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शिक्षा दृष्टि  
 
शिक्षा दृष्टि  
 
शिक्षा की भारतीय दृष्टी और वर्तमान अभारतीय दृष्टी में आमूलाग्र अन्तर है| यह अन्तर जीअवन दृष्टी के अन्तर के कारण है| जीवन के लक्ष्य की भिन्नता के कारण है|
 
शिक्षा की भारतीय दृष्टी और वर्तमान अभारतीय दृष्टी में आमूलाग्र अन्तर है| यह अन्तर जीअवन दृष्टी के अन्तर के कारण है| जीवन के लक्ष्य की भिन्नता के कारण है|
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युक्ता आयुक्ता:। अलूक्षा धर्मकामा: स्यू:। यथा ते तेषु वर्तेरन्। तथा ते तेषु वर्तेथा:। एष आदेश:। एष उपदेश:। एषा वेदोपनिषत्। एतदनुशासनम्। एवमुपासितव्यम्। एवमु चैतदुपास्यम्। याने किसी दोष से लांछित मनुष्य के साथ बर्ताव करने में शंका निर्माण हो जाए तो भी वहाँ जो परामर्श देने में कुशल, उत्तम कर्म और सदाचार में रत, स्निग्ध स्वभाववाले, एकमात्र धर्म के अभिलाषी ऐसे जो ब्राह्मण जैसा बर्ताव करते हैं तुम्हें भी वैसा ही बर्ताव करना चाहिये। यही शास्त्र की आज्ञा है। यही गुरुजनों का उपदेश है। यही वेद और उपनिषदों का आदेश है। यही परंपरागत शिक्षा है। इसी प्रकार से तुम्हें अनुष्ठान करना चाहिये।
 
युक्ता आयुक्ता:। अलूक्षा धर्मकामा: स्यू:। यथा ते तेषु वर्तेरन्। तथा ते तेषु वर्तेथा:। एष आदेश:। एष उपदेश:। एषा वेदोपनिषत्। एतदनुशासनम्। एवमुपासितव्यम्। एवमु चैतदुपास्यम्। याने किसी दोष से लांछित मनुष्य के साथ बर्ताव करने में शंका निर्माण हो जाए तो भी वहाँ जो परामर्श देने में कुशल, उत्तम कर्म और सदाचार में रत, स्निग्ध स्वभाववाले, एकमात्र धर्म के अभिलाषी ऐसे जो ब्राह्मण जैसा बर्ताव करते हैं तुम्हें भी वैसा ही बर्ताव करना चाहिये। यही शास्त्र की आज्ञा है। यही गुरुजनों का उपदेश है। यही वेद और उपनिषदों का आदेश है। यही परंपरागत शिक्षा है। इसी प्रकार से तुम्हें अनुष्ठान करना चाहिये।
 
समावर्तन सन्देश एक तरह से भारतीय शिक्षण शास्त्रीय दृष्टि का सार है|
 
समावर्तन सन्देश एक तरह से भारतीय शिक्षण शास्त्रीय दृष्टि का सार है|
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[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]
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