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पता ढूंढने जैसी कठीन बात कोई नहीं होगी। रास्ते से जाने वाले राहगीर कितने भले लगते है।।
 
पता ढूंढने जैसी कठीन बात कोई नहीं होगी। रास्ते से जाने वाले राहगीर कितने भले लगते है।।
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एक हम ही हाथ में पते का कागज लेकर घुमते रहते हैं । वास्तव में तो न्यूयोर्क में एवन्यू, स्ट्रीट और घर का नंबर अगर ठीक से लिखा हुआ है और थोडा बहुत अंग्रेजी आप जानते हैं तो पता ढूंढना मुश्किल नहीं है। फिर भी मैं उस न्यूयोर्क शहर में रास्ता भूल गया था । ऐसे समय डाकघर में जाकर पता पूछना स्वाभाविक होता है ।परंतु मैं तो डाकघर का ही पता ढूंढ रहा था । न्यूयोर्क के मेनहटन टापु पर तो मार्गों की अत्यंत पद्धतिसर रचना है। हडसन नदी पर जानेवाली स्ट्रीट, और उन रास्तों को नब्बे अंश के कोन पर काटने वाले जो मार्ग है वह एवन्यू । मेरा भुलक्कड होने का गुणधर्म जाननेवाले मित्रों ने मुझे यह रचना याद करवा दी थी। फिर भी रास्ता भूलना मेरी विशेषता थी । मेरा स्वयं का पता मैं पूरे विस्तार से कहता हूँ । इसलिये कहीं भी रास्ता नहीं भटकुंगा ऐसा आश्वासन देकर मैं मेरे न्यूयोर्क स्थित दोस्त के घर से पोस्टओफिस खोजने निकल पडा ।
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एक हम ही हाथ में पते का कागज लेकर घुमते रहते हैं । वास्तव में तो न्यूयोर्क में एवन्यू, स्ट्रीट और घर का नंबर अगर ठीक से लिखा हुआ है और थोडा बहुत अंग्रेजी आप जानते हैं तो पता ढूंढना मुश्किल नहीं है। तथापि मैं उस न्यूयोर्क शहर में रास्ता भूल गया था । ऐसे समय डाकघर में जाकर पता पूछना स्वाभाविक होता है ।परंतु मैं तो डाकघर का ही पता ढूंढ रहा था । न्यूयोर्क के मेनहटन टापु पर तो मार्गों की अत्यंत पद्धतिसर रचना है। हडसन नदी पर जानेवाली स्ट्रीट, और उन रास्तों को नब्बे अंश के कोन पर काटने वाले जो मार्ग है वह एवन्यू । मेरा भुलक्कड होने का गुणधर्म जाननेवाले मित्रों ने मुझे यह रचना याद करवा दी थी। तथापि रास्ता भूलना मेरी विशेषता थी । मेरा स्वयं का पता मैं पूरे विस्तार से कहता हूँ । इसलिये कहीं भी रास्ता नहीं भटकुंगा ऐसा आश्वासन देकर मैं मेरे न्यूयोर्क स्थित दोस्त के घर से पोस्टओफिस खोजने निकल पडा ।
    
सुबह के दस बज रहे थे । प्रसन्न करनेवाली धुप होने पर भी हवा में ठंड थी। आनंदपूर्वक टहलने जैसा वातावरण था। पर पता खोज रहे मनुष्य की स्थिति वह आनन्द उठाने जैसी होती हैं की नहीं यह कहना मुश्किल है।  
 
सुबह के दस बज रहे थे । प्रसन्न करनेवाली धुप होने पर भी हवा में ठंड थी। आनंदपूर्वक टहलने जैसा वातावरण था। पर पता खोज रहे मनुष्य की स्थिति वह आनन्द उठाने जैसी होती हैं की नहीं यह कहना मुश्किल है।  
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'क्या?'
 
'क्या?'
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'पोस्ट ओफिस' मेरे मन में आया कि अगर यहाँ पोस्ट ऑफिस को और कुछ नाम से पहचानते होंगे तो और गडबड होगी। प्रवाही पेट्रोल को गेस कहने वाले लोग हो सकता है कि पोस्ट ऑफिस को 'लेटर थ्रोअर' कहते हो । जरुरतमंद लोगोंं ने अमेरिका जाने से पहले अमेरिकन अंग्रेजी सीख लेनी चाहिये । यहाँ होटेल का बील माँगते समय 'चेक'माँगना पडता है और हमने चुकाये पैसे को बील कहते हैं। तीसवे या चालीसवे तले पर ले जानेवाले उपकरण को सभी अंग्रेजीभाषी देशों में लिफ्ट कहते हैं पर यहाँ उसे एलीवेटर कहते हैं। और कार में लिफ्ट माँगते हैं तो शायद उनको आघात पहुँचाते हों क्यों कि अमेरिकन आदमी कार में राइड देता है । मैं यह सोच रहा था तब तक महिला थोडी स्वस्थ हो चुकी थी। उसने पूछा, 'डिड यु से पोस्टओफिस ?'
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'पोस्ट ओफिस' मेरे मन में आया कि अगर यहाँ पोस्ट ऑफिस को और कुछ नाम से पहचानते होंगे तो और गडबड होगी। प्रवाही पेट्रोल को गेस कहने वाले लोग हो सकता है कि पोस्ट ऑफिस को 'लेटर थ्रोअर' कहते हो । जरुरतमंद लोगोंं ने अमेरिका जाने से पहले अमेरिकन अंग्रेजी सीख लेनी चाहिये । यहाँ होटेल का बील माँगते समय 'चेक'माँगना पडता है और हमने चुकाये पैसे को बील कहते हैं। तीसवे या चालीसवे तले पर ले जानेवाले उपकरण को सभी अंग्रेजीभाषी देशों में लिफ्ट कहते हैं पर यहाँ उसे एलीवेटर कहते हैं। और कार में लिफ्ट माँगते हैं तो संभवतः उनको आघात पहुँचाते हों क्यों कि अमेरिकन आदमी कार में राइड देता है । मैं यह सोच रहा था तब तक महिला थोडी स्वस्थ हो चुकी थी। उसने पूछा, 'डिड यु से पोस्टओफिस ?'
    
