निवारक यानी शासन व्यवस्था भी विकेन्द्रित थी। जातिगत अनुशासन के बारे में जाति पंचायतों का अपना दण्डविधान होता था। इसी प्रकार से ग्रामकुल की अपनी अनुशासन पालन करवाने की और सुरक्षा व्यवस्था होती थी। इन दोनों के स्तर पर जब मामला हल नहीं होता था तब ही वह शासक के पास जाता था। इस लिये न्याय भी अच्छा होता था, अल्पतम समय में होता था और शासन के पास आने वाले मुकदमों की संख्या अत्यल्प होती थी। | निवारक यानी शासन व्यवस्था भी विकेन्द्रित थी। जातिगत अनुशासन के बारे में जाति पंचायतों का अपना दण्डविधान होता था। इसी प्रकार से ग्रामकुल की अपनी अनुशासन पालन करवाने की और सुरक्षा व्यवस्था होती थी। इन दोनों के स्तर पर जब मामला हल नहीं होता था तब ही वह शासक के पास जाता था। इस लिये न्याय भी अच्छा होता था, अल्पतम समय में होता था और शासन के पास आने वाले मुकदमों की संख्या अत्यल्प होती थी। |