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धर्मकरी शिक्षा को धर्मक्षेत्र के साथ जोड़ने से सारी समस्यायें दूर हो जाती है। परन्तु कठिनाई यह है कि धर्मक्षेत्र ही आज अव्यवस्थित है । वह शिक्षा की जिम्मेदारी लेने में असमर्थ है । उसे निवेदन अवश्य करना चाहिये परन्तु शिक्षाक्षेत्र को ही धर्मकरी शिक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी।
धर्मकरी शिक्षा को धर्मक्षेत्र के साथ जोड़ने से सारी समस्यायें दूर हो जाती है। परन्तु कठिनाई यह है कि धर्मक्षेत्र ही आज अव्यवस्थित है । वह शिक्षा की जिम्मेदारी लेने में असमर्थ है । उसे निवेदन अवश्य करना चाहिये परन्तु शिक्षाक्षेत्र को ही धर्मकरी शिक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी।
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धर्मकरी शिक्षा समाज को सुसंस्कृत बनाती है, अर्थकरी शिक्षा उसे समृद्ध बनाती है । सुसंस्कृत और समृद्ध समाज ही श्रेष्ठ समाज होता है । समृद्धि और संस्कृति एक दूसरे के पूरक है । संस्कृति के बिना समृद्धि आसुरी होती है, समृद्धि के बिना संस्कृति की रक्षा ही नहीं होती । भारत ने हमेशा दोनों साथ साथ रहें ऐसी व्यवस्था बनाई है ।
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धर्मकरी शिक्षा समाज को सुसंस्कृत बनाती है, अर्थकरी शिक्षा उसे समृद्ध बनाती है । सुसंस्कृत और समृद्ध समाज ही श्रेष्ठ समाज होता है । समृद्धि और संस्कृति एक दूसरे के पूरक है । संस्कृति के बिना समृद्धि आसुरी होती है, समृद्धि के बिना संस्कृति की रक्षा ही नहीं होती । भारत ने सदा दोनों साथ साथ रहें ऐसी व्यवस्था बनाई है ।
==References==
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