Changes

Jump to navigation Jump to search
सुधार जारी
Line 85: Line 85:  
*स्वामी अमात्यादि सभी अंगों में परस्पर सहयोग, समन्वय तथा सामञ्जस्य से राज्य को परिपूर्ण माना गया है।
 
*स्वामी अमात्यादि सभी अंगों में परस्पर सहयोग, समन्वय तथा सामञ्जस्य से राज्य को परिपूर्ण माना गया है।
 
*राज्य के इन सात अंगों के अन्तर्गत यदि किसी एक में भी विकार आ जाए तो राज्य का पतन निश्चित है।
 
*राज्य के इन सात अंगों के अन्तर्गत यदि किसी एक में भी विकार आ जाए तो राज्य का पतन निश्चित है।
 +
राज्य का सप्तांग सिद्धान्त राज्य के आधुनिक सिद्धान्त से मेल नहीं खाता है और भिन्न है। आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार राज्य के चार तत्व होते हैं। जैसे - जनसंख्या (population), भू-भाग (Territory), सरकार (Government) एवं संप्रभुता (Sovereignty)। प्रो० गार्नर ने आज्ञाकारिता (Obedience) को पांचवा तत्व माना है। किन्तु यह आलोचना पूर्णतः सही नहीं है। कौटिल्य द्वारा प्रतिपादित सप्तांग सिद्धान्त के अन्तर्गत उल्लिखित जनपद में आधुनिक राज्य केदो तत्व जनसंख्या तथा भू-भाग सम्मिलित हैं। स्वामी, अमात्य तथा सेना मिलकर शासन का संगठन करते हैं और सम्प्रभुता राजा में पायी जाती है। इस प्रकार, राज्य के आधुनिक चारों तत्वों की उपस्थिति कौटिल्य के सप्तांग सिद्धान्त में पायी जाती ह्हैं। इनके अतिरिक्त कौटिल्य ने दुर्ग, कोष तथा मित्र का भी राज्य के आवश्यक तत्वों के रूप में उल्लेख किया है।
    
==निष्कर्श==
 
==निष्कर्श==
1,239

edits

Navigation menu