धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
पर्व १ : विषय प्रवेश
तत्त्व एवं व्यवहार का सम्बन्ध
अमूर्त और मूर्त का अन्तर, तत्त्व के अनुसार व्यवहार, व्यवहार
हमेशा तत्त्व का अनुसरण करता है, तत्त्व सिद्धान्त है, व्यवहार
उसका उदाहरण, व्यापक सन्दर्भ में जो करना चाहिये वह तत्त्व होता
है, जो किया जाता है वह व्यवहार होता है, तत्त्व को छोड़कर व्यवहार
करने के उदाहरण
युगानुकूल और देशानुकूल
तत्त्व एवं व्यवहार में अन्तर क्यों, युग कया है, तत्त्व के अनुकूल युग,
युग के अनुकूल व्यवहार, देशानुकूल संकल्पना कया है, देशानुकूल
परिवर्तन कया है
युगानुकूलता के कुछ आयाम
व्यवहार के विभिन्न आयाम, युगानुकूलता के मानक
पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
शिक्षा का केन्द्रबिन्दु विद्यार्थी
आदर्श विद्यार्थी
विद्यार्थियों की शरीर सम्पदा, मनुष्य शरीर विशेष है, समस्यायें
कैसी हैं ?, कठिनाई के कारण क्या हैं ?, विद्यालय क्या करे,
विद्यार्थियों के दैनन्दिन व्यवहार में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का
विकास, वैज्ञानिकता क्या है, आहार विषयक वैज्ञानिकता,
वसख्त्रपरिधान में वैज्ञानिकता, अलंकार, सौन्दर्यप्रसाधन, अन्य छोटी
मोटी वस्तुओं में वैज्ञानिकता, दिनचर्या, ऋतुचर्या और जीवनचर्या में
वैज्ञानिकता, विद्यार्थियों की मानसिकता : समस्या और
निराकरण, यह तो व्यावहारिकता है, मानसिकता के आयाम,
मानसिकता के जिम्मेदार कारण, सही मानसिकता बनाने के प्रयास,
विद्यार्थियों का मन:सन्तुलन, भय की मानसिकता, नई पीढ़ी का
मनोबल बढ़ाना, मन की शिक्षा के अभाव में व्यक्त व्यवहार, मन की
शिक्षा के विचारणीय बिन्दु, मन की एकाग्रता के उपाय, मन की
श्र
शक्ति बढ़ाने के उपाय, अध्ययन की समस्या, आज की शिक्षा
समझ नहीं बढाती, इसका कया अर्थ है ?, गड़बड़ क्या है ?,
विद्यार्थियों की अर्थदृष्टि और अर्थव्यवहार, प्रस्तावना, देशव्यापी
अर्थदृष्टि का संकट , अर्थव्यवहार और अर्थदृष्टि के उदाहरण, अर्थ
की शिक्षा अनिवार्य है, विद्यार्थियों का गृहजीवन, अधिक
भाग्यवान कौन ?, विद्यालय अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाए ?,
विद्यार्थियों का सामाजिक दायित्वबोध, समाज के लिये समृद्धि
और संस्कृति दोनों आवश्यक, संस्कृति के अभाव में समृद्धि आसुरी
बन जाती है उसके क्या लक्षण हैं ?, आज अनेक स्वरूपों में
संस्कृतिविहीन समृद्धि प्राप्त करने के प्रयास दिख रहे हैं... समृद्धि के
बिना संस्कृति की रक्षा कैसे नहीं हो सकती ?, समाज के
दायित्वबोध की शिक्षा के पहलू, विद्यार्थियों की देशभक्ति,
विद्यार्थियों की देशभक्ति कहाँ दिखाई देती हैं ?, देशभक्ति की समझ,
देशभक्ति की भावना, कृतिशील देशभक्ति, देशभक्ति नहीं तो संस्कृति
नहीं
शिक्षक का शिक्षकत्व
विद्यार्थियों का भविष्य, कुछ चिन्ताजनक बातें, हमारे प्रयासों का
स्वरूप, माता-पिता को क्या करना चाहिए, शिक्षकों का दायित्व,
शिक्षकों को क्या करना चाहिये ?, शिक्षक प्रबोधन, बेचारा
शिक्षक !, जड की नहीं चेतन की प्रतिष्ठा हो, शिक्षक के मन को
पुनर्जीवित करना, शिक्षक प्रबोधन के बिन्दु व चरण, आदर्श
शिक्षक, विद्यालय को अच्छे शिक्षक कैसे मिलेंगे, जैसा शिक्षक
वैसी शिक्षा, ऐसे शिक्षक कहाँ से मिलेंगे ?
