निद्रावस्था में हमारी मानसिक वृत्तियाँ सर्वथा निस्तेज नहीं हो जातीं। हाँ, जागृत अवस्था में जो शृंघला मानसिक वृत्तियों में देखी जाती है, वह अवश्य नष्ट हो जाती है। नाना प्रकार की अद्भुत चिन्ताएँ और दृश्य मन में उत्पन्न होते हैं, यही स्वप्न है। शास्त्रकार जिसे सुषुप्ति कहते हैं, निद्रा की उस प्रगाढ अवस्था में स्वप्न दिखलाई नहीं देते।<ref>डॉ० गिरीन्द्र शेखर, [https://ia801203.us.archive.org/33/items/in.ernet.dli.2015.539358/2015.539358.Swapna-Vigyan.pdf स्वप्न विज्ञान], सन 1942, किताब-महल, प्रयागराज (पृ० 14)।</ref> मुख्यतः स्वप्न सात प्रकार के होते हैं - | निद्रावस्था में हमारी मानसिक वृत्तियाँ सर्वथा निस्तेज नहीं हो जातीं। हाँ, जागृत अवस्था में जो शृंघला मानसिक वृत्तियों में देखी जाती है, वह अवश्य नष्ट हो जाती है। नाना प्रकार की अद्भुत चिन्ताएँ और दृश्य मन में उत्पन्न होते हैं, यही स्वप्न है। शास्त्रकार जिसे सुषुप्ति कहते हैं, निद्रा की उस प्रगाढ अवस्था में स्वप्न दिखलाई नहीं देते।<ref>डॉ० गिरीन्द्र शेखर, [https://ia801203.us.archive.org/33/items/in.ernet.dli.2015.539358/2015.539358.Swapna-Vigyan.pdf स्वप्न विज्ञान], सन 1942, किताब-महल, प्रयागराज (पृ० 14)।</ref> मुख्यतः स्वप्न सात प्रकार के होते हैं - |