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==== विकास की अवधारणा ====
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== विकास की अवधारणा ==
 
विश्व के विभिन्न राष्ट्र अपने अपने तरीके से अपने समाज के विकास की प्रक्रिया में संलग्न हैं। हर राष्ट्र का अपना इतिहास है, जो कि कुछ सदियों से लेकर हज़ारों वर्षों से भी ज्यादा तक का है। उदाहरण के लिए आज जिसे हम युनायटेड इस्टेट्स ऑफ अमेरिका (USA) के रूप में जानते है, उसका प्रारंभ मात्र ४००-५०० वर्ष ही पुराना है। यूरोप से कोलम्बस के जाने के पहले से भी वहां जो सभ्यता विकसित हुई थी वह भी अधिक पुरानी नहीं रही। दूसरी तरफ देखें तो भारत व चीन हैं, जिनका अस्तित्व सर्वाधिक पुराना है । ये देश तबसे हैं जब न तो यूरोप था और न ही अमेरिका।
 
विश्व के विभिन्न राष्ट्र अपने अपने तरीके से अपने समाज के विकास की प्रक्रिया में संलग्न हैं। हर राष्ट्र का अपना इतिहास है, जो कि कुछ सदियों से लेकर हज़ारों वर्षों से भी ज्यादा तक का है। उदाहरण के लिए आज जिसे हम युनायटेड इस्टेट्स ऑफ अमेरिका (USA) के रूप में जानते है, उसका प्रारंभ मात्र ४००-५०० वर्ष ही पुराना है। यूरोप से कोलम्बस के जाने के पहले से भी वहां जो सभ्यता विकसित हुई थी वह भी अधिक पुरानी नहीं रही। दूसरी तरफ देखें तो भारत व चीन हैं, जिनका अस्तित्व सर्वाधिक पुराना है । ये देश तबसे हैं जब न तो यूरोप था और न ही अमेरिका।
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ख) ऐसी तात्कालिक समस्याएं, जिन के परिणाम दूरगामी हैं
 
ख) ऐसी तात्कालिक समस्याएं, जिन के परिणाम दूरगामी हैं
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==== क) राष्ट्रीय व सामाजिक रचना के मूलभूत आधार से  सम्बंधित समस्याएँ ====
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== राष्ट्रीय व सामाजिक रचना के मूलभूत आधार से  सम्बंधित समस्याएँ ==
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==== क-१) बाजार में सामर्थ्यवान ही टिक पायेगा ====
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=== बाजार में सामर्थ्यवान ही टिक पायेगा ===
 
विश्व के राष्ट्रों को दो स्वरूपों में बाँट कर देखा जाता रहा है- एक, आधुनिक या यूँ कहें कि मूलतः आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों का समूह जैसे कि यू.एस.ए., ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, जापान, आस्ट्रेलिया, इत्यादि। जिन्हें हम लगभग दो सदियों से वैज्ञानिक व आर्थिक उन्नति में अगुआ मानते आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर पश्चिम के राष्ट्र होने से, हम आधुनिकता को पश्चिम कह कर ही देखते हैं । और दूसरी ओर बाकी के सब कम उन्नत कहलाये जाने वाले राष्ट्र जो इन उन्नत राष्ट्रों के मार्गदर्शन में चलने का प्रयास कर रहे हैं, और उन्नत होने का अर्थ पश्चिम की हर बात का अन्धानुकरण करने में ही मान रहे हैं।
 
विश्व के राष्ट्रों को दो स्वरूपों में बाँट कर देखा जाता रहा है- एक, आधुनिक या यूँ कहें कि मूलतः आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों का समूह जैसे कि यू.एस.ए., ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, जापान, आस्ट्रेलिया, इत्यादि। जिन्हें हम लगभग दो सदियों से वैज्ञानिक व आर्थिक उन्नति में अगुआ मानते आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर पश्चिम के राष्ट्र होने से, हम आधुनिकता को पश्चिम कह कर ही देखते हैं । और दूसरी ओर बाकी के सब कम उन्नत कहलाये जाने वाले राष्ट्र जो इन उन्नत राष्ट्रों के मार्गदर्शन में चलने का प्रयास कर रहे हैं, और उन्नत होने का अर्थ पश्चिम की हर बात का अन्धानुकरण करने में ही मान रहे हैं।
  

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