विद्यालय का सामाजिक दायित्व
विद्यालय का प्रशासन, शिक्षा का यूरोपीकरण, शिक्षा सरकार के
अधीन, शिक्षा अर्थ के अधीन, शिक्षा की सभी व्यवस्थाएँ वही की
वही, प्राचीनभारत में शिक्षा का स्वरूप, आज की विडम्बना, ऐसे में
शिक्षा कैसे होगी ?, शिक्षा में भारतीय करण के उपाय, विद्यालय
की यान्त्रिकता को कैसे दूर करें, मनुष्य यंत्र द्वारा संचालित न हो,
यंत्र आधारित वर्तमान व्यवस्था, उपाय योजना, विद्यालयीन
'शिष्टाचार, व्यवहार कैसा होना चाहिये ? , विनयशील व्यवहार का
अर्थ, १. शिक्षक के हृदय में प्रेम, आचारनिष्ठा व ज्ञाननिष्ठा का
अभाव, २. शिक्षक और मुख्याध्यापक के आपसी व्यवहार में भी
शिष्ट आचरण अपेक्षित है ।, २. समस्या का हल करना
मुख्याध्यापक का दायित्व है, ४. विद्यालय की गरिमा व पवित्रता की
रक्षा, विद्यालय संचालन में विद्यार्थियों का सहभाग, विद्यालय
क्या है, विद्यालय एक परिवार है, विद्यार्थी क्या कर सकते हैं, इसे
सम्भव बनाने के उपाय, विद्यालय और पूर्व छात्र, विद्यालय और
पूर्व छात्र का सम्धबन्ध, विद्यालय के प्रति कृतज्ञता का भाव जगाना,
विद्यालय चलाने की जिम्मेदारी साँझी, विद्यालय तंत्र कैसा है ?,
विद्यालय में विद्यार्थियों का काम क्या होगा ?, वर्तमान में ये बातें
होती क्यों नहीं हैं ?, विद्यालय का रंगमंच कार्यक्रम, विद्यालय
सामाजिक चेतना का केन्द्र, समाज का अर्थ, परिवार भावना मूल
आधार है, समाज धर्म व संस्कृति से चलता है, संस्कृति सनातन है ,
शिक्षा संस्कृति का हस्तान्तरण करती है, विद्यालय की भूमिका,
सामाजिक रीतियों का शोधन करना
पूरे दिन का विद्यालय, कैसे विचार करना चाहिए
आवासीय विद्यालय, १. प्रयोजन, २. स्वरूप, आवासीय
विद्यालय, आज वे कैसे चलते हैं ?, एक समझने लायक उदाहरण,
ये विद्यालय गुरुकुलों की तरह सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए चलने
चाहिये । सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का क्या करें, वर्तमान
स्थिति, शिक्षक क्यों नहीं पढ़ाते ?, उपाय कया है, कुछ इस प्रकार
विचार कर सकते हैं...
परिवार की शैक्षिक भूमिका
विद्यालय के सन्दर्भ में परिवार क्या करे, विश्व में भारत की
प्रतिष्ठा, विद्यालय की भूमिका, इस स्थिति में विद्यालय क्या करें ?,
नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम, अपनी दृष्टि व्यापक बनाना,
स्वच्छता के विषय में अप्रतिष्ठा, एक हाथ में लेने लायक अभियान
'विद्यालय एवं परिवार, प्रश्नावली, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, शिक्षा
के तीन केन्द्र, परिवार शिक्षा के कुछ विषय, क्रियान्वयन हेतु
आवश्यक बातें, शिक्षा और परिवार प्रबोधन, १. बालक की
शिक्षा घर में भी होती है , २. बालक की विद्यालयीन शिक्षा का
प्रारम्भ उचित समय पर हो, 3. प्राथमिक शिक्षा क्रिया और अनुभव
प्रधान हो, ४. गृहकार्य, स्यूशन, कोचिंग, गतिविधियाँ, ५. अंग्रेजी
माध्यम का मोह, ६. सांस्कृतिक विषयों की उपेक्षा, ७. वैश्विकता का
आकर्षण, ८. जीवनविषयक दृष्टि की विपरीतता, परिवार और शिक्षा
सामाजिकता की प्रायोगिक शिक्षा, सामाजिकता क्या है ?,
१. देना और बाँट कर उपभोग करना , २. सत्कारपूर्वक देना, हे.
