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कुछ सज्जन और निष्कपट लोग जो अन्तरंग समिति में ले लिये गये थे जब उनको असली मकसद का पता चला तो उन्होंने अपने को इस समुदाय से अलग कर लिया।उदाहरण के लिये एक मि. एडमिरल चेस्टर वार्ड जो यूनाइटेड स्टेट्स में एक प्रसिद्ध जज तथा एडवोकेट जनरल ऑफ नेवी थे, उनको भी अन्तरंग समिति में शामिल किया गया था। अन्तरंग समिति में जाकर जब उनको गोलमेज समुदाय के असली मकसद का पता चला तो उन्होंने षडयंत्र से अपने को अलग कर लिया।
 
कुछ सज्जन और निष्कपट लोग जो अन्तरंग समिति में ले लिये गये थे जब उनको असली मकसद का पता चला तो उन्होंने अपने को इस समुदाय से अलग कर लिया।उदाहरण के लिये एक मि. एडमिरल चेस्टर वार्ड जो यूनाइटेड स्टेट्स में एक प्रसिद्ध जज तथा एडवोकेट जनरल ऑफ नेवी थे, उनको भी अन्तरंग समिति में शामिल किया गया था। अन्तरंग समिति में जाकर जब उनको गोलमेज समुदाय के असली मकसद का पता चला तो उन्होंने षडयंत्र से अपने को अलग कर लिया।
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John. J. Niccloy जो कि यू.एन. का एक विशिष्ट अधिकारी था, उसने बताया कि यू.एन. की सभी कार्यवाहियों का निर्देशन काउंसिल ऑन फारेन रिलेशन्स (C.F.R.) के द्वारा होता है । उन्होंने कहा 'जब कभी यू.एन. से सम्बन्धित देशों के लिये सरकारी उच्चपद पर किसी प्रमुख व्यक्ति की नियुक्ति की आवश्यकता होती है, तो यू.एन. के द्वारा उसकी सूचना तुरन्त न्यूयोर्क में स्थित C.F.R. के प्रधान कार्यालय Harold Prat House,58 East, 68th Street को देनी होती है। वहीं उसका निर्णय होकर कार्यवाही आगे बढ़ाई जती है। इस प्रकार से C.F.R. का दखल विभिन्न देशों में राष्ट्राध्यक्षों की नियुक्ति में होता रहता है। (John Birch Society), अमेरिका के संस्थापक (Robert welch) ने १९७० में यूनाइटेड नेशंस के विषय में अपनी राय व्यक्त करते हुये कहा था -<blockquote>"'''The United Nations' hopes and plans -''' To use population controls, controls over scientific and technological developments, control over arms and military strength of individual nations, control over education, control over health and all the control it can gradually establish under all the different excuses for International Jurisdiction that it can device. These varigated separate controls are to become components of the gradually materializing total control that it expects by pretense, deception, persuasion, beguilement and falsehoods, while the enforcement of such controls by brutal force and terror is also getting under way.</blockquote><blockquote>That is what the United Nations was always intended to do, that is what it was created to do, that is what it is now doing.<ref>The Prison (page 149-150)</ref></blockquote>'दि प्रिजन' पुस्तक के लेखक ने अपने अध्ययन व अनुभव से संयुक्त राष्ट्र संघ के विषय में लिखा है -<blockquote>संयुक्त राष्ट्र संघ का संचालन करने वाले अन्तरंग समिति के षडयंत्रकारी अधिकारियों की आशायें तथा योजनायें :</blockquote><blockquote>संयुक्त राष्ट्र संघ की आशायें व योजनायें पूरी तरह वैश्विक नियंत्रण की है। इसके लिये साम, दाम, दण्ड, भेद सभी नीतियों को इस्तेमाल में लाया जाता है । जीवन के हर क्षेत्र में विश्व सरकार द्वारा केन्द्रीय नियंत्रण को स्वीकार कराने के लिए जनसंख्या नियंत्रण विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र का नियंत्रण, सभी राष्ट्रों के शस्त्रास्त्र तथा सैनिक शक्ति का नियंत्रण, शिक्षा नीति का नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं का नियंत्रण । कहने का तात्पर्य यह है कि गोलमेज समुदाय के विशिष्ट सदस्य, संयुक्त राष्ट्र संघ को माध्यम बनाकर धीरेधीरे विश्व स्तर पर ऐसी मानसिकता बनाना चाहते हैं, जिससे स्थानीय लोक अभिक्रम पर से जनमानस की आस्था उठ जाय तथा केन्द्रीय सरकार, केन्द्रीय सेना, केन्द्रीय अर्थतंत्र के लिए अनुकूल मानसिकता बनें।<ref>'दि प्रिजन' पृष्ठ १४७-१५०</ref></blockquote>'''<nowiki/>'''
