तेनाली रामा जी - महाराज की मुद्रिका की खोज
अंगरक्मषक ने हाराज कृष्णदेवराय जी के पास एक बहुत ही सुन्दर एवं मनमोहक मुद्रिका थी जिन्हें वे हमेशा धारण करते थे कभी भी उस मुद्रिका को अपने से दूर नहीं करते थे | महाराज की दृष्टि हमेशा उस मुद्रिका को देखती रहती | दरबार में सभी मंत्री गणों एवं दरबारियों को मुद्रिका दिखाते रहते और उस मुद्रिका की सुन्दरता की प्रसंशा करते रहते |
एक दिन महाराज कृष्णदेवराय उदास अपने आसन पर बैठे थे तभी वहां तेनालीरामा आए उन्होंने महाराज को उदास देखकर पूछा महाराज आप उदास क्यों है? क्या कोई चिंता का विषय है मुझे बताइए मै उसका समाधान करने का प्रयास करता हूँ | महाराज ने अपनी उदासी का पूरा वृतांत तेनालीरामा को सुनाया कि मेरी प्रिय मुद्रिका मील नही रही है | मैंने मुद्रिका ढूढ़ने का पूरा प्रयास किया ,मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है मेरी मुद्रिका चोरी हो गई है | तेनालीरामा ने महाराज से पूछा ''महाराज आप को किसी पर संदेह है जो आपकी की मुद्रिका चोरी कर सकता है |
महाराज ने तेनालीरामा से कहा मुझे अपने निजी अंगरक्षकों पर संदेह है क्योंकी मेरे निजी कक्ष मे केवल वे ही लोग आसकते है दूसरे किसी को आने की आज्ञां नही है |महाराज की बाते सुनने के बाद तेनालीरामा ने कहा महाराज आप चिता मत कीजिए चोर जल्द से जल्द पकड़ा जायेगा |महाराज आप अपने निजी अंगरक्षको बुलवाइए और जैसा तेनालीरामा कहते है वैसा करने का आदेश दीजिये | महाराज ने तेनालीरामा की बात मानकर सभी अंगरक्षकों को आने का आदेश दिया |सभी अठारह अंगरक्षक उपस्थित हुए |तेनालीरामा ने सभी से कहा हमें मंदिर चलना है दर्शन करने के लिए |सभी अंगरक्षक और महाराज मंदिर पहुँचे वहा पर तेनालीरामा ने बताया की महाराज की प्रिय मुद्रिका चोरी हो गई है मुझे देवी माता रात्रि स्वप्न मे चोर के बारे में बताएंगी |इसलिए आप सभी एक एक कर के देवी का दर्शन चरण स्पर्श करके तुरंत बाहर आजाइए |तेनालीरामा ने मन्दिर के पुजारी के कान में धीरे से कुछ कहा और बाहर आगये |
सभी अंगरक्षक दर्शन करने लगे जैसे ही अंगरक्षक बहार आते तुरंत तेनालीरामा उनके हाथो को चूम लेते थे |सभी अंगरक्षकों ने देवी का दर्शन कर लिया तब महाराज ने तेनालीरामा से पूछा की इन सभी अंगरक्षकों का क्या करना है ?सभी को आज कारागार मे रखना पड़ेगा क्योंकि चोर की जानकारी देवी माता आपको आज रात्रि स्वप्न में बताएगी तेनालीरामा ने तुरंत उत्तर दिया नही महाराज चोर के बारे मे जानकारी मुझे हो गई है |जो ग्यारहवे क्रमांक पर अंगरक्षक खड़ा है वही चोर है | अंगरक्षक ने तुरंत भागने का प्रयास किया सक्भी ने उसे पकड़ लिया |
दूसरे दिन दरबार में चोर को प्रस्तुत किया गया | महाराज ने तेनालीरामा से पूछा आपने कैसे पहचाना की यही अंगरक्षक चोर है | तेनालीरामा ने उत्तर दिया ''महाराज मैंने मंदिर के पुजारी को देवी माँ के चरणों में सुगंधित द्रव्य लगाने को कहा |