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५ दिसेम्बर १९९४ के 'The Spotlight' के अनुसार UN-NATO संयुक्त तत्वावधान में 'एलाइट रेपिड रिएक्शन कॉर्प' (ARRC) का निर्माण करके चार बहुराष्ट्रीय डिवीजन संगठित किये गये, इसमें ८०,००० (अस्सी हजार) ट्रॅप्स भर्ती किये गये । इस टूप्स के कमांडर इन चीफ 'सर जेरीमि मैकेन्जी' (Sir Jeremy Mackenz (जो कि ब्रिटिश सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे) को नियुक्त किया गया । इस प्रकार राउड टेबिल समुदाय ने विश्व समुदाय की बुनियाद डाल दी
 
५ दिसेम्बर १९९४ के 'The Spotlight' के अनुसार UN-NATO संयुक्त तत्वावधान में 'एलाइट रेपिड रिएक्शन कॉर्प' (ARRC) का निर्माण करके चार बहुराष्ट्रीय डिवीजन संगठित किये गये, इसमें ८०,००० (अस्सी हजार) ट्रॅप्स भर्ती किये गये । इस टूप्स के कमांडर इन चीफ 'सर जेरीमि मैकेन्जी' (Sir Jeremy Mackenz (जो कि ब्रिटिश सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे) को नियुक्त किया गया । इस प्रकार राउड टेबिल समुदाय ने विश्व समुदाय की बुनियाद डाल दी
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राउन्ड टेबिल समुदाय जो अपनी गिनती विश्व के विशिष्ट व्यक्तियों में करता है. विभिन्न नामों से जाना जाता है। विशिष्ट समुदाय ने विश्व पर अपना नियंत्रण रखने के लिए विश्व बैंक, विश्व कोष, विश्व मुद्रा, विश्व सेना और विश्व सरकार की स्थापना करने का उद्देश्य बनाया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये विश्व स्तर पर अधिकार आधारित, परस्पर स्पर्धा से सिंचित, भय और आतंक के असुरक्षित वातावरण में, भोग प्रधान जीवन दर्शन की छाया में, स्वार्थ मूलक, फूट डालो राज करो की नीति को अपना कर अनेक प्रकार के प्रदूषणों व विषमताओं को जन्म दिया है। इनकी यह नीति इसलिये प्रभावी हो रही है क्योंकि इस नीति का बाहरी स्वरूप सेवा और विकास की मीठी चाशनी में पका हुआ है । इस नीति ने आम आदमी के आत्म विश्वास और स्वावलम्बन पर निर्णायक आक्रमण किया हैं । संवेदनशील बुद्धिमानों को सेवा और निर्माण के शब्दाडम्बर में फँसाकर
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राउन्ड टेबिल समुदाय जो अपनी गिनती विश्व के विशिष्ट व्यक्तियों में करता है. विभिन्न नामों से जाना जाता है। विशिष्ट समुदाय ने विश्व पर अपना नियंत्रण रखने के लिए विश्व बैंक, विश्व कोष, विश्व मुद्रा, विश्व सेना और विश्व सरकार की स्थापना करने का उद्देश्य बनाया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये विश्व स्तर पर अधिकार आधारित, परस्पर स्पर्धा से सिंचित, भय और आतंक के असुरक्षित वातावरण में, भोग प्रधान जीवन दर्शन की छाया में, स्वार्थ मूलक, फूट डालो राज करो की नीति को अपना कर अनेक प्रकार के प्रदूषणों व विषमताओं को जन्म दिया है। इनकी यह नीति इसलिये प्रभावी हो रही है क्योंकि इस नीति का बाहरी स्वरूप सेवा और विकास की मीठी चाशनी में पका हुआ है । इस नीति ने आम आदमी के आत्म विश्वास और स्वावलम्बन पर निर्णायक आक्रमण किया हैं । संवेदनशील बुद्धिमानों को सेवा और निर्माण के शब्दाडम्बर में फँसाकर गुमराह किया है। धार्मिक गुरुओं को वैभवशाली चमक-दमक में फंसाकर आत्मविस्तृत कर दिया है। राजनैताओं को तात्कालिक राज्याधिकार का आकर्षण दिखाकर, आम जनता को जाति, धर्म, आडम्बरों आदि के जाल में फंसाकर फूट डालने में सहयोगी बनाया है। अभिनेताओं, खेल-खिलाड़ियों, विश्व सुन्दरियों आदि को संस्कृति व मनोरंजन का लेबिल लगाकर विलासिता के उत्पादों का विज्ञापन कराकर कंज्यूमरिज्म और बाजारवाद को प्रतिष्ठित किया जाता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में फास्ट फूड, डिब्बा बंद खाद्य, कोकाकोला आदि पेय पदार्थों के प्रचलन तथा रासायनिक खाद व रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से नये नये रोग पैदा करके उनके निवारण हेतु विषैली औषधियों का प्रचार हो रहा है । कृषि क्षेत्र में बीज, खाद, पानी आदि पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एकाधिकार को बढ़ाकर किसान और खेती को परावलम्बी बनाया है। मारक हथियारों के बदले नशीले पदार्थों के व्यवसाय पर तो यूनाइटेड नेशंस का पूरा ढाँचा खड़ा है।