हाँ ! पोस्ट ऑफिस, मुझे कुछ स्टेम्प्स लेने हैं।
 
हाँ ! पोस्ट ऑफिस, मुझे कुछ स्टेम्प्स लेने हैं।
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मुझे याद आया की यहाँ तो पोस्टमेन भी नीचे सबके नाम लिखी पेटी में ही डाक डालता है। दूधवाला भी दरवाजे पर बॉटल रख कर चला जाता है। कभी कभी बॉटल दूसरे दिन भी वहाँ पड़ी मिली तो पुलिस को जानकारी देता है, दरवाजा तोड कर अंदर जाने पर पुलिस को सडी हुई लाश मिलती है। उस एकाकी जीवन के अंतिम क्षण भी ऐसे भयावह होते हैं।
 
मुझे याद आया की यहाँ तो पोस्टमेन भी नीचे सबके नाम लिखी पेटी में ही डाक डालता है। दूधवाला भी दरवाजे पर बॉटल रख कर चला जाता है। कभी कभी बॉटल दूसरे दिन भी वहाँ पड़ी मिली तो पुलिस को जानकारी देता है, दरवाजा तोड कर अंदर जाने पर पुलिस को सडी हुई लाश मिलती है। उस एकाकी जीवन के अंतिम क्षण भी ऐसे भयावह होते हैं।
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दो दिन पहले ही हमने न्यूयोर्क को घेर कर बहती नदियों में नाव में बैठकर शहर की परिक्रमा की थी। कितना रमणीय दिखता था वह शहर ! किनारे पर स्थित वह रमणीय उद्यान, विश्वविद्यालय का रमणीय परिसर, खेल के विशाल मैदान, उसमे चल रहे युवक -युवतिओं के खेल,नदी पर बना वह प्रचंड सेतु । नदी में चल रहा युवाओं का स्वच्छंद नौकाविहार, हडसन नदी पर से न्यूजर्सी की ऑर जानेवाला वह प्रचण्ड पुल । तिमंजिले रास्ते,मोटरों की कतारें, उत्तुंग भवन, और फिर भी इतनी ही समृद्ध वनसंपदा । स्वातंत्र्यदेवी की प्रतिमा से मेनहटन की ओर बोट मुडते ही अपनी सौ सवासौ मंजिलों वाली इमारतों पर विद्युतदीपों को झगमगाती और सहस्र कुबेरों का ऐश्वर्य प्रकट करनेवाली वह न्यूयोर्क नगरी । मन ही मन कह रहा था, कितने सौभाग्यशाली हैं ये लोग ? परंतु यहां तो बात कुछ और ही सुनने को मिलि । तो फिर क्या यह अंदर से सडे गले सेवों का बगीचा था ?
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दो दिन पहले ही हमने न्यूयोर्क को घेर कर बहती नदियों में नाव में बैठकर शहर की परिक्रमा की थी। कितना रमणीय दिखता था वह शहर ! किनारे पर स्थित वह रमणीय उद्यान, विश्वविद्यालय का रमणीय परिसर, खेल के विशाल मैदान, उसमे चल रहे युवक -युवतिओं के खेल,नदी पर बना वह प्रचंड सेतु । नदी में चल रहा युवाओं का स्वच्छंद नौकाविहार, हडसन नदी पर से न्यूजर्सी की ऑर जानेवाला वह प्रचण्ड पुल । तिमंजिले रास्ते,मोटरों की कतारें, उत्तुंग भवन, और तथापि इतनी ही समृद्ध वनसंपदा । स्वातंत्र्यदेवी की प्रतिमा से मेनहटन की ओर बोट मुडते ही अपनी सौ सवासौ मंजिलों वाली इमारतों पर विद्युतदीपों को झगमगाती और सहस्र कुबेरों का ऐश्वर्य प्रकट करनेवाली वह न्यूयोर्क नगरी । मन ही मन कह रहा था, कितने सौभाग्यशाली हैं ये लोग ? परंतु यहां तो बात कुछ और ही सुनने को मिलि । तो फिर क्या यह अंदर से सडे गले सेवों का बगीचा था ?
    
शहर और अपराध एकदूसरे का हाथ पकडकर ही आते हैं। मैं दस वर्ष पूर्व इस शहर में आया था। सेंट्रल पार्क में बहुत घुमाफिरा था । परंतु हमें किसी ने आधी रात को न घुमने की हिदायत नहीं दी थी । और आज दस वर्ष बाद दिन में दस बजे यह वृद्धा केवल मेरे ‘एस्क्युझ मी' से कांप उठी थी । प्रत्येक व्यक्ति सूचना दे रहा था, शाम को इक्कादुक्का कहीं मत जाइएगा। हर १५ मिनिट पर पुलिस की गाडियाँ साइरन बजाती हुई अपराधियों को पकड़ने के लिये घूम रही थी। दूसरे ही दिन अखबार में खबर पढी की केवल आधे डोलर के लिये एक १६ वर्षीय बालकने एक विख्यात प्राध्यापक की दिनदहाडे हत्या कर दी। प्रोफेसर कार में बैठने जा रहे थे तब यह लडके ने आकर २५ सेंट मांगे । बखेडा टालने के लिये प्राध्यापक ने उसे पैसे दे दिये । इस दौरान लडके की द्रष्टि उन्होंने पहनी हुई मूल्यवान घडी पर पड़ी । लडके ने उसकी माँग की और प्रोफेसर के नानुकर करते ही गोली चला दी।
 
शहर और अपराध एकदूसरे का हाथ पकडकर ही आते हैं। मैं दस वर्ष पूर्व इस शहर में आया था। सेंट्रल पार्क में बहुत घुमाफिरा था । परंतु हमें किसी ने आधी रात को न घुमने की हिदायत नहीं दी थी । और आज दस वर्ष बाद दिन में दस बजे यह वृद्धा केवल मेरे ‘एस्क्युझ मी' से कांप उठी थी । प्रत्येक व्यक्ति सूचना दे रहा था, शाम को इक्कादुक्का कहीं मत जाइएगा। हर १५ मिनिट पर पुलिस की गाडियाँ साइरन बजाती हुई अपराधियों को पकड़ने के लिये घूम रही थी। दूसरे ही दिन अखबार में खबर पढी की केवल आधे डोलर के लिये एक १६ वर्षीय बालकने एक विख्यात प्राध्यापक की दिनदहाडे हत्या कर दी। प्रोफेसर कार में बैठने जा रहे थे तब यह लडके ने आकर २५ सेंट मांगे । बखेडा टालने के लिये प्राध्यापक ने उसे पैसे दे दिये । इस दौरान लडके की द्रष्टि उन्होंने पहनी हुई मूल्यवान घडी पर पड़ी । लडके ने उसकी माँग की और प्रोफेसर के नानुकर करते ही गोली चला दी।
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कितना सम्पन्न देश । बडे बडे वस्तुभंडार । नजर न पहुंचे ऐसी विराट इमारतें, पर हर मंजिल पर सशस्त्र पुलिस का पहरा । कब चिनगारी भडकेगी, कहा नहीं जा सकता । सुन्न हो गए अमेरिकन विचारकों के दिमाग, किसी भी अमेरिकन से बात करने पर पहले तो वे अनेक तर्क देगा पर अंत में निस्सहाय होकर सर हिलाएंगे । कोई विएतनाम युद्ध की बात करेगा, कोई राजनीतिकों को दोष देगा । कोई इसे अनर्गल संपत्ति का राक्षसी संतान बताएगा । हम लोग आधे भूखे होने के कारण बदनसीब तो दूसरी ओर अमेरिका अत्याहार के कारण हुई बदहजमी से परेशान ।
 
