जिसकी भाषा अधिक विकसित होती है उसकी अभिव्यक्ति भी उतनी ही सक्षम होती है । शायद इसीलिये तैत्तिरिय उपनिषद की शिक्षा वल्ली में भाषा को ही शिक्षा कहा गया होगा। इस से यह समझ में आता है की संवाद की गुणवत्ता के लिये भाषा का महत्व कितना अनन्यसाधारण है । वास्तव में वैखरी से लेकर परा तक का विकास भाषा विकास में अपेक्षित है। यही वह विकास है जिससे मनुष्य अपने लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। लेकिन स्खलन की अत्यंत निम्न अवस्था के कारण वैखरी से आगे की अभिव्यक्ति का विचार अर्थात् परा, पश्यन्ति और मध्यमा का विचार वर्तमान में बहुत आगे का विचार होगा । अतएव उन का विचार हमें आगे जाकर करना ही है। वर्तमान में सामान्य मनुष्य के स्तर पर हम मात्र वैखरी का विचार करेंगे। | जिसकी भाषा अधिक विकसित होती है उसकी अभिव्यक्ति भी उतनी ही सक्षम होती है । शायद इसीलिये तैत्तिरिय उपनिषद की शिक्षा वल्ली में भाषा को ही शिक्षा कहा गया होगा। इस से यह समझ में आता है की संवाद की गुणवत्ता के लिये भाषा का महत्व कितना अनन्यसाधारण है । वास्तव में वैखरी से लेकर परा तक का विकास भाषा विकास में अपेक्षित है। यही वह विकास है जिससे मनुष्य अपने लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। लेकिन स्खलन की अत्यंत निम्न अवस्था के कारण वैखरी से आगे की अभिव्यक्ति का विचार अर्थात् परा, पश्यन्ति और मध्यमा का विचार वर्तमान में बहुत आगे का विचार होगा । अतएव उन का विचार हमें आगे जाकर करना ही है। वर्तमान में सामान्य मनुष्य के स्तर पर हम मात्र वैखरी का विचार करेंगे। |