पाश्चात्य (आधुनिक) मत में यह सर्वविदित है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है यह सिद्धान्त अथवा भू-भ्रमण सिद्धान्त सर्वप्रथम कोपरनिकस द्वारा दिया गया था। जबकि यह सत्य नहीं है। आपने पूर्व में ही यह अध्ययन कर लिया है
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पाश्चात्य (आधुनिक) मत में यह सर्वविदित है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है यह सिद्धान्त अथवा भू-भ्रमण सिद्धान्त सर्वप्रथम कोपरनिकस द्वारा दिया गया था। जबकि यह सत्य नहीं है। आपने पूर्व में ही यह अध्ययन कर लिया है कि भू-भ्रमण का सिद्धान्त आर्यभट्ट ने तीसरी-चौथी शताब्दी में ही अपने ग्रन्थ आर्यभट्टीयम् में प्रतिपादित कर दिया था। अर्थात् कोपरनिकस से लगभग १००० वर्ष पूर्व ही यह भू-भ्रमण का सिद्धान्त भारतवर्ष में आर्यभट्ट द्वारा प्रतिपादित किया जा चुका था। यूरोप का एक देश पोलैण्ड में जन्में निकोलस कोपरनिकस (१९ फरवरी १४७३- २४ मई १५४३) पोलिश खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे जिन्होंने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केन्द्र से बाहर माना, यानी हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल को लागू किया। इसके पहले पूरा युरोप अरस्तू की अवधारणा पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र थी और सूर्य, तारे तथा दूसरे पिंड उसके चारों ओर चक्कर लगाते थे।
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१५३० में कोपरनिकस की किताब डी रिवोलूशन्स (De Revolutionibus) प्रकाशित हुई जिसमें उसने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है। कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिये प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।