कितना सम्पन्न देश । बडे बडे वस्तुभंडार । नजर न पहुंचे ऐसी विराट इमारतें, पर हर मंजिल पर सशस्त्र पुलिस का पहरा । कब चिनगारी भडकेगी, कहा नहीं जा सकता । सुन्न हो गए अमेरिकन विचारकों के दिमाग, किसी भी अमेरिकन से बात करने पर पहले तो वे अनेक तर्क देगा पर अंत में निस्सहाय होकर सर हिलाएंगे । कोई विएतनाम युद्ध की बात करेगा, कोई राजनीतिकों को दोष देगा । कोई इसे अनर्गल संपत्ति का राक्षसी संतान बताएगा । हम लोग आधे भूखे होने के कारण बदनसीब तो दूसरी ओर अमेरिका अत्याहार के कारण हुई बदहजमी से परेशान ।
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न्यूयोर्क के रास्तों पर से जाते समय शब्दशः चीथडे जैसे पहन कर घुम रही सोलह सत्रह वर्ष की किशोरियों को देखकर मैं अत्यंत सुन्न हो जाता था। अपना घर परिवार छोडकर स्वातंत्र्य की खोज में भाग नीकली यह अभागी बालाओं के बारे में पुलिस द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम देखा । घोंसले से गिरे हुए बच्चों के समान यह लडकियाँ । कोई गाँजा-चरस जैसे मादक पदार्थों के सेवन में सुख और स्वातंत्र्य खोज रही थी तो कोई रास्ता भटक कर अपने जैसे ही नाबालिग लडकों के साथ सार्वजनिक उद्यानों में कुत्ते बिल्ली के समान शरीर सुख खोज रही थी । इन दुर्भागी बालाओं की कहानी अत्यंत करुण थी। आयु के दसवे - ग्यारहवे वर्ष में ही यहाँ कौमार्यभंग हो रहा था। वास्तव में अच्छे संपन्न परिवारों की लडकियाँ थी । पेट भरने के लिये यह सब करने की बाध्यता नहीं थी, परन्तु शालेय जीवन में ही किसी न किसी गुट से जुड़ गई । एक लडकी तो पुलिस चौकी पर अपने गुट के नाम पर स्वयं ने अपने देह की कैसी दुर्दशा कर दी इसका वर्णन कर रही थी। अंत में उस अधिकारी ने पूछा, तुम्हें माँ की याद आती है ? इस प्रश्न के साथ ही वह 'मोम' ऐसा चिल्ला कर दहाड मार कर रो पडी।
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न्यूयोर्क के रास्तों पर से जाते समय शब्दशः चीथडे जैसे पहन कर घुम रही सोलह सत्रह वर्ष की किशोरियों को देखकर मैं अत्यंत सुन्न हो जाता था। अपना घर परिवार छोडकर स्वातंत्र्य की खोज में भाग नीकली यह अभागी बालाओं के बारे में पुलिस द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम देखा । घोंसले से गिरे हुए बच्चोंं के समान यह लडकियाँ । कोई गाँजा-चरस जैसे मादक पदार्थों के सेवन में सुख और स्वातंत्र्य खोज रही थी तो कोई रास्ता भटक कर अपने जैसे ही नाबालिग लडकों के साथ सार्वजनिक उद्यानों में कुत्ते बिल्ली के समान शरीर सुख खोज रही थी । इन दुर्भागी बालाओं की कहानी अत्यंत करुण थी। आयु के दसवे - ग्यारहवे वर्ष में ही यहाँ कौमार्यभंग हो रहा था। वास्तव में अच्छे संपन्न परिवारों की लडकियाँ थी । पेट भरने के लिये यह सब करने की बाध्यता नहीं थी, परन्तु शालेय जीवन में ही किसी न किसी गुट से जुड़ गई । एक लडकी तो पुलिस चौकी पर अपने गुट के नाम पर स्वयं ने अपने देह की कैसी दुर्दशा कर दी इसका वर्णन कर रही थी। अंत में उस अधिकारी ने पूछा, तुम्हें माँ की याद आती है ? इस प्रश्न के साथ ही वह 'मोम' ऐसा चिल्ला कर दहाड मार कर रो पडी।
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१३ से १९ वर्ष के बालक टीन एजर्स कहे जाते है। अमेरिकनों को ऐसे विचित्र शब्दप्रयोग कर किसी भी चीज पर अपना ठप्पा लगाने की बहुत बुरी आदत है। उसी में से यह 'मोडस', हिप्पी, 'टीनएजर्स' पैदा हुए हैं । उसमें भी थर्टीन-फोर्टीन या सेवंटीन - नाइंटीन जैसे अलग हिस्से हैं। इन बच्चों को उपद्रव करने की खुली छूट होती है। हर गुट के कपड़ों की भी अलग अलग विशेषताएँ हैं ।जैसे जनजातियों के लोग अपनी अपनी विशेषताएँ दिखाने के लिये विभिन्न वेश पहनते है ऐसा ही इन लोगोंं का होता है। वेशभूषा के समाजमान्य बंधन फेंक देने वाले हिप्पियों ने भी अंत में 'हिप्पी' वेशभूषा और केशभूषा का बन्धन अपना ही लिया है। अच्छे कपड़ों को चीथडा बनाकर पहनने की भी किसी गुट की फैशन बन गयी है। कारण अंत में तो अनुकरण करनेवालों की संख्या ही अधिक होती है। फिर चाहे वह एस्टाब्लिशमेंट वाला हो या एण्टी एस्टाब्लिशमेंट वाला।
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१३ से १९ वर्ष के बालक टीन एजर्स कहे जाते है। अमेरिकनों को ऐसे विचित्र शब्दप्रयोग कर किसी भी चीज पर अपना ठप्पा लगाने की बहुत बुरी आदत है। उसी में से यह 'मोडस', हिप्पी, 'टीनएजर्स' पैदा हुए हैं । उसमें भी थर्टीन-फोर्टीन या सेवंटीन - नाइंटीन जैसे अलग हिस्से हैं। इन बच्चोंं को उपद्रव करने की खुली छूट होती है। हर गुट के कपड़ों की भी अलग अलग विशेषताएँ हैं ।जैसे जनजातियों के लोग अपनी अपनी विशेषताएँ दिखाने के लिये विभिन्न वेश पहनते है ऐसा ही इन लोगोंं का होता है। वेशभूषा के समाजमान्य बंधन फेंक देने वाले हिप्पियों ने भी अंत में 'हिप्पी' वेशभूषा और केशभूषा का बन्धन अपना ही लिया है। अच्छे कपड़ों को चीथडा बनाकर पहनने की भी किसी गुट की फैशन बन गयी है। कारण अंत में तो अनुकरण करनेवालों की संख्या ही अधिक होती है। फिर चाहे वह एस्टाब्लिशमेंट वाला हो या एण्टी एस्टाब्लिशमेंट वाला।
    