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John. J. Niccloy जो कि यू.एन. का एक विशिष्ट अधिकारी था, उसने बताया कि यू.एन. की सभी कार्यवाहियों का निर्देशन काउंसिल ऑन फारेन रिलेशन्स (C.F.R.) के द्वारा होता है । उन्होंने कहा 'जब कभी यू.एन. से सम्बन्धित देशों के लिये सरकारी उच्चपद पर किसी प्रमुख व्यक्ति की नियुक्ति की आवश्यकता होती है, तो यू.एन. के द्वारा उसकी सूचना तुरन्त न्यूयोर्क में स्थित C.F.R. के प्रधान कार्यालय Harold Prat House,58 East, 68th Street को देनी होती है। वहीं उसका निर्णय होकर कार्यवाही आगे बढ़ाई जती है। इस प्रकार से C.F.R. का दखल विभिन्न देशों में राष्ट्राध्यक्षों की नियुक्ति में होता रहता है। (John Birch Society), अमेरिका के संस्थापक (Robert welch) ने १९७० में यूनाइटेड नेशंस के विषय में अपनी राय व्यक्त करते हुये कहा था -<blockquote>"'''The United Nations' hopes and plans -''' To use population controls, controls over scientific and technological developments, control over arms and military strength of individual nations, control over education, control over health and all the control it can gradually establish under all the different excuses for International Jurisdiction that it can device. These varigated separate controls are to become components of the gradually materializing total control that it expects by pretense, deception, persuasion, beguilement and falsehoods, while the enforcement of such controls by brutal force and terror is also getting under way.</blockquote><blockquote>That is what the United Nations was always intended to do, that is what it was created to do, that is what it is now doing.<ref>The Prison (page 149-150)</ref></blockquote>'दि प्रिजन' पुस्तक के लेखक ने अपने अध्ययन व अनुभव से संयुक्त राष्ट्र संघ के विषय में लिखा है -<blockquote>संयुक्त राष्ट्र संघ का संचालन करने वाले अन्तरंग समिति के षडयंत्रकारी अधिकारियों की आशायें तथा योजनायें :</blockquote><blockquote>संयुक्त राष्ट्र संघ की आशायें व योजनायें पूरी तरह वैश्विक नियंत्रण की है। इसके लिये साम, दाम, दण्ड, भेद सभी नीतियों को इस्तेमाल में लाया जाता है । जीवन के हर क्षेत्र में विश्व सरकार द्वारा केन्द्रीय नियंत्रण को स्वीकार कराने के लिए जनसंख्या नियंत्रण [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]] और तकनीकी क्षेत्र का नियंत्रण, सभी राष्ट्रों के शस्त्रास्त्र तथा सैनिक शक्ति का नियंत्रण, शिक्षा नीति का नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं का नियंत्रण । कहने का तात्पर्य यह है कि गोलमेज समुदाय के विशिष्ट सदस्य, संयुक्त राष्ट्र संघ को माध्यम बनाकर धीरेधीरे विश्व स्तर पर ऐसी मानसिकता बनाना चाहते हैं, जिससे स्थानीय लोक अभिक्रम पर से जनमानस की आस्था उठ जाय तथा केन्द्रीय सरकार, केन्द्रीय सेना, केन्द्रीय अर्थतंत्र के लिए अनुकूल मानसिकता बनें।<ref>'दि प्रिजन' पृष्ठ १४७-१५०</ref></blockquote>'''<nowiki/>'''
 
सोवियत यूनियन का तानाशाह स्टॉलिन भी राउण्ड टेबिल समुदाय का क्रियाशील सदस्य था । उसने १९४२ में 'मार्क्सिझम एण्ड नेशनल क्वेश्चन' के अन्तर्गत एंग्लो अमेरिकन, कम्यूनिस्ट, खेल के प्रति पूरी सहमति थी। उस समय इस समुदाय ने निर्णय लिया था कि विश्व के उन राष्ट्रों में जहाँ हमारी पहुँच है, फूट डालकर उनको विभाजित करने की नीति बनाई जाय । इस योजना से राष्ट्रीय आस्थाओं को झटका लगेगा तथा विश्व सरकार के लिये अनुकूलता पैदा होगी। इस नीति के अन्तर्गत चीन, कोरिया, वियतनाम, भारत, रूस, पैलेस्टाइन, अफ्रीका, ईराक आदि राष्ट्रों में विभाजिन की नीति बनाई गई थी।
 
