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==परिचय==
 
==परिचय==
वर्तमान समय में भारत ही नहीं अपितु विश्व के समग्र देशों में एक जैसे वारों का ही निर्विवाद स्वरूप में प्रचलन है जिन्हैं हम भारत वर्ष में रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार एवं शनिवार के नाम से तथा अन्य देशों में  उनके अपने देशज पृथक्-पृथक् नामों से जानते हैं। परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से वारों  की उत्पत्ति का स्थान, विकास, क्रम तथा स्वीकार्यता अत्यन्त विवादित रही है। क्योंकि विश्व की कुछ सभ्यताओं में वारों की संख्या दस तो कुछ में तीस भी रही है। परन्तु जिन देशों और सभ्यताओं में वारों की संख्या दस अथवा तीस दिनों की रही है उन्होंने भी अपने व्यवहार एवं गणना में संशोधन करके वारक्रम एवं संख्या को ठीक कर लिया है तथा आज पूरे विश्व में भारतीय ऋषियों द्वारा स्थापित वारक्रम ही स्वीकृत एवं प्रचलित है।
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वर्तमान समय में भारत ही नहीं अपितु विश्व के समग्र देशों में एक जैसे वारों का ही निर्विवाद स्वरूप में प्रचलन है जिन्हैं हम भारत वर्ष में रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार एवं शनिवार के नाम से तथा अन्य देशों में  उनके अपने देशज पृथक्-पृथक् नामों से जानते हैं। परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से वारों  की उत्पत्ति का स्थान, विकास, क्रम तथा स्वीकार्यता अत्यन्त विवादित रही है। क्योंकि विश्व की कुछ सभ्यताओं में वारों की संख्या दस तो कुछ में तीस भी रही है। परन्तु जिन देशों और सभ्यताओं में वारों की संख्या दस अथवा तीस दिनों की रही है उन्होंने भी अपने व्यवहार एवं गणना में संशोधन करके वारक्रम एवं संख्या को ठीक कर लिया है तथा आज पूरे विश्व में भारतीय ऋषियों द्वारा स्थापित वारक्रम ही स्वीकृत एवं प्रचलित है। वन मान अर्थात् पृथ्वी के दिन के अनुसार सात वार होते हैं-<blockquote>अथ सावनमानेन वाराः सप्तप्रकीर्तिताः।(पुलस्तसिद्धान्तः)</blockquote>सावन दिन का अर्थ है अपने क्षितिज का दिन-<blockquote>उदयादुदयं भानोर्भूमि सावन वासरः।(सूर्यसिद्धान्तः)</blockquote>आदित्यश्चन्द्रमा भौमो बुधश्चाथ बृहस्पतिः। शुक्रः शनैश्चरश्चैव वासराः परिकीर्तिताः॥(मूहूर्त गणपति)
 
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सावन मान अर्थात् पृथ्वी के दिन के अनुसार सात वार होते हैं-
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अथ सावनमानेन वाराः सप्तप्रकीर्तिताः।(पुलस्तसिद्धान्तः)
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सावन दिन का अर्थ है अपने क्षितिज का दिन-
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उदयादुदयं भानोर्भूमि सावन वासरः।(सूर्यसिद्धान्तः)
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आदित्यश्चन्द्रमा भौमो बुधश्चाथ बृहस्पतिः। शुक्रः शनैश्चरश्चैव वासराः परिकीर्तिताः॥(मूहूर्त गणपति)
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वार शब्द के शास्त्रों में अनेक समानार्थक शब्द प्राप्त होते हैं जो कि इस प्रकार हैं-
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अहन् , घस्र, दिन, दिवस, वासर और दिवा आदि।
      
==परिभाषा==
 
==परिभाषा==
सुखं वासयति जनान् इति वासरः।(आप्टे)
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वार शब्द के शास्त्रों में अनेक समानार्थक शब्द प्राप्त होते हैं जो कि इस प्रकार हैं-<blockquote>सुखं वासयति जनान् इति वासरः।(आप्टे) अहन् , घस्र, दिन, दिवस, वासर और दिवा आदि।</blockquote>
    
==वारों के भेद==
 
==वारों के भेद==
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