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एक समय की बात है, एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। उसका नाम रामू था और वह बहुत ही गरीब था। वह अपने घर का खर्च चलाने के लिए प्रतिदिन जंगल मे जाकर लकड़ियाँ काटकर उन्हें बाजार में बेचकर कुछ पैसे कमाता था उनसे अपना भरण पोषण करता था। उसकी हालत रोज कमाने और रोज खाने की थी।  
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एक समय की बात है, एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। उसका नाम रामू था और वह बहुत ही गरीब था। वह अपने घर का खर्च चलाने के लिए प्रतिदिन जंगल मे जाकर लकड़ियाँ काटकर उन्हें हाट में बेचकर कुछ पैसे कमाता था उनसे अपना भरण पोषण करता था। उसकी हालत रोज कमाने और रोज खाने की थी।  
    
एक दिन लकड़हारा सूखे पेड़ खोज कर रहा था, ताकि उसकी लकड़ी काटकर बाज़ार में बेच सके। एक नदी के किनारे उसे एक सुखा पेड़ मिला। लकड़हारा पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काटने लगा। काटते काटते अचानक उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर नदी में गिर गई और लकड़हारा एकदम उदास हो गया। उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े, उदास लकड़हारा नदी किनारे बैठ कर सोचने लगा की अब उसके घर का खर्च कैसे चलेगा, अब भूखो मरना पड़ेगा।  
 
एक दिन लकड़हारा सूखे पेड़ खोज कर रहा था, ताकि उसकी लकड़ी काटकर बाज़ार में बेच सके। एक नदी के किनारे उसे एक सुखा पेड़ मिला। लकड़हारा पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काटने लगा। काटते काटते अचानक उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर नदी में गिर गई और लकड़हारा एकदम उदास हो गया। उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े, उदास लकड़हारा नदी किनारे बैठ कर सोचने लगा की अब उसके घर का खर्च कैसे चलेगा, अब भूखो मरना पड़ेगा।  

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