Ashwini month festival (आश्विन मास के अंतर्गत व्रत व त्यौहार)
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आश्विन मास में हमारी पृथ्वी और लोक या ज्योतिषचक्र के अनुसार अन्तर बहुत थोड़ा रह जाता है। अतः श्राद्ध के पुण्य का फल इस लोक से पितृ लोक में बहुत सरलता से पहुंच जाता है। एक समय महाकाल का चरित्र सुनने के लिए राजा करन्घम श्री महाकाल (जिनके दर्शन मात्र से पापी लोग पाप मुक्त होकर पवित्र हो जाते हैं, के आश्रम पर गये।) उनकी पूजादि करके उन्हें प्रणाम किया और उनकी स्तुति करने लगे और उनके पास बैठ गये। तब मुस्कराते हुए महाकालजी ने उनकी अगवानी की और संस्कारपूर्वक उनको अर्ध्य प्रदान किया, फिर कुशल मंगल के पश्चात् जब राजा सुखपूर्वक बैठे तो उन्होंने महाकालजी से पूछा कि-"भगवान मेरे मन में सदैव संशय बना रहता है कि मनुष्यों द्वारा जो पितरों को अर्पण किया जाता है, उसमें जल तो जल ही में चला जाता है फिर हमारे पूर्वज किस तरह से तृप्त होते हैं और इसी