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| '''यंत्रशिरोमणि - '''1537 शालीवाहन शक में भी श्री विश्रामपंडित द्वारा विरचित इस ग्रंथ में यंत्रों का वर्णन एवं क्रांति तथा द्युज्यापिंडों के साधनार्थ सारणियां दी गईं हैं। इनसे पूर्व के ग्रंथो में पद्मनाभ विरचित नलिकायंत्राध्याय एवं ध्रुवभ्रमयंत्र, चक्रधर दैवज्ञ विरचित यंत्रचिंतामणि , ग्रहलाघव गणेश दैवज्ञ विरचित प्रतोदयंत्र , पूर्णानन्द सरस्वती रचित नलिकाबंध , इत्यादि प्रमुख हैं। | | '''यंत्रशिरोमणि - '''1537 शालीवाहन शक में भी श्री विश्रामपंडित द्वारा विरचित इस ग्रंथ में यंत्रों का वर्णन एवं क्रांति तथा द्युज्यापिंडों के साधनार्थ सारणियां दी गईं हैं। इनसे पूर्व के ग्रंथो में पद्मनाभ विरचित नलिकायंत्राध्याय एवं ध्रुवभ्रमयंत्र, चक्रधर दैवज्ञ विरचित यंत्रचिंतामणि , ग्रहलाघव गणेश दैवज्ञ विरचित प्रतोदयंत्र , पूर्णानन्द सरस्वती रचित नलिकाबंध , इत्यादि प्रमुख हैं। |
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| + | ! खगोलविद और उनकी अवधि |
| + | !ग्रन्थ नाम |
| + | !यन्त्र एवं उनका मूल नाम |
| + | !यन्त्रों का समतुल्य नाम |
| + | |- |
| + | |आर्ष प्रोक्त |
| + | |सूर्यसिद्धान्त |
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| + | |- |
| + | |आर्यभट्ट |
| + | |आर्यभट्ट सिद्धान्त |
| + | आर्यभटीय |
| + | |चक्र यंत्र |
| + | गोला यंत्र |
| + | |डिस्क यंत्र |
| + | गोलाकार यंत्र |
| + | |- |
| + | |वराहमिहिर |
| + | |पंच सिद्धान्तिका |
| + | बृहत्संहिता |
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− | == प्राच्य एवं अर्वाचीन यन्त्र== | + | बृहज्जातक |
| + | |चक्र यंत्र |
| + | |अंगूठी यंत्र |
| + | |- |
| + | |ब्रह्मगुप्त |
| + | |ब्रह्मस्फुट सिद्धांत |
| + | खण्डनखण्डखाद्य |
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| + | |- |
| + | |लल्ला |
| + | |शिष्यधी वृद्धिदतन्त्रम् |
| + | |गोल यंत्र |
| + | भगना यंत्र |
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| + | चक्र यंत्र |
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| + | धनु यंत्र |
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| + | घटी यंत्र |
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| + | शकट यंत्र |
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| + | कर्तरी यंत्र |
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| + | शलाका यंत्र |
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| + | यष्टि यंत्र |
| + | |गोलाकार यंत्र |
| + | अंगूठी यंत्र |
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| + | डिस्क यंत्र |
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| + | धनुष एवं बाण यंत्र |
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| + | समय पोत |
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| + | दो धुरी वाली छडें |
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| + | सिजोर यंत्र |
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| + | सुई यंत्र |
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| + | छडी यंत्र |
| + | |- |
| + | |श्रीपति |
| + | |ज्योतिष रत्नमाला |
| + | सिद्धान्त शेखर |
| + | |शलाका यंत्र |
| + | |सुई यंत्र |
| + | |- |
| + | | भास्कराचार्य |
| + | |सिद्धान्तशिरोमणि |
| + | लीलावती |
| + | |
| + | बीजगणित |
| + | |
| + | करणकुतूहल |
| + | |चक्र यंत्र |
| + | चाप यंत्र |
| + | |
| + | यष्टि यंत्र |
| + | |
| + | गोल यंत्र |
| + | |डिस्क यंत्र |
| + | अर्धवृत्ताकार छडी यंत्र |
| + | |
| + | गोलाकार इंस्ट्र० |
| + | |- |
| + | |गणेश दयवाण्य |
| + | |ग्रहलाघव |
| + | सुधीरंजनी |
| + | |
| + | तर्जनीयंतरम |
| + | |जालतनालिक यंत्र |