भेदों को नहीं मानना, ४. कृतज्ञता और उदारता, ५. सामाजिक
समरसता, ६. सामाजिक उत्सवों का सांस्कृतिक स्वरूप बनायें
रखना, ७. गुणों और क्षमताओं का सम्मान करना, ८. सत्य, धर्म,
ज्ञान, सेवा न्याय आदि की परख होना, घर में छात्रविकास,
अभिमत, घर में छात्रविकास
पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
विद्यालय का समय, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, अध्ययन का समय,
अध्ययन दिन तथा अनध्ययन दिन : चन्द्रमा का प्रभाव, मनुस्मृति में
प्राप्त अनध्ययनकाल के संकेत, विद्यालय में गणवेश, प्रश्नावली
से प्राप्त उत्तर, गणवेश की छुट्टी, विद्यालय की बैठक व्यवस्था,
प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, आसन पर बैठना, विषयानुसार कक्ष
व्यवस्था, बैठक की लेक्चर थियेटर व्यवस्था, दृष्टिकोण का अन्तर,
पैसों से सम्बन्ध जोड़ना, भिन्न-भिन्न रचनाएँ, विद्यालय में
पर्यावरण सुरक्षा, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, पर्यावरण विचार के कुछ
मुद्दे, पर्यावरण सम्बन्धित व्यावहारिक विचार, प्रदूषण से बचने हेतु
मन की शिक्षा, पर्यावरण प्रतिज्ञा, विद्यालय में ट्यूशन, प्रश्नावली से
प्राप्त उत्तर, विद्यालय में पवित्रता, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर,
पवित्रता मन का विषय है, पवित्रता का व्यावहारिक सूत्र, विद्यालय
मन्दिर है, क्या किया जा सकता है ?, विद्यालयों के लिये
विचारणीय, १. सूती गणवेश, २. विद्यालय या कक्षाकक्ष में जूते
नहीं पहनना, रे. भूमि पर बैठने की व्यवस्था, ४. घर का भोजन, ५.
प्लास्टिक का निषेध, ६. कूलर के पानी का निषेध, ७. श्रम प्रतिष्ठा,
८. पाठ्यक्रमेतर गतिविधियाँ, ९. बिना बोझ की शिक्षा, १०.
मातापिता की शिक्षा
छात्र के शैक्षिक कार्य
छात्रों का बस्ता, प्रश्नावली से पार्प्त उत्तर, बस्ते के सम्बन्ध में
विचारणीय बातें, बोझ कम करने के उपाय
(अ) विद्यालय में छात्रों द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री
(ब) शिक्षक के द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री , छात्रों के लिए साधन
सामग्री : प्राप्त उत्तर, शिक्षक द्वारा प्रयुक्त साधन-सामग्री : प्राप्त उत्तर,
१, आवश्यक सामग्री, २. अनावश्यक सामग्री, रे. निर््थक और अनर्थक
सामग्री, साधन-सामग्री के बारे में करणीय बातें, १. शिक्षक के पास
पर्याप्त सामग्री होना, २. शिक्षकों द्वारा सामग्री का समुचित उपयोग,
३. केवल सामग्री पर निर्भर नहीं रहा जाता, ४. सामग्री से शिक्षक का
महत्त्व अधिक होना, ५. आवश्यक सामग्री का निर्माण कर लेना,
गृहकार्य, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, गृहकार्य कैसा हो, कुछ विचारणीय
बातें, गृहकार्य की जाँच कैसे करें, विद्यालय की दैनंदिन
गतिविधियाँ, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, चर्चा एवं अभिमत,
गतिविधियाँ, १. पशु पक्षी कीट पतंग आदि की सेवा, २. वृक्ष वनस्पती
सेवा, ३. स्वच्छता, ४. वन्दना, ५. कारसेवा एवं यज्ञ, ६. व्यायाम,
७. योगाभ्यास, ८. साजसज्जा, ९, गुरुसेवा गुरु वन्दना, १०, भोजन,
विमर्श, १. प्रार्थना, २. संकल्प, दे. यज्ञ, ४. मध्यावकाश का भोजन
अथवा अल्पाहार, ५. राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का गायन, ६. सर्वेभवन्तु
सुखिन: , विद्यालय में पुस्तकालय, प्रत्यक्ष वार्तालाप से प्राप्त उत्तर,
विमर्श, पुस्तकालय की पवित्रता बनाये रखना, पढ़ने की रुचि निर्माण
करना, पुस्तकों का जतन करना
