वास्तुशास्त्र के स्वरूप को समझने के लिये वास्तुपुरुष के उद्भव की कथा जानना चाहिये। वास्तुपुरुष की उत्पत्ति के विषय में अनेक प्रसंग प्रचलित हैं। बृहत्संहिता के वास्तुविद्या अध्याय में वराहमिहिर जी ने वर्णन किया है कि -<blockquote>किमपि किल भूतमभवद्रुन्धनं रोदसी शरीरेण। तदमरगणेन सहसा विनिगृह्याधेमुखं न्यस्तम्॥ | वास्तुशास्त्र के स्वरूप को समझने के लिये वास्तुपुरुष के उद्भव की कथा जानना चाहिये। वास्तुपुरुष की उत्पत्ति के विषय में अनेक प्रसंग प्रचलित हैं। बृहत्संहिता के वास्तुविद्या अध्याय में वराहमिहिर जी ने वर्णन किया है कि -<blockquote>किमपि किल भूतमभवद्रुन्धनं रोदसी शरीरेण। तदमरगणेन सहसा विनिगृह्याधेमुखं न्यस्तम्॥ |