भद्र देश के राजा अश्वपति के यहां पुत्री के रूप में सर्वगुण सम्पन्न सावित्री का जन्म हुआ। राजकन्या ने धुमत्सेन के पुत्र सत्यवान की सुनकर उसे अपने पति रूप में वरण कर लिया। इधर जब यह बात देवऋषि नारदजी को पता चली तो वे अश्वपति से जाकर कहने लगे-आपकी कन्या ने वर खोजने में निःसन्देह भूल की है। नि:संदेह सत्यावान गुणवान और धर्मात्मा है किन्तु वह अल्पायु है। एक वर्ष के पश्चात् ही उसकी मृत्यु हो जायेगी। नारदजी की यह बात सुनकर राजा अश्वपति का चेहरा विर्वज हो गया। | भद्र देश के राजा अश्वपति के यहां पुत्री के रूप में सर्वगुण सम्पन्न सावित्री का जन्म हुआ। राजकन्या ने धुमत्सेन के पुत्र सत्यवान की सुनकर उसे अपने पति रूप में वरण कर लिया। इधर जब यह बात देवऋषि नारदजी को पता चली तो वे अश्वपति से जाकर कहने लगे-आपकी कन्या ने वर खोजने में निःसन्देह भूल की है। नि:संदेह सत्यावान गुणवान और धर्मात्मा है किन्तु वह अल्पायु है। एक वर्ष के पश्चात् ही उसकी मृत्यु हो जायेगी। नारदजी की यह बात सुनकर राजा अश्वपति का चेहरा विर्वज हो गया। |