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राउन्ड टेबिल समुदाय के विशिष्ट व्यक्तियों का व्यवसाय शस्त्र का निर्माण तथा खनिज तेलों की बिक्री का है। आतंकवादी तथा अपराध जगत के डॉन अन्दरूनी तौर पर इनसे जुड़े हुए हैं। इसलिये स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि गोलमेज समुदाय के विशिष्ट महापुरुष मानव समाज के लिये कलंक ही सिद्ध हो रहे हैं, इन भटके हुये जीवों को सही रास्ता दिखाने की जरूरत है।
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==== षड़यंत्र का शिकार भारत ====
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भारत में कर्तव्य आधारित, पारस्परिकता से सिंचित, निर्भय, निष्पक्ष, निर्लोभता के वातावरण में संयमित जीवन दर्शन की छाया में, परमार्थ मूलक, सहकारी साझेदारी की विश्व बन्धुत्व स्थापित करने की नीति का व्यवहार मानव जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने की दिशा में प्रगति कर रहा था । इस समृद्धशाली जीवन दर्शन को गोलमेज समुदाय के विशिष्ट महापुरुषों ने विकृत करने का षडयंत्र रचा है।
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राउन्ड टेबिल समुदाय के लिये भारतीय जीवन दर्शन की बुनियाद चुनौती बनी हुई थी। इस समृद्ध जीवन दर्शन की बुनियाद में सहज, स्वाभाविक, परस्परता, स्वयंसेवा, आत्मनिर्भरता, स्वावलम्बन, सहकारी साझेदारी की कर्तृत्व आधारित व्यवस्था प्रगति कर रही थी। भारत की प्रसिद्धि सोने की चिड़िया के रूप में होती रही थी, इसलिए अनेक लुटेरे भारत में आये । भारत कभी किसी देश को लूटने नहीं गया । ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने फूट डालो और राज करो की नीति का अनुसरण करके सारी दुनिया में अपने राजनीतिक उपनिवेशों के रूप में साम्राज्य स्थापित किया था। एक समय ऐसा आया कि जब राजनीतिक उपनिवेश रखना कठिन हो गया था, तो योरोप और अमेरिका के कुछ विशिष्ट धनी व्यक्तियों ने राजनीतिक उपनिवेश समाप्त करके आर्थिक साम्राज्य के द्वारा विश्व सरकार की योजना बनाई। आर्थिक साम्राज्यवादियों की निगाहें समूचे पूर्व में भारत की स्थिति को रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्व का मानती रही थी। इसलिए ब्रिटिश साम्राज्य ने अपनी राजसत्ता समेटने के साथ-साथ भारत को अनेक राजनीति हिस्सों में विभाजित करके भारत को कमजोर करने का षड़यंत्र रचाया । सत्ता हस्तान्तरण के साथ-साथ विभाजित भारत को इंडिया बना दिया । स्वतंत्र भारत में नागरिकों के मध्य देश के पुनर्निर्माण का अभिक्रम जाग रहा था, इस स्वाभाविक लोक अभिक्रम को समाप्त करने के लिये इंडियन गवर्नवमेंट को विकास
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और निर्माण का लालच देकर १९४८ में ही टूमैन के द्वारा चार सूत्री कृषि मिशन की स्थापना कर दी गई। कृषि मिशन के अन्तर्गत अमरीकी कृषि विशेषज्ञ अलबर्ट मायर द्वारा ग्रामीण पुनर्निर्माण के नाम पर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में पायलट प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया। इस योजना के लिये फोर्ड फाउंडेशन के तत्कालीन अध्यक्ष पाल हाफमैनने भारत में अमरीकि राजदूत चेस्टर बोवेल्स की देखरेख में दो अरब अमरीकी डालर खर्च करने का लक्ष्य बनाया । इसके बाद फोर्ड फाउंडेशन की मदद से २ अक्टूबर १९५२ को सामुदायिक विकास कार्यक्रम तथा भारत सेवक समाज की स्थापना की गयी। स्वतंत्रता के प्रथम उत्साह में राष्ट्र निर्माण हेतु जो लोक अभिक्रम जग रहा था, फोर्ड फाउडेंशन के धन ने उसकी भ्रूण हत्या ही कर दी, साम्राज्यवादी विदेशी ताकतें यही चाहती थीं।
    
==References==
 
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