विद्यालय में भोजन एवं जल व्यवस्था
विद्यालय में मध्यावकाश का भोजन, प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर,
अन्नब्रह्म का भाव जगाना, विद्यालय में भोजन की शिक्षा, १. क्या
खायें , सात्त्तिक आहार के लक्षण, सात्त्चिक आहार क्या-क्या
बढ़ाता है ?, सात्विक आहार के गुण क्या-क्या हैं, रस्य आहार का
क्या अर्थ है ? , बल भी बढता है ।, कब खायें, विद्यालय में भोजन
व्यवस्था, भारतीय इन्स्टण्ट फूड एवं जंक फूड, १. इन्स्टण्ट
फूड, १. हलवा, २. Gash, रे. कुलेर, ४. बेसन के लड्डू, ५. राब,
६. चीला, ७. मालपुआ, ८. पकोड़े, ९. बड़ा, ९, पोहे, १०, मुरमुरे
की चटपटी, ११. उपमा, १२. खीच, १ ३. चीकी, १४. पूरी, थेपला
इत्यादि, १५. खमण, १६, थालीपीठ, २. प्रचलित जंकफूड,
१, रोटीचूरा, २. रोटी का लड्डू, रे. खिचडी के पराठे, पकौडे,
४. दालभात मिक्स, ५. दाल पापडी, ६. कटलेस, ७. भेल,
८. सखडी, ९. रात की बची हुई रोटी, अन्न विचार, अन्न सभी
प्राणियों का जीवन, अन्न का प्रभाव पाँचों कोशों पर, भोजनयज्ञ,
भोजन पर सबका अधिकार, हितभुक्, मितभुकू, ऋतभुक्, भोजन
और संस्कार, खिलाकर खायें, सात्त्तिक आहार, राजस आहार,
तामस आहार, बाजार का अन्न न खायें, भोजन बनाना श्रेष्ठ कार्य
है ।, अन्न का दान होता है, विक्रय नहीं, अन्न का अपमान न करें,
शुद्ध भोजन करें, भोज्येषु माता, भोजन ठीक समय पर करें, साथ
साथ भोजन करें, विद्यालय में पानी की व्यवस्था, प्रश्नावली से
पाप्त उत्तर, पानी का आर्थिक पक्ष, विद्यालय में पानी की व्यवस्था,
पानी के विषय में शिक्षा , शिक्षा योजना के बिन्दु, पानी के सम्बन्ध
में क्रियात्मक शिक्षा, जल साक्षरता, पानी को शुद्ध करने के
प्राकृतिक उपाय, पानी को लेकर अनुचित आदतें इस प्रकार हैं ।
उन्हें दूर करने की आवश्यकता है |, पानी के सम्बन्ध में भावात्मक
शिक्षा, पानी के विषय में ज्ञानात्मक शिक्षा
विद्यालय का समाज में स्थान
विद्यालय किसका ? , प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, कसौटी क्या है ?,
इस का उपाय क्या है ? , विद्यालय का शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम,
प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, शैक्षिक भ्रमण सम्बन्धी विचारणीय मुद्दे,
दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता, विद्यालय में सांस्कृतिक
गतिविधियाँ, विद्यालय की प्रतिष्ठा, विद्यालय साधनास्थली है,
तक्षशिला विद्यापीठ, श्रेष्ठ शिक्षक विद्यालय की प्रतिष्ठा है ।, प्रतिष्ठा
के आज के मापदण्ड, ज्ञान को प्रतिष्ठित करने के कुछ कठोर उपाय
विद्यालय में अध्ययन विचार
अध्ययन हेतु सुविधा का विचार, अभिमत, सुविधा किसे चाहिए,
सुविधा का प्रश्न, विद्यालय में प्रतियोगितायें, प्रश्नावली से पाप्त
उत्तर, अध्ययन क्षेत्र का एक अवरोध : परस्पर अविश्वास,
शिक्षक पर भरोसा नहीं है, अविश्वास का परिणाम, इस प्रकार मिथ्या
और आभासी शिक्षा चलती है ।, विश्वसनीयता का संकट गहरा है,
विश्वास का जतन करना, बच्चे मन के सच्चे, इसे दुनियादारी कहते
हैं, शिक्षकों का दायित्व, विश्वास भंग होने पर क्या करना ?, झूठा
भरोसा दिलाना सही है ?, श्रद्धा का संकट, दो विचित्र प्रश्न,
१, मान्यता का प्रश्न, ऐसे तीन स्तर क्यों होते हैं ? , अब प्रश्न क्या
है ?, २. दूसरा प्रश्न है अंग्रेजी माध्यम का ।, मनोवैज्ञानिक
समस्याओं का हल, शिक्षा का माध्यम और भाषा का प्रश्न, अंग्रेजी
मनोवैज्ञानिक समस्या है, अंग्रेजी के भूत को भगाने के प्रयास