2,583 bytes added
, 20:56, 17 January 2022
==== <big>वसिष्ठ</big> ====
ऋग्वेद के सप्तम मण्डल के द्रष्टाऋषि, जो यज्ञ प्रक्रिया के प्रथम ज्ञाता थे। वसिष्ठ सूर्यवंश के कुलगुरु थे। उन्होंने ब्रह्मा की आज्ञा से इस वंश का पौरोहित्य स्वीकार किया था। अपने तपोबल से रघुवंश के चक्रवर्ती नरेशों- दिलीप, रघु, रामचन्द्र आदि की श्रीवृद्धि की और अनेक संकटो से सूर्यवंश की रक्षा की। मध्य में एक बार कोई योग्य शासक न रहने पर उन्होंने राज्य-व्यव्स्था की भी स्वयं देखभाल की और उचित समय पर राज्य के उत्तराधिकारी को शासन सौंप दिया। वसिष्ठ के पास नन्दिनी नाम की एक कामधेनु थी जिसे हठात् बलपूर्वक प्राप्त करने के लिए विश्वामित्र ने वसिष्ठ से संघर्ष किया। विश्वामित्र ने क्षात्रतेज की तुलना में ब्रह्मतेज की श्रेष्ठता अनुभव की और राजपद त्याग कर तपस्या करके तपोबल से वसिष्ठ को हराने का प्रयत्न बहुत समय तक करते रहे। किन्तु अन्तत: उन्होंने अपनी भूल स्वीकार कर ली। वसिष्ठ ब्राह्मणत्व के आदर्श हैं। विश्वामित्र के हाथों अपने सौ पुत्रों के मारे जाने पर भी उनके मन में कोई विकार उत्पन्न नहीं हुआ। अरुन्धती वसिष्ठ जी की पत्नी हैं, जो उनके साथ सप्तर्षि—मंडल में स्थित हैं।