| + | |स्टार प्रोजिशनिंग यंत्र |
| + | |} |
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| + | ==प्राच्य एवं अर्वाचीन यन्त्र== |
| ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत वेध-यन्त्र द्वारा वेध करने की प्रक्रिया अतिप्राचीन काल से रही है। ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन व अर्वाचीन आचार्यों ने विविध यन्त्रों का उपयोग अपने-अपने कालखण्डों में विधिवत् किया है। अतः प्राचीन काल खण्ड में वेध के लिये प्रयोग किये गये यन्त्र को प्राचीन तथा अर्वाचीन वाले वर्तमान यन्त्र के रूप में जाने जाते हैं - | | ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत वेध-यन्त्र द्वारा वेध करने की प्रक्रिया अतिप्राचीन काल से रही है। ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन व अर्वाचीन आचार्यों ने विविध यन्त्रों का उपयोग अपने-अपने कालखण्डों में विधिवत् किया है। अतः प्राचीन काल खण्ड में वेध के लिये प्रयोग किये गये यन्त्र को प्राचीन तथा अर्वाचीन वाले वर्तमान यन्त्र के रूप में जाने जाते हैं - |
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| इनके अतिरिक्त भी कई यन्त्र होंगे जो अप्राप्य हैं तथा वर्तमान में उपयोग में नहीं है अथवा ग्रन्थों या वेधशालाओं में द्रष्टव्य नहीं होता है। | | इनके अतिरिक्त भी कई यन्त्र होंगे जो अप्राप्य हैं तथा वर्तमान में उपयोग में नहीं है अथवा ग्रन्थों या वेधशालाओं में द्रष्टव्य नहीं होता है। |
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− | ===आधुनिक यंत्र === | + | ===आधुनिक यंत्र=== |
| आधुनिक यन्त्रों में निम्न यन्त्रों के नाम आते हैं - आधुनिक कम्पास यन्त्र, आधुनिक नलिका यन्त्र, आधुनिक तारा मण्डप, आधुनिक ग्लोब यन्त्र, आधुनिक बायनाकूल व चित्रालग्नमापक यन्त्र, आधुनिक टेलिस्कोप यन्त्र। इसके अतिरिक्त भी कई अत्याधुनिक यन्त्र भी हैं जो ग्रहों की जानकारी अथवा अन्तरिक्ष की जानकारी में नासा द्वारा प्रयोग किये जाते हैं। उन सबका यहाँ उल्लेख करना सम्भव नहीं है। | | आधुनिक यन्त्रों में निम्न यन्त्रों के नाम आते हैं - आधुनिक कम्पास यन्त्र, आधुनिक नलिका यन्त्र, आधुनिक तारा मण्डप, आधुनिक ग्लोब यन्त्र, आधुनिक बायनाकूल व चित्रालग्नमापक यन्त्र, आधुनिक टेलिस्कोप यन्त्र। इसके अतिरिक्त भी कई अत्याधुनिक यन्त्र भी हैं जो ग्रहों की जानकारी अथवा अन्तरिक्ष की जानकारी में नासा द्वारा प्रयोग किये जाते हैं। उन सबका यहाँ उल्लेख करना सम्भव नहीं है। |
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| '''ज्योतिषीय यंत्र निर्माण (पाषण-यंत्र)''' | | '''ज्योतिषीय यंत्र निर्माण (पाषण-यंत्र)''' |
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− | # सम्राट यन्त्र, राशि-वलय यंत्र, क्रान्ति-यंत्र, दिगंश-यन्त्र, चक्र-यन्त्र, षष्ठांश यंत्र, कपाली-यंत्र, ज्योतिष यंत्र निर्माण | + | #सम्राट यन्त्र, राशि-वलय यंत्र, क्रान्ति-यंत्र, दिगंश-यन्त्र, चक्र-यन्त्र, षष्ठांश यंत्र, कपाली-यंत्र, ज्योतिष यंत्र निर्माण |
− | # ध्रुव-दर्शक यंत्र, कान्तिवृत्त यंत्र, उन्नतांश यंत्र, याम्योत्तर वृत्त यंत्र, राशि यंत्र, धूपघटिका यंत्र | + | #ध्रुव-दर्शक यंत्र, कान्तिवृत्त यंत्र, उन्नतांश यंत्र, याम्योत्तर वृत्त यंत्र, राशि यंत्र, धूपघटिका यंत्र |
− | # उक्त यंत्रों के मांडल यंत्र - पीतल, ताम्बा एवं लकडी आदि से निर्माण किया जाता है। | + | #उक्त यंत्रों के मांडल यंत्र - पीतल, ताम्बा एवं लकडी आदि से निर्माण किया जाता है। |
| + | खगोलशास्त्री लल्ल ने अपने शिष्यधीवृद्धिदतन्त्रम् ग्रन्थ में वाद्यतंत्र का वर्णन किया है - |
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| + | गोलो भगणश्चक्रं धनघटी शंकशकटकर्तयः। पीष्टक पालशलाका द्वादशयन्त्राणिसह यष्टया॥ (शिष्यधी वृद्धिद) |
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| ==सारांश== | | ==सारांश== |