इस संस्कार को आगे आने वाले के काल में भारतीय परंपरा में सम्मिलित किया जाना चाहिए । कौटिल्य के अर्थशास्त्र इस पर कुछ प्रकाश डालते है। याज्ञवल्क्य स्मृति मे इसकी जानकारी संस्कार प्रकाश में जानकारी मिलती है। लेकिन आश्चर्यकी बात है गुहासूक्त और धर्मसूत्र में कोई जानकारी नहीं है। शायद यह संस्कार शुरू होने वाला है क्योंकि उपनयन/मुंजिक से पहले घर पर दी जाने वाली औपचारिक शिक्षा के लिए ऐसा होना चाहिए , क्योंकि समाज के सभी बच्चे शिक्षा के लिए गुरुगृह नहीं जाते हैं। | इस संस्कार को आगे आने वाले के काल में भारतीय परंपरा में सम्मिलित किया जाना चाहिए । कौटिल्य के अर्थशास्त्र इस पर कुछ प्रकाश डालते है। याज्ञवल्क्य स्मृति मे इसकी जानकारी संस्कार प्रकाश में जानकारी मिलती है। लेकिन आश्चर्यकी बात है गुहासूक्त और धर्मसूत्र में कोई जानकारी नहीं है। शायद यह संस्कार शुरू होने वाला है क्योंकि उपनयन/मुंजिक से पहले घर पर दी जाने वाली औपचारिक शिक्षा के लिए ऐसा होना चाहिए , क्योंकि समाज के सभी बच्चे शिक्षा के लिए गुरुगृह नहीं जाते हैं। |