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'क्या?'
 
'क्या?'
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'पोस्ट ओफिस' मेरे मन में आया कि अगर यहाँ पोस्ट ऑफिस को और कुछ नाम से पहचानते होंगे तो और गडबड होगी। प्रवाही पेट्रोल को गेस कहने वाले लोग हो सकता है कि पोस्ट ऑफिस को 'लेटर थ्रोअर' कहते हो । जरुरतमंद लोगोंं ने अमेरिका जाने से पहले अमेरिकन अंग्रेजी सीख लेनी चाहिये । यहाँ होटेल का बील माँगते समय 'चेक'माँगना पडता है और हमने चुकाये पैसे को बील कहते हैं। तीसवे या चालीसवे तले पर ले जानेवाले उपकरण को सभी अंग्रेजीभाषी देशों में लिफ्ट कहते हैं पर यहाँ उसे एलीवेटर कहते हैं। और कार में लिफ्ट माँगते हैं तो शायद उनको आघात पहुँचाते हों क्यों कि अमेरिकन आदमी कार में राइड देता है । मैं यह सोच रहा था तब तक महिला थोडी स्वस्थ हो चुकी थी। उसने पूछा, 'डिड यु से पोस्टओफिस ?'
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'पोस्ट ओफिस' मेरे मन में आया कि अगर यहाँ पोस्ट ऑफिस को और कुछ नाम से पहचानते होंगे तो और गडबड होगी। प्रवाही पेट्रोल को गेस कहने वाले लोग हो सकता है कि पोस्ट ऑफिस को 'लेटर थ्रोअर' कहते हो । जरुरतमंद लोगोंं ने अमेरिका जाने से पहले अमेरिकन अंग्रेजी सीख लेनी चाहिये । यहाँ होटेल का बील माँगते समय 'चेक'माँगना पडता है और हमने चुकाये पैसे को बील कहते हैं। तीसवे या चालीसवे तले पर ले जानेवाले उपकरण को सभी अंग्रेजीभाषी देशों में लिफ्ट कहते हैं पर यहाँ उसे एलीवेटर कहते हैं। और कार में लिफ्ट माँगते हैं तो संभवतः उनको आघात पहुँचाते हों क्यों कि अमेरिकन आदमी कार में राइड देता है । मैं यह सोच रहा था तब तक महिला थोडी स्वस्थ हो चुकी थी। उसने पूछा, 'डिड यु से पोस्टओफिस ?'
    
हाँ ! पोस्ट ऑफिस, मुझे कुछ स्टेम्प्स लेने हैं।
 
हाँ ! पोस्ट ऑफिस, मुझे कुछ स्टेम्प्स लेने हैं।
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इंस्टंट कोफी, इंस्टंट चाय, इंस्टंट चावल -एक मिनट में भोजन तैयार ! कागज की पुड़ियों में भोजन तैयार मिलता है। डाल दो उसे उबलते पानी में, एक मिनिट में भोजन तैयार । फिर एक मिनिट में भोजन तैयार करनेवाली कंपनी का प्रतिस्पर्धी घोषणा करता है, अरे ! एक मिनिट? वोट अ वेस्ट ओफ टाइम । यह देखिये हमारी कंपनी की थैली, थर्टी सेकण्डस में सूप, स्टेक, पुडिंग,कॉफी', और फिर ऐसी थैली लाकर तीस सेकेंड बचाने वाले प्रेमी को उसकी प्रियतमा प्रगाढ चुंबन देती है। यह द्रश्य टीवी पर चोवीस घण्टे चमकता ही रहता है । बेचने की चीज चाहे कोई भी हो उसका परिणाम अंत में प्रगाढ चुंबनों में और आलिंगनों में ही होना चाहिये । ऐसे द्रश्य निरंतर देखते देखते उसका रोमांच भी खतम हो गया है। इसलिये अब रंगमंच पर नगनावस्था में दंगा।
 
