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साथ ही जिनके माध्यम से इस ग्रन्थ के अनेक विषयों में व्यापक सहभागिता प्राप्त करने का प्रयास हुआ उन प्रश्नावलियों को भी एक साथ रखा गया है । विभिन्न समूहों में इन विषयों पर चर्चा के प्रवर्तन हेतु इनका उपयोग सुलभ बने इस दृष्टि से यह प्रयास किया है।
 
साथ ही जिनके माध्यम से इस ग्रन्थ के अनेक विषयों में व्यापक सहभागिता प्राप्त करने का प्रयास हुआ उन प्रश्नावलियों को भी एक साथ रखा गया है । विभिन्न समूहों में इन विषयों पर चर्चा के प्रवर्तन हेतु इनका उपयोग सुलभ बने इस दृष्टि से यह प्रयास किया है।
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इस पर्व का, और इस ग्रन्थ का समापन एक सर्वसामान्य प्रश्नोत्तरी से होता है । ये प्रश्न ऐसे हैं जिनकी सर्वत्र चर्चा होती है और सब अपनी अपनी द्रष्टि से उनके उत्तर खोजते हैं । यहाँ भारतीय शैक्षिक दृष्टि से इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया गया है । अपेक्षा यह है कि शिक्षा के विषय में केवल चिन्ता करने के स्थान पर हम यथासम्भव, यथाशीघ्र प्रत्यक्ष परिवर्तन करने का प्रारम्भ करें ।
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इस पर्व का, और इस ग्रन्थ का समापन एक सर्वसामान्य प्रश्नोत्तरी से होता है । ये प्रश्न ऐसे हैं जिनकी सर्वत्र चर्चा होती है और सब अपनी अपनी द्रष्टि से उनके उत्तर खोजते हैं । यहाँ धार्मिक शैक्षिक दृष्टि से इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया गया है । अपेक्षा यह है कि शिक्षा के विषय में केवल चिन्ता करने के स्थान पर हम यथासम्भव, यथाशीघ्र प्रत्यक्ष परिवर्तन करने का प्रारम्भ करें ।
    
=== अनुक्रमणिका ===
 
=== अनुक्रमणिका ===
 
१६. आलेख  
 
१६. आलेख  
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१७. भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम  
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१७. धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम  
    
१८. प्रश्नावलि एक सर्वसामान्य प्रश्नोत्तरी
 
१८. प्रश्नावलि एक सर्वसामान्य प्रश्नोत्तरी
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* विद्यालय के भवन में तापमान नियन्त्रण की प्राकृतिक व्यवस्था होनी चाहिये । भवन की वास्तुकला ऐसी होनी चाहिये कि दिन में भी विद्युत प्रकाश की आवश्यकता न रहे और ग्रीष्म ऋतु में भी पंखों की आवश्यकता न पडे।  
 
* विद्यालय के भवन में तापमान नियन्त्रण की प्राकृतिक व्यवस्था होनी चाहिये । भवन की वास्तुकला ऐसी होनी चाहिये कि दिन में भी विद्युत प्रकाश की आवश्यकता न रहे और ग्रीष्म ऋतु में भी पंखों की आवश्यकता न पडे।  
 
* विद्यालय के भवन में सादगी होनी चाहिये, वैभव नहीं, सौन्दर्य होना चाहिये, विलासिता नहीं।  
 
* विद्यालय के भवन में सादगी होनी चाहिये, वैभव नहीं, सौन्दर्य होना चाहिये, विलासिता नहीं।  
* भवन निर्माण के भारतीय शास्त्र के अनुसार भवन बनना चाहिये । वास्तुशास्त्र का भी अनुसरण करना चाहिये।  
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* भवन निर्माण के धार्मिक शास्त्र के अनुसार भवन बनना चाहिये । वास्तुशास्त्र का भी अनुसरण करना चाहिये।  
* भारतीय भवनों की खिडकियाँ भूतल से ढाई या तीन फीट की ऊँचाई पर नहीं होती अधिक से अधिक एक फूट की ऊँचाई पर ही होती हैं क्योंकि सबका भूमि पर बैठना ही अपेक्षित होता है।  
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* धार्मिक भवनों की खिडकियाँ भूतल से ढाई या तीन फीट की ऊँचाई पर नहीं होती अधिक से अधिक एक फूट की ऊँचाई पर ही होती हैं क्योंकि सबका भूमि पर बैठना ही अपेक्षित होता है।  
 
* विद्यालय भवन में वर्षा के पानी का संग्रह करने की व्यवस्था तो होनी ही चाहिये परन्तु गन्दे पानी की निकास की व्यवस्था भूमि के उपर होनी चाहिये ।  
 
* विद्यालय भवन में वर्षा के पानी का संग्रह करने की व्यवस्था तो होनी ही चाहिये परन्तु गन्दे पानी की निकास की व्यवस्था भूमि के उपर होनी चाहिये ।  
 
* विद्यालय के भवन को मिट्टी युक्त आँगन या मैदान होना चाहिये सब कुछ पथ्थर से बन्द नहीं कर देना चाहिये।
 
* विद्यालय के भवन को मिट्टी युक्त आँगन या मैदान होना चाहिये सब कुछ पथ्थर से बन्द नहीं कर देना चाहिये।
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==References==
 
==References==
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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<references />धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
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[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
 
[[Category:Education Series]]
 
[[Category:Education Series]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा : धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम]]

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