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| == वर्तमान शैक्षिक लक्ष्य == | | == वर्तमान शैक्षिक लक्ष्य == |
− | सर्वप्रथम तो भारतीय समाज का लक्ष्य क्या है? यह निश्चित करना चाहिये था। अनिवार्य रूप से मानव जीवन के लक्ष्य के आधारपर ही शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। प्राचीन काल से मानव जीवन का लक्ष्य ' मोक्ष ' ही रहा है। इसीलिये शिक्षा के लक्ष्य का वर्णन किया गया था ' सा विद्या या विमुक्तये '। किंतु वर्तमान में इस लक्ष्य का निर्धारण, जैसी हमारी परंपरा रही है वैसा समाज के विद्वानों ने नहीं किया है, अपितु शासनमान्य विद्वानों ने किया है। शासन मान्य विद्वान का अर्थ है शासन की नीतियों के लिये अपने ज्ञान का उपयोग करने वाला विद्वान। सामान्य तौरपर समूचे शिक्षा क्षेत्र ने शासन द्वारा निर्धारित इस लक्ष्य को मान्य किया है। इस की प्रस्तुति शासन ने ' कोअर एलिमेंटस् ' (केंद्रीय घटक) के अंतर्गत की है। १९८६ की शिक्षा नीति के अनुसार यह कोअर एलिमेंटस् १० थे। २००६ में इन में तीन और जोडे गये। इस लिये इन कोअर एलिमेंटस् की संख्या अब १३ हो गई है। यह कोअर एलिमेंटस् निम्न हैं। | + | सर्वप्रथम तो भारतीय समाज का लक्ष्य क्या है? यह निश्चित करना चाहिये था। अनिवार्य रूप से मानव जीवन के लक्ष्य के आधारपर ही शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। प्राचीन काल से मानव जीवन का लक्ष्य 'मोक्ष' ही रहा है। इसीलिये शिक्षा के लक्ष्य का वर्णन किया गया था 'सा विद्या या विमुक्तये'। किंतु वर्तमान में इस लक्ष्य का निर्धारण, जैसी हमारी परंपरा रही है वैसा समाज के विद्वानों ने नहीं किया है, अपितु शासनमान्य विद्वानों ने किया है। शासन मान्य विद्वान का अर्थ है शासन की नीतियों के लिये अपने ज्ञान का उपयोग करने वाला विद्वान। सामान्य तौर पर समूचे शिक्षा क्षेत्र ने शासन द्वारा निर्धारित इस लक्ष्य को मान्य किया है। इस की प्रस्तुति शासन ने 'कोअर एलिमेंटस्' (केंद्रीय घटक) के अंतर्गत की है। |
− | १. स्वाधीनता के आंदोलन का इतिहास ( हिस्टरी ऑफ इंडियाज फ्रीड़म मुव्हमेंट )
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− | २. भारतीय संवैधानिक जिम्मेदारियाँ ( कॉन्स्टिटयूशनल ऑब्लिगेशनस् )
| + | १९८६ की शिक्षा नीति के अनुसार यह कोअर एलिमेंटस् १० थे। २००६ में इन में तीन और जोडे गये। इस लिये इन कोअर एलिमेंटस् की संख्या अब १३ हो गई है। यह कोअर एलिमेंटस् निम्न हैं: |
− | ३. राष्ट्रीय पहचान के लिये आवश्यक बातें ( कंटेंट इसेंशियल टु नर्चर नॅशनल आयडेंटिटी )
| + | # स्वाधीनता के आंदोलन का इतिहास ( हिस्टरी ऑफ इंडियाज फ्रीड़म मुव्हमेंट ) |
− | ४. भारतीय संस्कृति की साझी विरासत ( इंडियाज कॉमन कल्चरल हेरिटेज )
| + | # भारतीय संवैधानिक जिम्मेदारियाँ ( कॉन्स्टिटयूशनल ऑब्लिगेशनस् ) |
− | ५. समानतावाद, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता ( इक्वॅलिटेरियनिझम्, डेमॉक्रेसी ऍंड सेक्युलॅरिझम् )
| + | # राष्ट्रीय पहचान के लिये आवश्यक बातें (कंटेंट इसेंशियल टु नर्चर नॅशनल आयडेंटिटी) |
− | ६. स्त्री-पुरूष समानता ( इक्वॅलिटि ऑफ सेक्सेस् )
| + | # भारतीय संस्कृति की साझी विरासत ( इंडियाज कॉमन कल्चरल हेरिटेज) |
− | ७. पर्यावरण सुरक्षा ( प्रोटेक्शन ऑफ एन्व्हिरॉनमेंट/एन्व्हॉयरमेंट )
| + | # समानतावाद, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता (इक्वॅलिटेरियनिझम्, डेमॉक्रेसी ऍंड सेक्युलॅरिझम्) |