इंस्टंट कोफी, इंस्टंट चाय, इंस्टंट चावल -एक मिनट में भोजन तैयार ! कागज की पुड़ियों में भोजन तैयार मिलता है। डाल दो उसे उबलते पानी में, एक मिनिट में भोजन तैयार । फिर एक मिनिट में भोजन तैयार करनेवाली कंपनी का प्रतिस्पर्धी घोषणा करता है, अरे ! एक मिनिट? वोट अ वेस्ट ओफ टाइम । यह देखिये हमारी कंपनी की थैली, थर्टी सेकण्डस में सूप, स्टेक, पुडिंग,कॉफी', और फिर ऐसी थैली लाकर तीस सेकेंड बचाने वाले प्रेमी को उसकी प्रियतमा प्रगाढ चुंबन देती है। यह द्रश्य टीवी पर चोवीस घण्टे चमकता ही रहता है । बेचने की चीज चाहे कोई भी हो उसका परिणाम अंत में प्रगाढ चुंबनों में और आलिंगनों में ही होना चाहिये । ऐसे द्रश्य निरंतर देखते देखते उसका रोमांच भी खतम हो गया है। इसलिये अब रंगमंच पर नगनावस्था में दंगा।
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'ओ कोलकता' उसका ‘फेंटास्टिक्क' पर्यवसान । मैं उसमें लगे कोलकता शब्द के कारण देखने गया । पर्दा उठा और दो-तीन स्त्री पुरुष शरीर पर कपडा ओढ कर गीत गाते आये और पहली सम पर आते आते तो अपने कपड़े फेंक कर उन्होंने अपने संपूर्ण नग्न देह के दर्शन कराये । उसमें से कुछ तो अपने लिंग का इतना बिभत्स प्रदर्शन कर रहे थे कि उस निर्लज्जता में 'कला' कहाँ है यह समझना मेरे लिये मुश्किल हो गया था । पेरीस के ‘फोलीझ' में शिल्प समान सुंदरियों के अधिकांश अनावृत्त देह वाले नृत्य होते हैं । वह कला कोई बहुत उच्च स्तरीय नहीं है पर उसमें कम से कम लयबद्ध कवायत जितनी तो आकर्षकता होती है । पर यहाँ तो मात्र बिकाउ नग्नता । ऐसे तमाशे कर डॉलर इकट्ठे करनेवाले लोगोंं के प्रति मुझे बहुत घृणा हुई । इसी लिये अपने धनाधिष्ठित जीवन के सभी सूत्रों को तोडकर 'शय्या भूमितलं दिशोपि वसनं' का संकल्प लेकर निकले हिप्पियों की दुनिया का कबजा भी इन दुकानदारों ने लिया देखकर उन बनियों की अमानवीय धनतृष्णा का मुझे आश्चर्य ही हुआ । अमेरिका में प्रत्येक बात 'फटाफट' बनानेवाले इन दुकानदारों ने अपनी दुकानों में फटाफट हिप्पी बनाने की भी सुविधा खडी कर ली है । इंस्टंट कॉफी के समान ही इंस्टंट हिप्पी । आप जिस पंथ के हैं उसका यतिवेश गणवेश की तरह तैयार ही है। शायद यहाँ बाल और दाढियाँ भी बिकती होगी।
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'ओ कोलकता' उसका ‘फेंटास्टिक्क' पर्यवसान । मैं उसमें लगे कोलकता शब्द के कारण देखने गया । पर्दा उठा और दो-तीन स्त्री पुरुष शरीर पर कपडा ओढ कर गीत गाते आये और पहली सम पर आते आते तो अपने कपड़े फेंक कर उन्होंने अपने संपूर्ण नग्न देह के दर्शन कराये । उसमें से कुछ तो अपने लिंग का इतना बिभत्स प्रदर्शन कर रहे थे कि उस निर्लज्जता में 'कला' कहाँ है यह समझना मेरे लिये मुश्किल हो गया था । पेरीस के ‘फोलीझ' में शिल्प समान सुंदरियों के अधिकांश अनावृत्त देह वाले नृत्य होते हैं । वह कला कोई बहुत उच्च स्तरीय नहीं है पर उसमें कम से कम लयबद्ध कवायत जितनी तो आकर्षकता होती है । पर यहाँ तो मात्र बिकाउ नग्नता । ऐसे तमाशे कर डॉलर इकट्ठे करनेवाले लोगोंं के प्रति मुझे बहुत घृणा हुई । इसी लिये अपने धनाधिष्ठित जीवन के सभी सूत्रों को तोडकर 'शय्या भूमितलं दिशोपि वसनं' का संकल्प लेकर निकले हिप्पियों की दुनिया का कबजा भी इन दुकानदारों ने लिया देखकर उन बनियों की अमानवीय धनतृष्णा का मुझे आश्चर्य ही हुआ । अमेरिका में प्रत्येक बात 'फटाफट' बनानेवाले इन दुकानदारों ने अपनी दुकानों में फटाफट हिप्पी बनाने की भी सुविधा खडी कर ली है । इंस्टंट कॉफी के समान ही इंस्टंट हिप्पी । आप जिस पंथ के हैं उसका यतिवेश गणवेश की तरह तैयार ही है। संभवतः यहाँ बाल और दाढियाँ भी बिकती होगी।
    