न्यूयोर्क का ग्रिनिच विलेज यह गोरे वैरागी स्त्री-पुरुषों का आश्रयस्थान है । यहाँ मेरे लिये सब से अधिक आश्चर्य का विषय है इस पंथ के लिये आवश्यक सभी चीजों का व्यापार कर समृद्ध बननेवाले व्यापारियों का । उत्तम सूट और उत्तम गाउन यह प्रस्थापित समाज की विशेषता । प्रस्थापितों के सामने विद्रोह करनेवाले युवक-युवतियों ने अपना विरोध उस वेश को नकार कर प्रकट किया । अव्यवस्थित बाल और फटे कपड़े उनकी पहचान बने । व्यापारियों ने इसीका व्यापार आरम्भ किया। व्यापारी को क्या ? वह तो जो भी खरीदा जाएगा वह बेचेगा। याने परंपरावादियों की चोटी और विद्रोही की दाढी दोनों अंततोगत्वा बनिये के हाथ मेंही है।
 
न्यूयोर्क का ग्रिनिच विलेज यह गोरे वैरागी स्त्री-पुरुषों का आश्रयस्थान है । यहाँ मेरे लिये सब से अधिक आश्चर्य का विषय है इस पंथ के लिये आवश्यक सभी चीजों का व्यापार कर समृद्ध बननेवाले व्यापारियों का । उत्तम सूट और उत्तम गाउन यह प्रस्थापित समाज की विशेषता । प्रस्थापितों के सामने विद्रोह करनेवाले युवक-युवतियों ने अपना विरोध उस वेश को नकार कर प्रकट किया । अव्यवस्थित बाल और फटे कपड़े उनकी पहचान बने । व्यापारियों ने इसीका व्यापार आरम्भ किया। व्यापारी को क्या ? वह तो जो भी खरीदा जाएगा वह बेचेगा। याने परंपरावादियों की चोटी और विद्रोही की दाढी दोनों अंततोगत्वा बनिये के हाथ मेंही है।
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कभी कभी तो लगता है कि यह युवा पिढी अपने जीवन को जानबुझ कर बरबाद कर रही है या उसके पीछे कोई विचार भी है ? या फिर कोई रोग प्रसरने पर लोग जैसे मरते हैं, उसी प्रकार यह महाभयंकर प्रचार यंत्रणा ने उनकी सारी विचारशक्ति को नष्ट कर उन्हें हर बार किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार बनाया है ? एक तो इन बच्चों के साथ संवाद असंभव है। वैसे तो अमेरिकन लोग बहुत अनौपचारिक हैं। 'हाय' कहकर अनजान व्यक्ति का भी स्वागत करेंगे, बतियाएंगे। परंतु जोगियों की यह नई जमात बिलकुल हाथ नहीं बढाती है । अपने गुट के बाहर के किसी भी व्यक्ति के साथ बात करने की उनकी सदंतर अनिच्छा रहती है। एक तो महाभयानक मादक द्रव्यों के सेवन के कारण वे सदैव भ्रमित रहते हैं, नहीं तो बिना दुनिया की परवा किये विजातीय मित्रों के साथ घुमते नजर आते हैं। अपने यहाँ के बैरागियों की तरह उनके भी कई पंथ हैं। अब तो प्रत्येक पंथ के अलग तिलक और मालाएँ भी हैं। उसमें भी 'हरे रामा हरे कृष्णा' वाले लोग तो दिनभर एक ही पंक्ति एक ही ताल में गाते हुए घुमने के कारण आत्मसंमोहन की अवस्था में ही रहते हैं। चमकते मुंड, लंबी चोटी, माथे पर छपी विविध मुद्राएँ, अर्धनग्न, पिली धोती और गले में माला, तंबूर,मृदंग, झांझ लेकर रास्ते पर घुम रहे हैं। कुछ लोग संपूर्ण नग्न, कुछ टोपलेस, याने शरीर पर चोली आदि कुछ नहीं। कमर से नीचे मिनी यानी चार इंच लंबा स्कर्ट । तो किसी गुट में लडकियाँ मेक्सी माने लंबा मारवाडी घाघरा पहनी हुई।
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कभी कभी तो लगता है कि यह युवा पिढी अपने जीवन को जानबुझ कर बरबाद कर रही है या उसके पीछे कोई विचार भी है ? या फिर कोई रोग प्रसरने पर लोग जैसे मरते हैं, उसी प्रकार यह महाभयंकर प्रचार यंत्रणा ने उनकी सारी विचारशक्ति को नष्ट कर उन्हें हर बार किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार बनाया है ? एक तो इन बच्चोंं के साथ संवाद असंभव है। वैसे तो अमेरिकन लोग बहुत अनौपचारिक हैं। 'हाय' कहकर अनजान व्यक्ति का भी स्वागत करेंगे, बतियाएंगे। परंतु जोगियों की यह नई जमात बिलकुल हाथ नहीं बढाती है । अपने गुट के बाहर के किसी भी व्यक्ति के साथ बात करने की उनकी सदंतर अनिच्छा रहती है। एक तो महाभयानक मादक द्रव्यों के सेवन के कारण वे सदैव भ्रमित रहते हैं, नहीं तो बिना दुनिया की परवा किये विजातीय मित्रों के साथ घुमते नजर आते हैं। अपने यहाँ के बैरागियों की तरह उनके भी कई पंथ हैं। अब तो प्रत्येक पंथ के अलग तिलक और मालाएँ भी हैं। उसमें भी 'हरे रामा हरे कृष्णा' वाले लोग तो दिनभर एक ही पंक्ति एक ही ताल में गाते हुए घुमने के कारण आत्मसंमोहन की अवस्था में ही रहते हैं। चमकते मुंड, लंबी चोटी, माथे पर छपी विविध मुद्राएँ, अर्धनग्न, पिली धोती और गले में माला, तंबूर,मृदंग, झांझ लेकर रास्ते पर घुम रहे हैं। कुछ लोग संपूर्ण नग्न, कुछ टोपलेस, याने शरीर पर चोली आदि कुछ नहीं। कमर से नीचे मिनी यानी चार इंच लंबा स्कर्ट । तो किसी गुट में लडकियाँ मेक्सी माने लंबा मारवाडी घाघरा पहनी हुई।
    