− | ८. सामाजिक अवरोधों का निर्मूलन ( रिमूव्हल ऑफ सोशल बॅरियर्स् )
| + | # स्त्री-पुरूष समानता (इक्वॅलिटि ऑफ सेक्सेस् ) |
− | ९. छोटे कुटुम्ब का आदर्श ( ऑब्झर्व्हन्स् ऑफ स्मॉल फॅमिली नोर्म्स )
| + | # पर्यावरण सुरक्षा ( प्रोटेक्शन ऑफ एन्व्हिरॉनमेंट/एन्व्हॉयरमेंट ) |
− | १०. वैज्ञानिक दृष्टि की स्थापना ( इनकल्केशन ऑफ साईंटिफिक टेंपर )
| + | # सामाजिक अवरोधों का निर्मूलन (रिमूव्हल ऑफ सोशल बॅरियर्स्) |
− | सन २००६ में निम्न ३ कोअर एलिमेंट्स् इस में जोडे गये।
| + | # छोटे कुटुम्ब का आदर्श ( ऑब्झर्व्हन्स् ऑफ स्मॉल फॅमिली नोर्म्स ) |
− | ११. महिला और अन्य दुर्बल घटकों का सबलीकरण (एम्पॉवरमेंट ऑफ विमेन ऍंड अदर सोशल एलिमेंट्स्)
| + | # वैज्ञानिक दृष्टि की स्थापना ( इनकल्केशन ऑफ साईंटिफिक टेंपर ) |
− | १२. वैश्वीकरण और स्थानिकीकरण में मेल ( कोऑर्डिनेशन ऑफ ग्लोबलायझेशन ऍंड लोकलायझेशन )
| + | # महिला और अन्य दुर्बल घटकों का सबलीकरण (एम्पॉवरमेंट ऑफ विमेन ऍंड अदर सोशल एलिमेंट्स्) |
− | १३. बुध्दि, मन और कृति का समन्वय ( कोऑर्डिनेशन ऑफ ईन्टेलिजन्स्, इमोशन्स् एंड ऍक्शन्स् )
| + | # वैश्वीकरण और स्थानिकीकरण में मेल ( कोऑर्डिनेशन ऑफ ग्लोबलायझेशन ऍंड लोकलायझेशन) |
− | वर्तमान शिक्षा के उद्देष्यों का मूल्यांकन | + | # बुध्दि, मन और कृति का समन्वय ( कोऑर्डिनेशन ऑफ ईन्टेलिजन्स्, इमोशन्स् एंड ऍक्शन्स् ) |
− | वर्तमान में माध्यमिक के स्तर तक की शिक्षा के उद्देष्यों की प्रस्तुति कोअर एलिमेंट्स् (केंद्रीय घटकों) के माध्यम से की गई है। माध्यमिक शिक्षा तक के स्तर के पाठयक्रम और पाठयक्रमों की विषयवस्तु कोअर एलिमेंटस् के प्रकाश में ही तैयार किये जाते है, इस लिये इन कोअर एलिमेंट्स् का थोडा विश्लेषण करना आवश्यक है।
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− | इन में से कई कोअर एलिमेंट्स् ऐसे है जो अधूरे हैं, कुछ अस्पष्ट है, कुछ अंग्रेजों की मानसिक दासता के फलस्वरूप है, कुछ नकारात्मक है, कुछ जिन का अर्थ इन के निर्माताओं को भी नहीं समझता है ऐसे हैं। सामान्य मानव इन्हें ठीक से कैसे समझ सकेगा? | + | == वर्तमान शिक्षा के उद्देष्यों का मूल्यांकन == |
− | स्वाधीनता के आंदोलन का इतिहास (हिस्टरी ऑफ इंडियाज फ्रीड़म मुव्हमेंट) : इस केंद्रीय घटक के पीछे क्या कारण रहा होगा? कुछ प्रत्यक्ष पाठयक्रमों की विषयवस्तु का निरीक्षण और कुछ उस के होने वाले परिणामों से इस के चार उद्देष्य ध्यान में आते है। | + | वर्तमान में माध्यमिक के स्तर तक की शिक्षा के उद्देष्यों की प्रस्तुति कोअर एलिमेंट्स् (केंद्रीय घटकों) के माध्यम से की गई है। माध्यमिक शिक्षा तक के स्तर के पाठयक्रम और पाठयक्रमों की विषयवस्तु कोअर एलिमेंटस् के प्रकाश में ही तैयार किये जाते है, इस लिये इन कोअर एलिमेंट्स् का थोडा विश्लेषण करना आवश्यक है। |
− | - अत्यंत गौरवशाली भारतीय इतिहास को नकारना।
| + | इन में से कई कोअर एलिमेंट्स् ऐसे है जो अधूरे हैं, कुछ अस्पष्ट है, कुछ अंग्रेजों की मानसिक दासता के फलस्वरूप है, कुछ नकारात्मक है, कुछ जिन का अर्थ इन के निर्माताओं को भी नहीं समझता है ऐसे हैं। सामान्य मानव इन्हें ठीक से कैसे समझ सकेगा? |
− | - केवल काँग्रेस के स्वाधीनता संग्राम में जुटे,' वी आर ए नेशन इन द मेकिंग ' ऐसा लगने वाले नेताओं का महिमा मंडन करना। लगभग १५ वर्ष पूर्व प्रस्तुत लेखक ने ७ वीं में पढ रही एक लडकी से प्रश्न पूछा था ' स्वाधीनता किस के कारण प्राप्त हुई ?' तुरंत उत्तर आया ' गांधीजी और नेहरूजी '।
