Changes

Jump to navigation Jump to search
1,585 bytes added ,  15:00, 10 January 2023
m
Line 1: Line 1: −
काल गणनामें कल्प, मन्वन्तर, युगादि के पश्चात् संवत्सरका नाम आता है। गणना पद्धति के अन्तर्गत समय मापने की छोटी-बडी इकाइयों का निर्धारण व इन इकाइयों के लिये ग्रहों,नक्षत्रों, चन्द्र, सूर्य की चालों का अध्ययन आवश्यक है। इस कार्य को खगोलशास्त्रियों व पंचांग निर्माताओं द्वारा किया जाता है। इस प्रकार निर्धारित की गई गणना पद्धति को आधार मानते हुये, किसी भी स्मरणीय घटना से वर्षों की गिनती आरम्भ कर देना तथा इस गणना को एक नाम दे देना संवत् कहलाता है।
+
संवत् भारतीय कालगणना की वर्ष ज्ञान के लिये एक बृहद् इकाई है। भारतवर्ष में अनेक संवत् प्रचलित हैं। काल गणनामें कल्प, मन्वन्तर, युगादि के पश्चात् संवत्सरका नाम आता है। गणना पद्धति के अन्तर्गत समय मापने की छोटी-बडी इकाइयों का निर्धारण व इन इकाइयों के लिये ग्रहों,नक्षत्रों, चन्द्र, सूर्य की चालों का अध्ययन आवश्यक है। इस कार्य को खगोलशास्त्रियों व पंचांग निर्माताओं द्वारा किया जाता है। इस प्रकार निर्धारित की गई गणना पद्धति को आधार मानते हुये, किसी भी स्मरणीय घटना से वर्षों की गिनती आरम्भ कर देना तथा इस गणना को एक नाम दे देना संवत् कहलाता है। मुख्यतः राजाओं तथा धार्मिक आचार्यों के द्वारा संवत् प्रारंभ हुये हैं। गणना पद्धति के निर्माता व उसको विकसित करने वाले व्यक्ति व संवत् प्रारंभ करने वाले व्यक्ति  अलग-अलग हैं। यह आवश्यक नहीं संवत् आरम्भ करने वाले इन राजाओं आदि को गणना-पद्धति का बहुत सूक्ष्मता से ज्ञान था वरन् ये लोक प्रसिद्ध थे और इनके जीवन की घटनायें इतनी महत्त्वपूर्ण थी कि सदियों तक उनकी स्मृति लोगों में बनी रही तथा ये प्रसिद्ध राजा व व्यक्तित्व विशेष संवत् के आरम्भ करता रहे हैं।
    
==परिचय==
 
==परिचय==
 
==परिभाषा==
 
==परिभाषा==
संवसन्ति ऋतवोऽत्र संवस्-सरन्  इति सः संवत्सरः।(आप्टे)<ref>आप्टे शब्दकोष १।२।४</ref>
+
संवसन्ति वर्षाणि संवस्-सरन्  इति सः संवत्।(आप्टे)<ref>आप्टे शब्दकोष १।२।४</ref>
 
==भारतीय एवं विदेशी संवत्==
 
==भारतीय एवं विदेशी संवत्==
काल गणनामें युगादि के भेदसे सत्ययुग में ब्रह्म-संवत् , त्रेतामें वामन-संवत् ,परशुराम-संवत् (सहस्रार्जुन वधसे) तथा श्रीराम-संवत् (रावण-विजयसे), द्वापरमें युधिष्ठिर-संवत् और कलिमें विक्रम-संवत्, शक संवत् आदि इन संवतों के अतिरिक्त अनेक राजाओं तथा सम्प्रदायाचार्योंके नामपर संवत् चलाये गये हैं। भारतीय संवतोंके अतिरिक्त विश्वमें और भी धर्मोंके संवत् हैं। तुलना के लिये उनमेंसे प्रधान-प्रधानकी तालिका दी जा रही है-
+
काल गणनामें युगादि के भेदसे सत्ययुग में ब्रह्म-संवत् , त्रेतामें वामन-संवत् ,परशुराम-संवत् (सहस्रार्जुन वधसे) तथा श्रीराम-संवत् (रावण-विजयसे), द्वापरमें युधिष्ठिर-संवत् और कलिमें विक्रम-संवत्, शक संवत् आदि इन संवतों के अतिरिक्त अनेक राजाओं तथा सम्प्रदायाचार्योंके नामपर संवत् चलाये गये हैं। भारतीय संवतोंके अतिरिक्त विश्वमें और भी धर्मोंके संवत् हैं। तुलना के लिये उनमेंसे प्रधान-प्रधानकी तालिका दी जा रही है-वर्ष ईस्वी सन् १९४९ को मानक मानते हुये निम्न गणना की गयी है।
 
{| class="wikitable"
 
{| class="wikitable"
 
|+(संवत् सारिणी)<ref>राधेश्याम खेमका, हिन्दू-संस्कृति-अंक, हिन्दू संवत् वर्ष मास और वार, श्रीदेवकी नंदनजी खेडवाल, सन् २०१९, (पृ०८६२)।</ref>
 
|+(संवत् सारिणी)<ref>राधेश्याम खेमका, हिन्दू-संस्कृति-अंक, हिन्दू संवत् वर्ष मास और वार, श्रीदेवकी नंदनजी खेडवाल, सन् २०१९, (पृ०८६२)।</ref>
928

edits

Navigation menu