मुझे उनमें से एक ने पकडा और पंथ प्रचार आरम्भ किया।
 
मुझे उनमें से एक ने पकडा और पंथ प्रचार आरम्भ किया।
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'ध ओपोझीट ओफ क्रिस्ना कोंश्यसनेस ।' कहते हुए राम:रामौ रामा: तक के सभी विभक्ती प्रत्यय सुना दिये । वह बेचारा स्तब्ध रह गया ।
 
'ध ओपोझीट ओफ क्रिस्ना कोंश्यसनेस ।' कहते हुए राम:रामौ रामा: तक के सभी विभक्ती प्रत्यय सुना दिये । वह बेचारा स्तब्ध रह गया ।
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इस भ्रमित लोगोंं के देश में धार्मिक साधुओं ने बराबर अडिंगा जमाया है। मैं एक परिवार में भोजन करने गया था। उस गृहस्थ को मैंने 'हरे रामा हरे क्रिस्ना' के बारे में पूछा । मैं उन्हें समझाने का प्रयास कर रहा था कि इसमें बहुत धोखाधडी है। आपकी युवा पिढी जिस प्रकार कामधाम छोड कर रास्तों पर भटक रही है वैसे अगर हमारे बच्चे घुमना आरम्भ करेंगे तो हम उसे पसंद नहीं करेंगे । आप इन धूर्तों पर विश्वास मत किजिये । हिंद धर्म में इस प्रकार अपने कर्तव्य छोड कर घुमते रहने का उपदेश नहीं किया गया है। कभी गुरुवार, एकादशी को भजन वगैरा हो यह ठीक है पर यहाँ की बात उचित नहीं है । आप यह विचित्र आदत बच्चों को न पड़ने दें।'
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इस भ्रमित लोगोंं के देश में धार्मिक साधुओं ने बराबर अडिंगा जमाया है। मैं एक परिवार में भोजन करने गया था। उस गृहस्थ को मैंने 'हरे रामा हरे क्रिस्ना' के बारे में पूछा । मैं उन्हें समझाने का प्रयास कर रहा था कि इसमें बहुत धोखाधडी है। आपकी युवा पिढी जिस प्रकार कामधाम छोड कर रास्तों पर भटक रही है वैसे अगर हमारे बच्चे घुमना आरम्भ करेंगे तो हम उसे पसंद नहीं करेंगे । आप इन धूर्तों पर विश्वास मत किजिये । हिंद धर्म में इस प्रकार अपने कर्तव्य छोड कर घुमते रहने का उपदेश नहीं किया गया है। कभी गुरुवार, एकादशी को भजन वगैरा हो यह ठीक है पर यहाँ की बात उचित नहीं है । आप यह विचित्र आदत बच्चोंं को न पड़ने दें।'
    
'बुरा मत मानना मिस्टर देशपांडे, पर हमें लगता है कि हशीश या एल.एस.डी के व्यसन से यह व्यसन कम नुकसान देह है। गृहलक्ष्मीने अत्यंत वेदनापूर्ण हृदय से कहा।
 
'बुरा मत मानना मिस्टर देशपांडे, पर हमें लगता है कि हशीश या एल.एस.डी के व्यसन से यह व्यसन कम नुकसान देह है। गृहलक्ष्मीने अत्यंत वेदनापूर्ण हृदय से कहा।
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इंस्टंट कोफी, इंस्टंट चाय, इंस्टंट चावल -एक मिनट में भोजन तैयार ! कागज की पुड़ियों में भोजन तैयार मिलता है। डाल दो उसे उबलते पानी में, एक मिनिट में भोजन तैयार । फिर एक मिनिट में भोजन तैयार करनेवाली कंपनी का प्रतिस्पर्धी घोषणा करता है, अरे ! एक मिनिट? वोट अ वेस्ट ओफ टाइम । यह देखिये हमारी कंपनी की थैली, थर्टी सेकण्डस में सूप, स्टेक, पुडिंग,कॉफी', और फिर ऐसी थैली लाकर तीस सेकेंड बचाने वाले प्रेमी को उसकी प्रियतमा प्रगाढ चुंबन देती है। यह द्रश्य टीवी पर चोवीस घण्टे चमकता ही रहता है । बेचने की चीज चाहे कोई भी हो उसका परिणाम अंत में प्रगाढ चुंबनों में और आलिंगनों में ही होना चाहिये । ऐसे द्रश्य निरंतर देखते देखते उसका रोमांच भी खतम हो गया है। इसलिये अब रंगमंच पर नगनावस्था में दंगा।
 
