इस अधार्मिक (अधार्मिक) प्रतिमान की आधारभूत जीवनदृष्टि में तीन बातें जड़़ में हैं। व्यक्तिकेंद्रितता, इहवादिता और जड़वादिता। व्यक्तिकेंद्रितता का व्यावहारिक स्वरूप स्वार्थ-केन्द्रितता है। इन बातों के कारण जीवन के विभिन्न विषयों की ओर देखने की दृष्टि यांत्रिक हो जाती है। विखंडित हो जाती है। जीवन को हम टुकड़ों में बाँटकर ही विचार करते हैं। इकोनोमिक्स का, सोशोलोजी का नैतिकता से सम्बन्ध नहीं है ऐसा सीखते सिखाते है। शुद्ध विज्ञान और प्रायोगिक या उपयोजित विज्ञान को याने तन्त्रज्ञान को दो अलग विषय मानते हैं। शुद्ध विज्ञान के विशेषज्ञ मानते हैं कि हमारा काम तो तन्त्रज्ञान का प्रयोगसिद्ध सैद्धांतिक पक्ष उजागर करना है। उसका उपयोग लोग पुष्पहार के लिए करेट हैं या नरसंहार के लिए करेट हैं यह देखना हमारा काम नहीं है। वैज्ञानिकों ने रासायनिक उत्पादों के बनाने की ऐसी प्रक्रियाएँ विकसित की हैं जो साथ में प्रदूषण भी पैदा करती हों। उनका उपयोग करना या नहीं करना, करना हो तो कैसे करना यह लोगोंं के विचार करने की बातें मानी जातीं हैं। उससे वैज्ञानिकों का कोई लेना देना नहीं है। इस विचार प्रक्रिया ने ही विश्व को भीषण व्यापक प्रदूषण और विनाश की कगारपर लाकर खडा कर दिया है। | इस अधार्मिक (अधार्मिक) प्रतिमान की आधारभूत जीवनदृष्टि में तीन बातें जड़़ में हैं। व्यक्तिकेंद्रितता, इहवादिता और जड़वादिता। व्यक्तिकेंद्रितता का व्यावहारिक स्वरूप स्वार्थ-केन्द्रितता है। इन बातों के कारण जीवन के विभिन्न विषयों की ओर देखने की दृष्टि यांत्रिक हो जाती है। विखंडित हो जाती है। जीवन को हम टुकड़ों में बाँटकर ही विचार करते हैं। इकोनोमिक्स का, सोशोलोजी का नैतिकता से सम्बन्ध नहीं है ऐसा सीखते सिखाते है। शुद्ध विज्ञान और प्रायोगिक या उपयोजित विज्ञान को याने तन्त्रज्ञान को दो अलग विषय मानते हैं। शुद्ध विज्ञान के विशेषज्ञ मानते हैं कि हमारा काम तो तन्त्रज्ञान का प्रयोगसिद्ध सैद्धांतिक पक्ष उजागर करना है। उसका उपयोग लोग पुष्पहार के लिए करेट हैं या नरसंहार के लिए करेट हैं यह देखना हमारा काम नहीं है। वैज्ञानिकों ने रासायनिक उत्पादों के बनाने की ऐसी प्रक्रियाएँ विकसित की हैं जो साथ में प्रदूषण भी पैदा करती हों। उनका उपयोग करना या नहीं करना, करना हो तो कैसे करना यह लोगोंं के विचार करने की बातें मानी जातीं हैं। उससे वैज्ञानिकों का कोई लेना देना नहीं है। इस विचार प्रक्रिया ने ही विश्व को भीषण व्यापक प्रदूषण और विनाश की कगारपर लाकर खडा कर दिया है। |