श्रृंगगिरेि से उद्भूत पवित्र नदी नद नेत्रावती के तट पर धर्मस्थल नामक धर्मक्षेत्र है। यहाँ का प्राचीनतम मन्दिर मंजूनाथेश्वर है। आदि शांकराचार्य ने मंजूनाथेश्वर की प्रतिष्ठा की थी, किन्तु बाद में यहाँ की उपासना पद्धति श्री मध्वाचार्य के ईत मतानुसार होने लगी। कार्तिक मास में यहाँ दीपदानोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है और असंख्य यात्री यहाँ दर्शनार्थ आते हैं। इस अवसर पर विभिन्न मतावलम्बी धर्माचायों का सम्मेलन भी होता है। मेष संक्रांति के समय श्री मंजुकेश्वरनाथ की रथयात्रा निकाली जाती हैं। | श्रृंगगिरेि से उद्भूत पवित्र नदी नद नेत्रावती के तट पर धर्मस्थल नामक धर्मक्षेत्र है। यहाँ का प्राचीनतम मन्दिर मंजूनाथेश्वर है। आदि शांकराचार्य ने मंजूनाथेश्वर की प्रतिष्ठा की थी, किन्तु बाद में यहाँ की उपासना पद्धति श्री मध्वाचार्य के ईत मतानुसार होने लगी। कार्तिक मास में यहाँ दीपदानोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है और असंख्य यात्री यहाँ दर्शनार्थ आते हैं। इस अवसर पर विभिन्न मतावलम्बी धर्माचायों का सम्मेलन भी होता है। मेष संक्रांति के समय श्री मंजुकेश्वरनाथ की रथयात्रा निकाली जाती हैं। |