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यह ग्रन्थमाला किसके लिये है इस प्रश्न का सरल उत्तर होगा “सबके लिये । फिर भी कुछ स्पष्टताओं की
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यह ग्रन्थमाला किसके लिये है इस प्रश्न का सरल उत्तर होगा “सबके लिये । तथापि कुछ स्पष्टताओं की
    
आवश्यकता है ।
 
आवश्यकता है ।
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इस ग्रन्थमाला में इसी प्रकार की भूमिका अपनाई गई है ।
 
इस ग्रन्थमाला में इसी प्रकार की भूमिका अपनाई गई है ।
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यह ग्रन्थमला कुछ विस्तृत सी लगती है फिर भी यह प्राथमिक स्वरूप का ही प्रतिपादन है ।
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यह ग्रन्थमला कुछ विस्तृत सी लगती है तथापि यह प्राथमिक स्वरूप का ही प्रतिपादन है ।
    
इस ग्रन्थमाला का कथन एक ग्रन्थ में भी हो सकता है और कोई चाहे तो आधे ग्रन्थ में भी हो सकता है परन्तु
 
इस ग्रन्थमाला का कथन एक ग्रन्थ में भी हो सकता है और कोई चाहे तो आधे ग्रन्थ में भी हो सकता है परन्तु
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ऐसा लगता है कि इन अवरोधों को पाटने के लिये
 
ऐसा लगता है कि इन अवरोधों को पाटने के लिये
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इस सामान्य जन का बहुत सहयोग प्राप्त होगा । फिर भी
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इस सामान्य जन का बहुत सहयोग प्राप्त होगा । तथापि
    
शिक्षित लोगोंं को भी साथ में तो लेना ही होगा । कारण
 
शिक्षित लोगोंं को भी साथ में तो लेना ही होगा । कारण
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तब लक्ष्मेश नामक एक आचार्य ने कहा ...
 
तब लक्ष्मेश नामक एक आचार्य ने कहा ...
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मेरे नाम में ही लक्ष्मी का नाम समाया है फिर भी मेरा
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मेरे नाम में ही लक्ष्मी का नाम समाया है तथापि मेरा
    
मत है कि केवल आर्थिक विकास ही विकास नहीं है ।
 
मत है कि केवल आर्थिक विकास ही विकास नहीं है ।

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