इंस्टंट कोफी, इंस्टंट चाय, इंस्टंट चावल -एक मिनट में भोजन तैयार ! कागज की पुड़ियों में भोजन तैयार मिलता है। डाल दो उसे उबलते पानी में, एक मिनिट में भोजन तैयार । फिर एक मिनिट में भोजन तैयार करनेवाली कंपनी का प्रतिस्पर्धी घोषणा करता है, अरे ! एक मिनिट? वोट अ वेस्ट ओफ टाइम । यह देखिये हमारी कंपनी की थैली, थर्टी सेकण्डस में सूप, स्टेक, पुडिंग,कॉफी', और फिर ऐसी थैली लाकर तीस सेकेंड बचाने वाले प्रेमी को उसकी प्रियतमा प्रगाढ चुंबन देती है। यह द्रश्य टीवी पर चोवीस घण्टे चमकता ही रहता है । बेचने की चीज चाहे कोई भी हो उसका परिणाम अंत में प्रगाढ चुंबनों में और आलिंगनों में ही होना चाहिये । ऐसे द्रश्य निरंतर देखते देखते उसका रोमांच भी खतम हो गया है। इसलिये अब रंगमंच पर नगनावस्था में दंगा।
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'ओ कोलकता' उसका ‘फेंटास्टिक्क' पर्यवसान । मैं उसमें लगे कोलकता शब्द के कारण देखने गया । पर्दा उठा और दो-तीन स्त्री पुरुष शरीर पर कपडा ओढ कर गीत गाते आये और पहली सम पर आते आते तो अपने कपड़े फेंक कर उन्होंने अपने संपूर्ण नग्न देह के दर्शन कराये । उसमें से कुछ तो अपने लिंग का इतना बिभत्स प्रदर्शन कर रहे थे कि उस निर्लज्जता में 'कला' कहाँ है यह समझना मेरे लिये मुश्किल हो गया था । पेरीस के ‘फोलीझ' में शिल्प समान सुंदरियों के अधिकांश अनावृत्त देह वाले नृत्य होते हैं । वह कला कोई बहुत उच्च स्तरीय नहीं है पर उसमें कम से कम लयबद्ध कवायत जितनी तो आकर्षकता होती है । पर यहाँ तो मात्र बिकाउ नग्नता । ऐसे तमाशे कर डॉलर इकट्ठे करनेवाले लोगोंं के प्रति मुझे बहुत घृणा हुई । इसी लिये अपने धनाधिष्ठित जीवन के सभी सूत्रों को तोडकर 'शय्या भूमितलं दिशोपि वसनं' का संकल्प लेकर निकले हिप्पियों की दुनिया का कबजा भी इन दुकानदारों ने लिया देखकर उन बनियों की अमानवीय धनतृष्णा का मुझे आश्चर्य ही हुआ । अमेरिका में प्रत्येक बात 'फटाफट' बनानेवाले इन दुकानदारों ने अपनी दुकानों में फटाफट हिप्पी बनाने की भी सुविधा खडी कर ली है । इंस्टंट कॉफी के समान ही इंस्टंट हिप्पी । आप जिस पंथ के हैं उसका यतिवेश गणवेश की तरह तैयार ही है। शायद यहाँ बाल और दाढियाँ भी बिकती होगी।
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'ओ कोलकता' उसका ‘फेंटास्टिक्क' पर्यवसान । मैं उसमें लगे कोलकता शब्द के कारण देखने गया । पर्दा उठा और दो-तीन स्त्री पुरुष शरीर पर कपडा ओढ कर गीत गाते आये और पहली सम पर आते आते तो अपने कपड़े फेंक कर उन्होंने अपने संपूर्ण नग्न देह के दर्शन कराये । उसमें से कुछ तो अपने लिंग का इतना बिभत्स प्रदर्शन कर रहे थे कि उस निर्लज्जता में 'कला' कहाँ है यह समझना मेरे लिये मुश्किल हो गया था । पेरीस के ‘फोलीझ' में शिल्प समान सुंदरियों के अधिकांश अनावृत्त देह वाले नृत्य होते हैं । वह कला कोई बहुत उच्च स्तरीय नहीं है पर उसमें कम से कम लयबद्ध कवायत जितनी तो आकर्षकता होती है । पर यहाँ तो मात्र बिकाउ नग्नता । ऐसे तमाशे कर डॉलर इकट्ठे करनेवाले लोगोंं के प्रति मुझे बहुत घृणा हुई । इसी लिये अपने धनाधिष्ठित जीवन के सभी सूत्रों को तोडकर 'शय्या भूमितलं दिशोपि वसनं' का संकल्प लेकर निकले हिप्पियों की दुनिया का कबजा भी इन दुकानदारों ने लिया देखकर उन बनियों की अमानवीय धनतृष्णा का मुझे आश्चर्य ही हुआ । अमेरिका में प्रत्येक बात 'फटाफट' बनानेवाले इन दुकानदारों ने अपनी दुकानों में फटाफट हिप्पी बनाने की भी सुविधा खडी कर ली है । इंस्टंट कॉफी के समान ही इंस्टंट हिप्पी । आप जिस पंथ के हैं उसका यतिवेश गणवेश की तरह तैयार ही है। संभवतः यहाँ बाल और दाढियाँ भी बिकती होगी।
    
यह सब अमेरिकन जोगी पूर्णतः निवृत्त होने के कारण ऐसा व्यवहार करते हैं ऐसा नहीं है । क्यों कि अमेरिका को लगी सब से बड़ी बीमारी है, प्रतिदिन कुछ नया करना । इस बीमारी से भी कैसे पैसा कमाया जा सकता है उसका विचार यह व्यापारी निरंतर करते रहते हैं। फटी पेंट का फैशन चलते ही वे अच्छी पेंट्स फाड कर विक्री के लिये रखते हैं। आजकल खुले पैर चलने की फैशन होने से जूते बेचनेवाले चिंतातुर होंगे । उसमें से चालाक लोगोंं ने चमडे के मोटे बेल्ट की फैशन प्रचलित की। यह व्यापारी कुछ मोडेल वैतनिक हिप्पी रखकर उनके द्वारा इस फैशन को प्रचलित बनाते होंगे। इन व्यापारियों ने अपने राक्षसी प्रचारतंत्र द्वारा अमेरिकन जनता के मस्तिष्क को संवेदनाशून्य बना दिया है। रेडियो, टीवी, अखबार जैसे प्रभावी प्रचारमाध्यमों द्वारा यह लोग उन्हें जो बेचना है उसका ऐसा प्रचार करते हैं की ग्राहक पागल की तरह उन चीजों की मांग करता है। मनुष्य की नैसर्गिक निर्बलताओं का यहाँ पूरा लाभ उठाया जाता है।  
 
यह सब अमेरिकन जोगी पूर्णतः निवृत्त होने के कारण ऐसा व्यवहार करते हैं ऐसा नहीं है । क्यों कि अमेरिका को लगी सब से बड़ी बीमारी है, प्रतिदिन कुछ नया करना । इस बीमारी से भी कैसे पैसा कमाया जा सकता है उसका विचार यह व्यापारी निरंतर करते रहते हैं। फटी पेंट का फैशन चलते ही वे अच्छी पेंट्स फाड कर विक्री के लिये रखते हैं। आजकल खुले पैर चलने की फैशन होने से जूते बेचनेवाले चिंतातुर होंगे । उसमें से चालाक लोगोंं ने चमडे के मोटे बेल्ट की फैशन प्रचलित की। यह व्यापारी कुछ मोडेल वैतनिक हिप्पी रखकर उनके द्वारा इस फैशन को प्रचलित बनाते होंगे। इन व्यापारियों ने अपने राक्षसी प्रचारतंत्र द्वारा अमेरिकन जनता के मस्तिष्क को संवेदनाशून्य बना दिया है। रेडियो, टीवी, अखबार जैसे प्रभावी प्रचारमाध्यमों द्वारा यह लोग उन्हें जो बेचना है उसका ऐसा प्रचार करते हैं की ग्राहक पागल की तरह उन चीजों की मांग करता है। मनुष्य की नैसर्गिक निर्बलताओं का यहाँ पूरा लाभ उठाया जाता है।  
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मनुष्य को अनेक प्रकार की भूख़ होती है। उसमें सेक्स अथवा कामवासना सब से बड़ी भूख है। सभी आकर्षणों में कामाकर्षण अत्यंत प्रभावी है । मोटर से लेकर शौचालयों में प्रयुक्त होनेवाले कागज के बंडल तैयार करनेवाले सभी उत्पादकों ने अपने माल का संबंध काम वासना के साथ जोड दिया है। आपकी कार अत्याधुनिक क्यों चाहिये ?क्यों कि ऐसी कार रखनेवाले को कोई भी सुंदरी आलिंगन देगी। आपकी लिपस्टीक कोई निश्चित प्रकार की क्यों चाहिये । इसलिये की वह देखकर 'वो'आपको प्रगाढ चुंबन करेगा। ये बातें उस चरम पर पहुंची है कि एक विज्ञापन में एक युवक द्वारा युवती को दिये जा रहे आलिंगन का कारण वह हाजमा ठीक करने के लिये कोई निश्चित कंपनी की गोलियाँ ले रही है । अमेरिकन साहित्य में भी प्रथम दो तीन पृष्ठों पर बलात्कार या हत्या का उल्लेख हो ऐसे साहित्य के अनेक संस्करण निकलते हैं।
 