यह सब अमेरिकन जोगी पूर्णतः निवृत्त होने के कारण ऐसा व्यवहार करते हैं ऐसा नहीं है । क्यों कि अमेरिका को लगी सब से बड़ी बीमारी है, प्रतिदिन कुछ नया करना । इस बीमारी से भी कैसे पैसा कमाया जा सकता है उसका विचार यह व्यापारी निरंतर करते रहते हैं। फटी पेंट का फैशन चलते ही वे अच्छी पेंट्स फाड कर विक्री के लिये रखते हैं। आजकल खुले पैर चलने की फैशन होने से जूते बेचनेवाले चिंतातुर होंगे । उसमें से चालाक लोगोंं ने चमडे के मोटे बेल्ट की फैशन प्रचलित की। यह व्यापारी कुछ मोडेल वैतनिक हिप्पी रखकर उनके द्वारा इस फैशन को प्रचलित बनाते होंगे। इन व्यापारियों ने अपने राक्षसी प्रचारतंत्र द्वारा अमेरिकन जनता के मस्तिष्क को संवेदनाशून्य बना दिया है। रेडियो, टीवी, अखबार जैसे प्रभावी प्रचारमाध्यमों द्वारा यह लोग उन्हें जो बेचना है उसका ऐसा प्रचार करते हैं की ग्राहक पागल की तरह उन चीजों की मांग करता है। मनुष्य की नैसर्गिक निर्बलताओं का यहाँ पूरा लाभ उठाया जाता है।  
 
यह सब अमेरिकन जोगी पूर्णतः निवृत्त होने के कारण ऐसा व्यवहार करते हैं ऐसा नहीं है । क्यों कि अमेरिका को लगी सब से बड़ी बीमारी है, प्रतिदिन कुछ नया करना । इस बीमारी से भी कैसे पैसा कमाया जा सकता है उसका विचार यह व्यापारी निरंतर करते रहते हैं। फटी पेंट का फैशन चलते ही वे अच्छी पेंट्स फाड कर विक्री के लिये रखते हैं। आजकल खुले पैर चलने की फैशन होने से जूते बेचनेवाले चिंतातुर होंगे । उसमें से चालाक लोगोंं ने चमडे के मोटे बेल्ट की फैशन प्रचलित की। यह व्यापारी कुछ मोडेल वैतनिक हिप्पी रखकर उनके द्वारा इस फैशन को प्रचलित बनाते होंगे। इन व्यापारियों ने अपने राक्षसी प्रचारतंत्र द्वारा अमेरिकन जनता के मस्तिष्क को संवेदनाशून्य बना दिया है। रेडियो, टीवी, अखबार जैसे प्रभावी प्रचारमाध्यमों द्वारा यह लोग उन्हें जो बेचना है उसका ऐसा प्रचार करते हैं की ग्राहक पागल की तरह उन चीजों की मांग करता है। मनुष्य की नैसर्गिक निर्बलताओं का यहाँ पूरा लाभ उठाया जाता है।  

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