| + | |
− | - इस्लाम और ईसाई शासकों और आक्रमकों के हत्याकांडों, अत्याचारों, स्त्रियोंपर बलात्कार, गुलाम बनाकर बेचना, तलवार के बलपर इस्लामीकरण और ईसाईकरण, कत्ले आम आदि को नकारना।
| + | स्वाधीनता के आंदोलन का इतिहास (हिस्टरी ऑफ इंडियाज फ्रीड़म मुव्हमेंट) : इस केंद्रीय घटक के पीछे क्या कारण रहा होगा? कुछ प्रत्यक्ष पाठयक्रमों की विषयवस्तु का निरीक्षण और कुछ उस के होने वाले परिणामों से इस के चार उद्देष्य ध्यान में आते है: |
| + | # अत्यंत गौरवशाली भारतीय इतिहास को नकारना। |
| + | # केवल काँग्रेस के स्वाधीनता संग्राम में जुटे,' वी आर ए नेशन इन द मेकिंग ' ऐसा लगने वाले नेताओं का महिमा मंडन करना। लगभग १५ वर्ष पूर्व प्रस्तुत लेखक ने ७ वीं में पढ रही एक लडकी से प्रश्न पूछा था ' स्वाधीनता किस के कारण प्राप्त हुई ?' तुरंत उत्तर आया ' गांधीजी और नेहरूजी '। |
| + | # इस्लाम और ईसाई शासकों और आक्रमकों के हत्याकांडों, अत्याचारों, स्त्रियोंपर बलात्कार, गुलाम बनाकर बेचना, तलवार के बलपर इस्लामीकरण और ईसाईकरण, कत्ले आम आदि को नकारना। |
| - एक आभासी साझी संस्कृति को जन्म देना। | | - एक आभासी साझी संस्कृति को जन्म देना। |
| देश का जो भी संविधान है उसका उचित आदर तो सभी से अपेक्षित है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं की संविधान आलोचना से ऊपर माना जाने लगे। १०० से अधिक बार जिसमें संशोधन करने की आवश्यकता निर्माण हुई उसे पवित्र नहीं माना जा सकता। भारतीय संसद भी इसे पवित्र नहीं मानती। भारतीय संवैधानिक जिम्मेदारियाँ (कॉन्स्टिटयूशनल ऑब्लिगेशनस्) : जिस संविधान में औसतन प्रतिवर्ष लगभग दो बार संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई उस के द्वारा प्रतिपादित संवैधानिक जिम्मेदारियों के पालन की गुहार दी गई है। यह संविधान मूलत: भारतीय जीवनदृष्टिपर आधारित नहीं है। संविधान में पूरा बल अधिकारोंपर ही दिया गया है। अंग्रेजी शासन के गव्हर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ऐक्ट आदि अंग्रेजों ने भारतपर शासन करने के लिए बनाए अन्यान्य कानूनों से बहुत बड़ा हिस्सा इस संविधान में लिया गया है। भारतीय दृष्टि से तो धर्म सर्वोपरी होता है। इस संविधान में धर्म को कोई स्थान नहीं है। | | देश का जो भी संविधान है उसका उचित आदर तो सभी से अपेक्षित है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं की संविधान आलोचना से ऊपर माना जाने लगे। १०० से अधिक बार जिसमें संशोधन करने की आवश्यकता निर्माण हुई उसे पवित्र नहीं माना जा सकता। भारतीय संसद भी इसे पवित्र नहीं मानती। भारतीय संवैधानिक जिम्मेदारियाँ (कॉन्स्टिटयूशनल ऑब्लिगेशनस्) : जिस संविधान में औसतन प्रतिवर्ष लगभग दो बार संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई उस के द्वारा प्रतिपादित संवैधानिक जिम्मेदारियों के पालन की गुहार दी गई है। यह संविधान मूलत: भारतीय जीवनदृष्टिपर आधारित नहीं है। संविधान में पूरा बल अधिकारोंपर ही दिया गया है। अंग्रेजी शासन के गव्हर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ऐक्ट आदि अंग्रेजों ने भारतपर शासन करने के लिए बनाए अन्यान्य कानूनों से बहुत बड़ा हिस्सा इस संविधान में लिया गया है। भारतीय दृष्टि से तो धर्म सर्वोपरी होता है। इस संविधान में धर्म को कोई स्थान नहीं है। |