उत्कल प्रदेश के चेदि या चेत वंश के प्रतापी राजा,जिन्होंनेसमकालीन अनेक शत्रुराजाओं कोपरास्त करने के बादमगधराजपुष्यमित्र शुग से युद्ध प्रारम्भ किया,किन्तुउसी समय यवनराज दिमित्र के मध्यदेश पर आक्रमण की राष्ट्रीय विपत्ति को पहचानकर सम्राट्पुष्यमित्र से सन्धि की और दिमित्र को परास्त किया। राजा खारवेल ने सातवाहन और उत्तरापथ के यवनों को परास्त करने के बाद अपने राज्य में जैन महासम्मेलन किया, जिसमें इन्हें'खेमराजा' और ' धर्मराजा' की उपाधियाँ प्रदान की गयीं। जैन मतावलम्बी राजा खारवेल के शिलालेख भुवनेश्वर के निकट खंडगिरि और उदयगिरि में पाये गये हैं। | उत्कल प्रदेश के चेदि या चेत वंश के प्रतापी राजा,जिन्होंनेसमकालीन अनेक शत्रुराजाओं कोपरास्त करने के बादमगधराजपुष्यमित्र शुग से युद्ध प्रारम्भ किया,किन्तुउसी समय यवनराज दिमित्र के मध्यदेश पर आक्रमण की राष्ट्रीय विपत्ति को पहचानकर सम्राट्पुष्यमित्र से सन्धि की और दिमित्र को परास्त किया। राजा खारवेल ने सातवाहन और उत्तरापथ के यवनों को परास्त करने के बाद अपने राज्य में जैन महासम्मेलन किया, जिसमें इन्हें'खेमराजा' और ' धर्मराजा' की उपाधियाँ प्रदान की गयीं। जैन मतावलम्बी राजा खारवेल के शिलालेख भुवनेश्वर के निकट खंडगिरि और उदयगिरि में पाये गये हैं। |