मनुष्य को अनेक प्रकार की भूख़ होती है। उसमें सेक्स अथवा कामवासना सब से बड़ी भूख है। सभी आकर्षणों में कामाकर्षण अत्यंत प्रभावी है । मोटर से लेकर शौचालयों में प्रयुक्त होनेवाले कागज के बंडल तैयार करनेवाले सभी उत्पादकों ने अपने माल का संबंध काम वासना के साथ जोड दिया है। आपकी कार अत्याधुनिक क्यों चाहिये ?क्यों कि ऐसी कार रखनेवाले को कोई भी सुंदरी आलिंगन देगी। आपकी लिपस्टीक कोई निश्चित प्रकार की क्यों चाहिये । इसलिये की वह देखकर 'वो'आपको प्रगाढ चुंबन करेगा। ये बातें उस चरम पर पहुंची है कि एक विज्ञापन में एक युवक द्वारा युवती को दिये जा रहे आलिंगन का कारण वह हाजमा ठीक करने के लिये कोई निश्चित कंपनी की गोलियाँ ले रही है । अमेरिकन साहित्य में भी प्रथम दो तीन पृष्ठों पर बलात्कार या हत्या का उल्लेख हो ऐसे साहित्य के अनेक संस्करण निकलते हैं।
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स्वयंचालित वाहनों ने उन्हे दिया हुआ गति का वरदान अब शाप बन गया है। उस गतिने मनुष्य के मन हावी हो जाने से अब मन का भटकना आरम्भ है। मेरे मित्रों के घर मैं बच्चों के खिलौने देखता था । 'हमारे बच्चे को हर दिन नया खिलौना चाहिये'ऐसा गर्व के साथ कहनेवाली माताएं मिलती थी। नौकरी करने अमेरिका गये पति के पीछे अमेरिका जाकर सवाई अमेरिकन बनी यह अर्धदग्ध महिलाओं को कहने कि इच्छा होती थी कि अगर ऐसा चला तो आपकी लडकी को कुछ साल बाद प्रतिदिन नये बोयफ्रेंड की भी आवश्यकता पड़ेगी। कुछ धार्मिक अमेरिकन्स वहाँ के लाभ देखकर वहाँ गये पर अब उन्हें धीमे धीमे वहाँ के खतरे भी दिखने लगे हैं।
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स्वयंचालित वाहनों ने उन्हे दिया हुआ गति का वरदान अब शाप बन गया है। उस गतिने मनुष्य के मन हावी हो जाने से अब मन का भटकना आरम्भ है। मेरे मित्रों के घर मैं बच्चोंं के खिलौने देखता था । 'हमारे बच्चे को हर दिन नया खिलौना चाहिये'ऐसा गर्व के साथ कहनेवाली माताएं मिलती थी। नौकरी करने अमेरिका गये पति के पीछे अमेरिका जाकर सवाई अमेरिकन बनी यह अर्धदग्ध महिलाओं को कहने कि इच्छा होती थी कि अगर ऐसा चला तो आपकी लडकी को कुछ साल बाद प्रतिदिन नये बोयफ्रेंड की भी आवश्यकता पड़ेगी। कुछ धार्मिक अमेरिकन्स वहाँ के लाभ देखकर वहाँ गये पर अब उन्हें धीमे धीमे वहाँ के खतरे भी दिखने लगे हैं।
    
न्यूयोर्क के रास्तों पर वह महिला अकेली ही भयग्रस्त नहीं है। यह पूरा समाज भयग्रस्त और दिग्भ्रमित जैसा हो गया है। 'सेल' यहाँ का मूलमंत्र है। चीजें बेचो, बुद्धि बेचो,कला बेचो, कौमार्य बेचो,यौवन बेचो । बिकने लायक नहीं रहता केवल वार्धक्य । और इसी कारण से वह सदंतर निरुपयोगी रहता है। वह किसीको नहीं चाहिये । जिस संस्कृति में 'बेचना' युगधर्म बनता है वहाँ वृद्धावस्था शिवनिर्माल्य नहीं बनता, कुडा कचरा बनता है ।
 
न्यूयोर्क के रास्तों पर वह महिला अकेली ही भयग्रस्त नहीं है। यह पूरा समाज भयग्रस्त और दिग्भ्रमित जैसा हो गया है। 'सेल' यहाँ का मूलमंत्र है। चीजें बेचो, बुद्धि बेचो,कला बेचो, कौमार्य बेचो,यौवन बेचो । बिकने लायक नहीं रहता केवल वार्धक्य । और इसी कारण से वह सदंतर निरुपयोगी रहता है। वह किसीको नहीं चाहिये । जिस संस्कृति में 'बेचना' युगधर्म बनता है वहाँ वृद्धावस्था शिवनिर्माल्य नहीं बनता, कुडा कचरा बनता है ।
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'ऑह' मिस्टर साहस्राबुढिये (सहस्रबुद्धे) ?फिर एक बार सुपरसेल्समेनशीप आरम्भ हुई। दफनभूमि के सौदे पर सहमत करने के लिये फिर एक बार उसने अपनी सभी शक्तियाँ दांव पर लगाई। अगर साहब भारत में होते और अग्निसंस्कार वाले ने 'साहब बांस सीधे आये हैं, चार आपके लिये अलग रख दूं क्या ?' ऐसा पूछा होता तो साहब ने उसको जिंदा ही ननामी पर बांधा होता । पर यह अमेरिका था। साहब ने नम्रता से कहा,'थेक्यु, थेंक्यु सो मच । पर हमारे धर्म में बेरियल नहीं होता क्रिमेशन होता है। 'इझंट धेट बार्बर ? गुड नाइट ।' दूसरी ओर से उसने कहा, क्या यह जंगालियत नहीं है? शुभरात्री ।' यह कथा काल्पनिक नहीं है । मात्र पात्रों के नाम बदले हैं।
 