सोवियत यूनियन का तानाशाह स्टॉलिन भी राउण्ड टेबिल समुदाय का क्रियाशील सदस्य था । उसने १९४२ में 'मार्क्सिझम एण्ड नेशनल क्वेश्चन' के अन्तर्गत एंग्लो अमेरिकन, कम्यूनिस्ट, खेल के प्रति पूरी सहमति थी। उस समय इस समुदाय ने निर्णय लिया था कि विश्व के उन राष्ट्रों में जहाँ हमारी पहुँच है, फूट डालकर उनको विभाजित करने की नीति बनाई जाय । इस योजना से राष्ट्रीय आस्थाओं को झटका लगेगा तथा विश्व सरकार के लिये अनुकूलता पैदा होगी। इस नीति के अन्तर्गत चीन, कोरिया, वियतनाम, भारत, रूस, पैलेस्टाइन, अफ्रीका, ईराक आदि राष्ट्रों में विभाजिन की नीति बनाई गई थी।
 
== वैश्विक षडयंत्र के संचालन सूत्र ==
 
== वैश्विक षडयंत्र के संचालन सूत्र ==
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राजनीतिक, आर्थिक और साम्प्रदायिक क्षेत्र में आतंक फैलाने वाले तथा अन्य अशान्ति फैलाने वाले कार्यक्रम को शस्त्रास्त्र तथा आर्थिक सहायता देकर मुख्य समस्याओं से ध्यान हटाने का कार्य बिल्डरवर्ग समुदाय बड़ी सफलतापूर्वक कर रहा है।
 
राजनीतिक, आर्थिक और साम्प्रदायिक क्षेत्र में आतंक फैलाने वाले तथा अन्य अशान्ति फैलाने वाले कार्यक्रम को शस्त्रास्त्र तथा आर्थिक सहायता देकर मुख्य समस्याओं से ध्यान हटाने का कार्य बिल्डरवर्ग समुदाय बड़ी सफलतापूर्वक कर रहा है।
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यूनाइटेड नेशंस नाम की संस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है।' यूनाइटेड नेशंस' ने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करने वाली वैश्विक संस्थाओं का जाल सारी दुनिया में फैला दिया है । स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, धर्म, बैंक, पर्यावरण, अर्थ, राजनीति आदि सभी विषयों में सम्बन्धित समस्याओं के समाधान हेतु वैश्विक स्तर पर 'युनाइटेड नेशंस' संस्था कार्य कर रही है। जो व्यक्ति यूनाइटेड नेशंस की संस्थाओं से जुड़े हैं वे समझते हैं कि वे समाज के हित के लिए कार्य कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते कि 'यूनाइटेड नेशंस' के खेल में उनका अस्तित्व मात्र एक कठपुतली जैसा है। इस संस्था का वास्तविक उद्देश्य पर्दे के पीछे छिपा है । इसका वास्तविक उद्देश्य राउंड टेबल समुदाय या बरगरवर्ग समुदाय के उद्देश्य साकार करने का है। अन्ततोगत्वा योरोपियन यूनियन जो कि अभी तक एक भूलभुलैया जैसी संस्था है, उसके अन्तर्गत केन्द्रीय संचालन को संभव बनाने का कार्य यूनाइटेड नेशन को करना होता है । योरोपियन पार्लियामेंट के अध्यक्ष क्लौस हैन्च (Klaus Hanch) ने योरोपियन न्यूज पेपर में मई १९९५ में कहा था कि यूनाइटेड नेशंस का योरोपियन यूनियन के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है । वैश्विक स्तर पर केन्द्रीय नियंत्रण तथा विश्व सरकार के लिये अनुकूलता पैदा करना इसका मुख्य कार्य है । विश्व सरकार, विश्व बैंक, विश्व मुद्रा, विश्व सेना की स्थापना के लिये परिस्थिति निर्माण करना यूनाइटेड नेशंस का आन्तरिक उद्देश्य है।
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यूनाइटेड नेशंस नाम की संस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है।' यूनाइटेड नेशंस' ने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करने वाली वैश्विक संस्थाओं का जाल सारी दुनिया में फैला दिया है । स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, संस्कृति, [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]], धर्म, बैंक, पर्यावरण, अर्थ, राजनीति आदि सभी विषयों में सम्बन्धित समस्याओं के समाधान हेतु वैश्विक स्तर पर 'युनाइटेड नेशंस' संस्था कार्य कर रही है। जो व्यक्ति यूनाइटेड नेशंस की संस्थाओं से जुड़े हैं वे समझते हैं कि वे समाज के हित के लिए कार्य कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते कि 'यूनाइटेड नेशंस' के खेल में उनका अस्तित्व मात्र एक कठपुतली जैसा है। इस संस्था का वास्तविक उद्देश्य पर्दे के पीछे छिपा है । इसका वास्तविक उद्देश्य राउंड टेबल समुदाय या बरगरवर्ग समुदाय के उद्देश्य साकार करने का है। अन्ततोगत्वा योरोपियन यूनियन जो कि अभी तक एक भूलभुलैया जैसी संस्था है, उसके अन्तर्गत केन्द्रीय संचालन को संभव बनाने का कार्य यूनाइटेड नेशन को करना होता है । योरोपियन पार्लियामेंट के अध्यक्ष क्लौस हैन्च (Klaus Hanch) ने योरोपियन न्यूज पेपर में मई १९९५ में कहा था कि यूनाइटेड नेशंस का योरोपियन यूनियन के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है । वैश्विक स्तर पर केन्द्रीय नियंत्रण तथा विश्व सरकार के लिये अनुकूलता पैदा करना इसका मुख्य कार्य है । विश्व सरकार, विश्व बैंक, विश्व मुद्रा, विश्व सेना की स्थापना के लिये परिस्थिति निर्माण करना यूनाइटेड नेशंस का आन्तरिक उद्देश्य है।
    
