी को देखकर लकडहारा मुस्कुराया और बोला हे देवी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है यह किसी और की होगी |

देवी ने कहा हे बालक कोई बात नहीं यह लेलो सोने की है तुम्हारे काम आएगी | परन्तु लकडहारा नहीं माना उसे केवल अपन लोहे कही कुल्हाड़ी चाहिए