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आचार (संस्कृतः आचारः) को धर्म का मूलाधार, मानव-चरित्र का दर्पण, समाज-व्यवस्था का नियामक तथा आध्यात्मिक विकास का साधन बताया गया है। स्मृतियों में यह स्पष्ट रूप से व्यक्त है कि आचार केवल किसी व्यक्ति के बाहरी कर्मों का समूह नहीं, अपितु उसके चरित्र, सद्बुद्धि, समाजबोध और आत्मानुशासन का सम्मिलित रूप है।
== परिचय॥ Introduction ==
== परिभाषा ==
== उद्धरण ==
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