केन्द्रीय नियंत्रण व केन्द्रीय संचालन का कार्य धीरेधीरे क्रम से करना है। धीरे-धीरे, शान्तिपूर्वक, गोपनीय ढंग से कार्य संचालन करने की नीति के आधार पर कार्य पद्धति बनायी गयी है। इस कार्य को सफल करने के लिये एक ट्राईलेटरल कमीशन बनाया गया है। इसके द्वारा यूनाइटेड स्टेट, योरोप और जापान के उन विशिष्ट व्यक्तियों का संयोजन करना है जो राउंड टेबिल योजना को साकार करने में सहयोगी बनें । कॉमन वैल्थ के भूतपूर्व मंत्री सर श्री दत्त रामफल ने जनवरी १९९५ में इन्टरनेशनल डेवलपमेंट कान्फ्रेंस वाशिंग्टन में कहा था कि यूनाइटेड नेशंस को अधिकार दिया जावे कि वह वैश्विक स्तर पर कार्य करने के लिये वैश्विक टैक्स संग्रह कर सके । कान्फ्रेन्स ने इसे मान्य किया था।
 
केन्द्रीय नियंत्रण व केन्द्रीय संचालन का कार्य धीरेधीरे क्रम से करना है। धीरे-धीरे, शान्तिपूर्वक, गोपनीय ढंग से कार्य संचालन करने की नीति के आधार पर कार्य पद्धति बनायी गयी है। इस कार्य को सफल करने के लिये एक ट्राईलेटरल कमीशन बनाया गया है। इसके द्वारा यूनाइटेड स्टेट, योरोप और जापान के उन विशिष्ट व्यक्तियों का संयोजन करना है जो राउंड टेबिल योजना को साकार करने में सहयोगी बनें । कॉमन वैल्थ के भूतपूर्व मंत्री सर श्री दत्त रामफल ने जनवरी १९९५ में इन्टरनेशनल डेवलपमेंट कान्फ्रेंस वाशिंग्टन में कहा था कि यूनाइटेड नेशंस को अधिकार दिया जावे कि वह वैश्विक स्तर पर कार्य करने के लिये वैश्विक टैक्स संग्रह कर सके । कान्फ्रेन्स ने इसे मान्य किया था।
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भारत मुख्य रूप से धर्मपरायण देश है। यहाँ की सांस्कृतिक विरासत में कर्तव्य परायणता को मुख्य आधार प्रदान किया गया है । हर एक को अपने कर्तव्य, अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की प्रेरणा भारत की मुख्य शक्ति रही है। धर्म का अर्थ यहाँ पंथ, सम्प्रदाय, मजहब या रिलीजन से नहीं है। पंथ, सम्प्रदाय, मजहब या रिलीजन की स्थापना किसी महापुरुष, महाग्रंथ या महान परम्पराओं के द्वारा की जाती है और धर्म व्यक्ति, प्रकृति और समाज के मध्य स्वाभाविक संतुलन के व्यवहार में से प्रकट होता रहता है। धर्म किसी केन्द्रीय सत्ता को पोषित नहीं करता। केन्द्रीय सत्ता तो धर्माचरण में बाधा ही उत्पन्न करती है। धर्म कर्तव्यबोध कराता है जबकि केन्द्रीय सत्ता अधिकारों के बँटवारे के तत्त्व पर खड़ी होती है। धर्म या कर्तव्य बोध पारस्परिकता का बोधक है, जबकि अधिकार बोध संघर्ष में परिणित हो ही जाता है। धर्माचरण या कर्तव्यबोध से आवश्यक अधिकार सहज रूप से मिलते रहते हैं।
 
भारत मुख्य रूप से धर्मपरायण देश है। यहाँ की सांस्कृतिक विरासत में कर्तव्य परायणता को मुख्य आधार प्रदान किया गया है । हर एक को अपने कर्तव्य, अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की प्रेरणा भारत की मुख्य शक्ति रही है। धर्म का अर्थ यहाँ पंथ, सम्प्रदाय, मजहब या रिलीजन से नहीं है। पंथ, सम्प्रदाय, मजहब या रिलीजन की स्थापना किसी महापुरुष, महाग्रंथ या महान परम्पराओं के द्वारा की जाती है और धर्म व्यक्ति, प्रकृति और समाज के मध्य स्वाभाविक