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| === सीतामढ़ी === | | === सीतामढ़ी === |
− | जगज्जननी सीता का उद्भव यहीं हुआ था। यह स्थान लखनदेई | + | जगज्जननी सीता का उद्भव यहीं हुआ था। यह स्थान लखनदेई नामक नदी के तट पर स्थित है। कहते हैं एक बार मिथिला राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए एक विशाल यज्ञ थी। लक्ष्मणपुर या लखनावती इसके प्राचीन नाम है। यह नगर पवित्र किया गया। मिथिला नरेश ने स्वयं हल चलाया तो वहाँ पर एक दिव्य कन्या प्रकटहुई। सीता (हल की खड) से उत्पन्न होने के कारण उसका नाम सीता पड़ा | यहाँ सीताजी का मन्दिर बना है। जिस स्थान पर सीताजी प्रकट हुई वहाँ यज्ञवेदी बनी हुई है। |
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− | नामक नदी के तट पर स्थित है। कहते हैं एक बार मिथिला राज्य में
| + | === जनकपुर (मिथिला) === |
| + | जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला, तैरमुक्त विदेहनगर रहा। जनकपुर या मिथिला नेपाल राज्य के अन्तर्गत पड़ता है। यह मिथिला राज्य की राजधानी थी। महाराज जनक ने यहीं पर सीता स्वयंवर का आयोजन धनुष-यज्ञ के रूप में किया था। जनकपुर मेंएक प्राचीन दुर्ग के खण्डहर मिलते हैं जिसके चारों ओर शिलानाथ, कपिलेश्वर, क्षीरेश्वर तथा मिथिलेश्वर नामक प्राचीन शिव-मन्दिर हैं। गौतम, विश्वामित्र, याज्ञवल्क्य के आश्रम भी यहाँ पर थे। महाभारत युद्ध के बाद यह क्षेत्र निर्जन हो गया था। एकान्त के कारण कई सिद्ध ऋषियों ने यहाँ तपस्या की औरअक्षयवट के नीचे से राम पंचायतन की मूर्तियाँ निकलवाकर जनकपुर में प्रतिष्ठित करायीं| |
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− | भयंकर अकाल पड़ा। इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए एक विशाल यज्ञ
| + | === मधुवनी === |
− | | + | उत्तरी बिहार का अति प्राचीन नगर है। सीतामढ़ी से पूर्व की ओर स्थित इस नगर में प्राचीन मन्दिर है। आसपास के क्षेत्र में कई पुराने धार्मिक स्थल हैं। |
− | थी। लक्ष्मणपुर या लखनावती इसके प्राचीन नाम है। यह नगर पवित्र <sup>किया गया। मिथिला नरेश ने स्वयं हल चलाया तो वहाँ पर एक दिव्य</sup>
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− | 62 पुण्यभूमेभारत <sup>हत्तर-पशिलमएवंटलताए-भारत 63</sup>
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− | कन्या प्रकटहुई। सीता (हल की खड) से उत्पन्न होने के कारण उसका
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− | नाम सीता पड़ा | यहाँ सीताजी का मन्दिर बना है। जिस स्थान पर
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− | सीताजी प्रकट हुई वहाँ यज्ञवेदी बनी हुई है।
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− | जवलपुर (मिथिला)
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− | जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला, तैरमुक्त विदेहनगर रहा। जनकपुर
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− | या मिथिला नेपाल राज्य के अन्तर्गत पड़ता है। यह मिथिला राज्य की
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− | राजधानी थी। महाराज जनक ने यहीं पर सीता स्वयंवर का आयोजन
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− | धनुष-यज्ञ के रूप में किया था।जनकपुर मेंएक प्राचीन दुर्ग के खण्डहर
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− | मिलते हैं जिसकेचारोंओर शिलानाथ, कपिलेश्वर, क्षीरेश्वर तथा मिथिलेश्वर
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− | नामक प्राचीन शिव-मन्दिर हैं। गौतम, विश्वामित्र, याज्ञवल्क्य के आश्रम
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− | भी यहाँ पर थे। महाभारत युद्ध के बाद यह क्षेत्र निर्जन हो गया था।
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− | एकान्त के कारण कई सिद्ध ऋषियों ने यहाँ तपस्या की औरअक्षयवट के
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− | नीचे से राम पंचायतन की मूर्तियाँ निकलवाकर जनकपुर में प्रतिष्ठित
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− | करायीं|
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− | मधुकी
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− | उत्तरी बिहार का अति प्राचीन नगर है। सीतामढ़ी से पूर्व की ओर | |
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− | स्थित इस नगर में प्राचीन मन्दिर है। आसपास के क्षेत्र में कई पुराने | |
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− | धार्मिक स्थल हैं। | |
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| ==References== | | ==References== |