'ऑह' मिस्टर साहस्राबुढिये (सहस्रबुद्धे) ?फिर एक बार सुपरसेल्समेनशीप आरम्भ हुई। दफनभूमि के सौदे पर सहमत करने के लिये फिर एक बार उसने अपनी सभी शक्तियाँ दांव पर लगाई। अगर साहब भारत में होते और अग्निसंस्कार वाले ने 'साहब बांस सीधे आये हैं, चार आपके लिये अलग रख दूं क्या ?' ऐसा पूछा होता तो साहब ने उसको जिंदा ही ननामी पर बांधा होता । पर यह अमेरिका था। साहब ने नम्रता से कहा,'थेक्यु, थेंक्यु सो मच । पर हमारे धर्म में बेरियल नहीं होता क्रिमेशन होता है। 'इझंट धेट बार्बर ? गुड नाइट ।' दूसरी ओर से उसने कहा, क्या यह जंगालियत नहीं है? शुभरात्री ।' यह कथा काल्पनिक नहीं है । मात्र पात्रों के नाम बदले हैं।
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जहाँ जीवन माने कुछ बेच के धनवान होने का अवसर इतना ही होता है वहाँ मुर्दे गाडने की भूमि बेचीए या पिढियों को बरबाद करनेवाले हशीश,गांजे जैसे मादक द्रव्य, सबकुछ उस संस्कृति के अनुरूप ही है। शस्त्रों की बिक्री कम हो जाएगी इस भय के मारे जिसे कोई लेनादेना नहीं ऐसे देश में जाकर बोम्ब गिरा देना, हम क्या बेच रहे हैं और उसका क्या परिणाम होगा उसके बारे में बिना कुछ सोचे बेचते रहना, उसके नये नये बाझार खोजना, विज्ञापन के नये नये तरीके खोजना,और उपर से बिक्रेताओं की जानलेवा स्पर्धा । बाझार में आनेवाला प्रतिस्पर्धी का सामान नष्ट करते करते प्रतिस्पर्धी को ही कैसे नष्ट किया जाय उसकी योजनाएं बनाना । ग्राहक की विवेकबुद्धि ही नष्ट करना। यह सब करते समय कोई विधिनिषेध का पालन नहीं करना । १२-१३ साल के बच्चों को मादक द्रव्य बेचनेवाले व्यापारियों के समक्ष उन बच्चों का भविष्य आता ही नहीं है। टीवी पर 'हत्या कैसे करना' उसकी शास्त्रीयशिक्षा देनेवालों को हम बालमन पर कैसे संस्कार कर रहे हैं इसकी कोई चिन्ता नहीं है । पूरे दिन मारधाड की फिल्में आती रहती हो तब मध्य में 'सीसमी स्ट्रीट' जैसे कितने भी शैक्षिक कार्यक्रम कर लें, पर उन बच्चों के सामने तो गोलियों की बौछार कर मुर्दो के ढेर लगाता हिरो और ऐसे हिरो को नग्न होकर आलिंगन देनेवाली हिरोइन्स ही रहते हैं। मात्र १५ साल की आयु में जीवन के सभी विलास बिना किसी जिम्मेवारी के भोग  लेने के बाद आगे की जिदगी में किसी न किसीप्रकार की कृत्रिम उत्तेजना के बिना जीना ही असंभव हो जाता है। इसीमें से फीर मोटरसाइकल्स लेकर बेफाम घूमना आरम्भ हो जाता है । अनजान युगलों का बेफाम सहशयन आरम्भ होता है और इन सब का अतिरेक होने के बाद उसका नशा भी बेअसर हो जाता है। फिर उत्तेजना बढाने के लिये सायकेडेलिक विद्युतदीपों और कान बेहरे कर देने वाले संगीत में बेहोश होने के प्रयास आरम्भ हो जाते हैं।
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जहाँ जीवन माने कुछ बेच के धनवान होने का अवसर इतना ही होता है वहाँ मुर्दे गाडने की भूमि बेचीए या पिढियों को बरबाद करनेवाले हशीश,गांजे जैसे मादक द्रव्य, सबकुछ उस संस्कृति के अनुरूप ही है। शस्त्रों की बिक्री कम हो जाएगी इस भय के मारे जिसे कोई लेनादेना नहीं ऐसे देश में जाकर बोम्ब गिरा देना, हम क्या बेच रहे हैं और उसका क्या परिणाम होगा उसके बारे में बिना कुछ सोचे बेचते रहना, उसके नये नये बाझार खोजना, विज्ञापन के नये नये तरीके खोजना,और उपर से बिक्रेताओं की जानलेवा स्पर्धा । बाझार में आनेवाला प्रतिस्पर्धी का सामान नष्ट करते करते प्रतिस्पर्धी को ही कैसे नष्ट किया जाय उसकी योजनाएं बनाना । ग्राहक की विवेकबुद्धि ही नष्ट करना। यह सब करते समय कोई विधिनिषेध का पालन नहीं करना । १२-१३ साल के बच्चोंं को मादक द्रव्य बेचनेवाले व्यापारियों के समक्ष उन बच्चोंं का भविष्य आता ही नहीं है। टीवी पर 'हत्या कैसे करना' उसकी शास्त्रीयशिक्षा देनेवालों को हम बालमन पर कैसे संस्कार कर रहे हैं इसकी कोई चिन्ता नहीं है । पूरे दिन मारधाड की फिल्में आती रहती हो तब मध्य में 'सीसमी स्ट्रीट' जैसे कितने भी शैक्षिक कार्यक्रम कर लें, पर उन बच्चोंं के सामने तो गोलियों की बौछार कर मुर्दो के ढेर लगाता हिरो और ऐसे हिरो को नग्न होकर आलिंगन देनेवाली हिरोइन्स ही रहते हैं। मात्र १५ साल की आयु में जीवन के सभी विलास बिना किसी जिम्मेवारी के भोग  लेने के बाद आगे की जिदगी में किसी न किसीप्रकार की कृत्रिम उत्तेजना के बिना जीना ही असंभव हो जाता है। इसीमें से फीर मोटरसाइकल्स लेकर बेफाम घूमना आरम्भ हो जाता है । अनजान युगलों का बेफाम सहशयन आरम्भ होता है और इन सब का अतिरेक होने के बाद उसका नशा भी बेअसर हो जाता है। फिर उत्तेजना बढाने के लिये सायकेडेलिक विद्युतदीपों और कान बेहरे कर देने वाले संगीत में बेहोश होने के प्रयास आरम्भ हो जाते हैं।
    
और अंत में दिमाग में इन सबका कीचड ही बच जाता है।
 
और अंत में दिमाग में इन सबका कीचड ही बच जाता है।

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