संतुलन के व्यवहार में से प्रकट होता रहता है। धर्म किसी केन्द्रीय सत्ता को पोषित नहीं करता। केन्द्रीय सत्ता तो धर्माचरण में बाधा ही उत्पन्न करती है। धर्म कर्तव्यबोध कराता है जबकि केन्द्रीय सत्ता अधिकारों के बँटवारे के तत्त्व पर खड़ी होती है। धर्म या कर्तव्य बोध पारस्परिकता का बोधक है, जबकि अधिकार बोध संघर्ष में परिणित हो ही जाता है। धर्माचरण या कर्तव्यबोध से आवश्यक अधिकार सहज रूप से मिलते रहते हैं।
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विकसित सामाजिक जीवन में धर्म, अर्थ और राज्य की व्यवस्थाओं का स्वरूप निश्चित करना होता है। अर्थ और राज्य यदि अपना धर्म या कर्तव्य ठीक तरह से पालन करेंगे तो समाज में सहज और स्वाभाविक रूप से सुख शान्ति रहेगी। दूसरी तरफ यदि राज्य सत्ता का केन्द्रीयकरण होगा, प्राकृतिक संसाधनों को एकाधिकार करके धन का संग्रह होगा, तो अधिकारों के लिये संघर्ष उसका सहज परिणाम होगा। इस संघर्ष के लिये सेना अनिवार्य हो जायेगी। इससे समाज की सुख-शान्ति खतरे में पड़ जायेगी । सेना के लिये अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण होगा । युद्ध तो हमेशा नहीं होते, अतः आतंकी और अपराधी समुदाय पैदा करना अनिवार्यता बन जायेगी। वैश्विक स्तर पर गोलमेज समुदाय के विशिष्ट महापुरुषों के द्वारा शान्ति स्थापना के नाम पर यूनाईटेड नेशंस की समस्त संस्थायें परोक्ष रूप से केन्द्रीय सरकार, केन्द्रीय सेना, केन्द्रीय मुद्रा की स्थापना करके आर्थिक साम्राज्यवाद को स्थापित करना चाहेगी। इस मानवद्रोही योजना के संचालकों में रौथ चाइल्ड कॉरपोरेशन, फोर्ड फाउंडेशन, कारनेगी फाउंडेशन, राकफैलर फाउंडेशन तथा समस्त बिल्डरवर्ग समुदाय सम्मिलित है। ये बेचारें यह नहीं जानते कि यह योजना इनके लिए भी हितकर नहीं है ।
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विकसित सामाजिक जीवन में धर्म, अर्थ और राज्य की व्यवस्थाओं का स्वरूप निश्चित करना होता है। अर्थ और राज्य यदि अपना धर्म या कर्तव्य ठीक तरह से पालन करेंगे तो समाज में सहज और स्वाभाविक रूप से सुख शान्ति रहेगी। दूसरी तरफ यदि राज्य सत्ता का केन्द्रीयकरण होगा, प्राकृतिक संसाधनों को एकाधिकार करके धन का संग्रह होगा, तो अधिकारों के लिये संघर्ष उसका सहज परिणाम होगा। इस संघर्ष के लिये सेना अनिवार्य हो जायेगी। इससे समाज की सुख-शान्ति खतरे में पड़ जायेगी । सेना के लिये अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण होगा । युद्ध तो सदा नहीं होते, अतः आतंकी और अपराधी समुदाय पैदा करना अनिवार्यता बन जायेगी। वैश्विक स्तर पर गोलमेज समुदाय के विशिष्ट महापुरुषों के द्वारा शान्ति स्थापना के नाम पर यूनाईटेड नेशंस की समस्त संस्थायें परोक्ष रूप से केन्द्रीय सरकार, केन्द्रीय सेना, केन्द्रीय मुद्रा की स्थापना करके आर्थिक साम्राज्यवाद को स्थापित करना चाहेगी। इस मानवद्रोही योजना के संचालकों में रौथ चाइल्ड कॉरपोरेशन, फोर्ड फाउंडेशन, कारनेगी फाउंडेशन, राकफैलर फाउंडेशन तथा समस्त बिल्डरवर्ग समुदाय सम्मिलित है। ये बेचारें यह नहीं जानते कि यह योजना इनके लिए भी हितकर नहीं है ।
    
