किसी मनुष्य के जन्मकालीन लग्न द्वारा उसके जीवन के सम्पूर्ण सुख-दुख का निर्णय पहले ही कर देना होरा स्कन्ध का सामान्यतः मूल स्वरूप है। होरा स्कन्ध को जातक स्कन्ध भी कहा जाता है। कालान्तर में इसके भी दो भाग हो गए। जातक सम्बन्धी विषय जिसमें आया वह जातक कहलाया और दूसरा भाग ताजिक हुआ। ज्योतिष शास्त्र का जो स्कन्ध कुण्डलियों का निर्माण करता है और जो व्यक्ति विशेष से सम्बन्धित है वह होराशास्त्र या जातक के नाम से विख्यात है।
== परिभाषा ==
== परिभाषा ==
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बृहज्जातक में आया है कि कुछ लोगों के मत से होरा, अहोरात्र शब्द के पहले एवं अंतिम अक्षरों को निकाल देने से बना है। होराशास्त्र पूर्वजन्मों में किए गए अच्छे या बुरे फलों को भली-भाँति व्यक्त करता है।<blockquote>होरेत्यहोरात्रविकल्पमेके वाञ्छन्ति पूर्वापरवर्णलोपात्।</blockquote>होरा शब्द की व्युत्पत्ति अहोरात्र शब्द से अ और त्र हटाने के बाद होरा शब्द बनता है। बृहज्जातक में वराहमिहिर ने दो बातों पर विशेष बल दिया है-