तेनाली रामा जी - गलत कर्म छुपते नहीं
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एक दिन महाराज कृष्णदेव राय के महल में एक व्यापारी आया | उस व्यापारी के हाथ में एक लोहे का संदूक था | व्यापारी ने महाराज से कहा की मै उत्तर भारत की यात्रा पर जा रहा हूँ |