विश्व सरकार, विश्व सेना, विश्व मुद्रा, विश्व बैंक आदि द्वारा केंद्रीय नियंत्रण की व्यवस्था किसी प्रकार से भी मानव, प्रकृति तथा समाज को सुख-शांति नहीं पहुँचा सकती। केन्द्रीय नियंत्रण स्थापित करने की योजना बनाने वाले राउंड टेबिल समुदाय या बिल्डरवर्गर समुदाय को अपनी योजना के लिये किस-किस प्रकार के षड़यंत्र करने पड़ रहे हैं, इसका पूरा लेखा-जोखा 'दि प्रिजन' पुस्तक में दिया है। प्रस्तुत लेख की अधिकांश सामग्री 'दि प्रिजन' पुस्तक से ही ली गई है। इस षड़यंत्र को उजागर करके षड़यंत्रकारियों को सही सोचने में सहकार करना प्रस्तुत पुस्तक का मुख्य उद्देश्य है। भारत के उद्योगपति, राजनेता, धर्मगुरु, समाज सेवक तथा संवेदनशील विद्वानों की जानकारी हेतु चार सौ पृष्ठ की 'दि प्रिजन' पुस्तक में लिखे विवरण को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया जा रहा है।
 
विश्व सरकार, विश्व सेना, विश्व मुद्रा, विश्व बैंक आदि द्वारा केंद्रीय नियंत्रण की व्यवस्था किसी प्रकार से भी मानव, प्रकृति तथा समाज को सुख-शांति नहीं पहुँचा सकती। केन्द्रीय नियंत्रण स्थापित करने की योजना बनाने वाले राउंड टेबिल समुदाय या बिल्डरवर्गर समुदाय को अपनी योजना के लिये किस-किस प्रकार के षड़यंत्र करने पड़ रहे हैं, इसका पूरा लेखा-जोखा 'दि प्रिजन' पुस्तक में दिया है। प्रस्तुत लेख की अधिकांश सामग्री 'दि प्रिजन' पुस्तक से ही ली गई है। इस षड़यंत्र को उजागर करके षड़यंत्रकारियों को सही सोचने में सहकार करना प्रस्तुत पुस्तक का मुख्य उद्देश्य है। भारत के उद्योगपति, राजनेता, धर्मगुरु, समाज सेवक तथा संवेदनशील विद्वानों की जानकारी हेतु चार सौ पृष्ठ की 'दि प्रिजन' पुस्तक में लिखे विवरण को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया जा रहा है।

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